- माहे रमजान के दौरान जारी लॉकडाउन का पालन करना सबके लिए जरूरी है

LUCKNOW : माहे रमजान के दौरान जारी लॉकडाउन का पालन सबको करना चाहिए, क्योंकि दूसरों की जान की हिफाजत से बढ़कर कुछ नहीं है। धर्मगुरुओं का कहना है कि डॉक्टरों की राय पर अमल करने का हुक्म शरीअत ने हमें दिया है। इन हालात में हाथ न मिलाना ही सुन्नत है, क्योंकि हदीस में आया है कि नबी पाक सल्ल। दस्ते मुबारक पर बैअत करने एक वफद हाजिर हुआ, उसमें एक आदमी बीमारी का शिकार था। आप सल्ल। ने उससे हाथ नहीं मिलाया। हमें भी ऐसे ही सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना चाहिए।

शिया हेल्पलाइन

सवाल- हर साल आमदनी के कुछ पैसे मस्जिद मे इफ्तार के लिए भेजता था। इस बार लॉकडाउन की वजह से इफ्तार नहीं भेज रहा हूं। उस पैसे का सही यूज कैसे हो।

जवाब- अगर वह पैसे जो इफ्तार के लिए मखसूस कर रखा है, लॉकडाउन की वजह से उन लोगों तक पहुंचाया जाए जो परेशानी में रोजा रख रहे हैं तो मैं समझता हूं ज्यादा सवाब मिलेगा।

सवाल- क्या खुम्स का पैसा लॉकडाउन में परेशान लोगों को दिया जा सकता है।

जवाब- खुम्स का पैसा जो सहमे इमाम का है वो सिर्फ सैय्यद को दिया जा सकता है। इसके अलावा अगर जकात आदि है तो वह किसी भी परेशान इंसान को दिया जा सकता है।

सवाल- क्या रोजा रखकर डकार लेने से रोजा टूट जाता है।

जवाब- नहीं, लेकिन अगर कोई चीज मुंह में आ जाए और वह उसे जानबूझ कर वापस निगल ले तो रोजा टूट जाएगा।

सवाल- क्या मर्द ऐसी घड़ी पहन सकता है जिसकी मशीन के कुछ पुर्जे सोने के हों या चेन सोने की हो।

जवाब- जिस घड़ी के कुछ पुरजे सोने के हों तो उसका पहनना सही है, लेकिन अगर घड़ी की चेन सोने की हो तो उसका पहनना मर्द के लिए नाजायज है।

सवाल- क्या सजावट के लिए सोने-चांदी के बर्तनों को खरीदा या बेचा जा सकता है।

जवाब- सजावट के लिए सोने-चांदी के बर्तनों को खरीदना और बेचना सही है, लेकिन इनका यूज खाने-पीने में सही नहीं है बल्कि नाजायज है।

सुन्नी हेल्पलाइन

सवाल- हाथ मिलाना सुन्नत है, लेकिन मौजूदा हालात में ऐसा करने से रोका गया है, क्या शरीअत में इसकी गुनजाइश है।

जवाब- बीमारियों के सिलसिले में डाक्टरों की राय पर अमल का हुक्म शरीअत ने हमें दिया है। मौजूदा हालात में हाथ न मिलाना ही सन्नत है, क्यों कि हदीस में आया है कि नबी पाक सल्ल। दस्ते मुबारक पर बैअत करने एक वफद हाजिर हुआ। उसमें एक आदमी बीमारी का शिकार था। आप सल्ल। ने उससे हाथ नहीं मिलाया।

सवाल- क्या पूरे महीने के रोजों का फिदया एक साथ अदा किया जा सकता है।

जवाब- जी हां, एक साथ अदा किया जा सकता है।

सवाल- तिलावत के दौरान सज्दे वाली आयत पढ़ने के बाद तुरन्त सज्दा करना जरूरी है या बाद में कर सकते हैं।

जवाब- इसी वक्त करना बेहतर है लेकिन बाद में भी कर सकते हैं।

सवाल- खरीदी हुई जमीन की जकात में वर्तमान कीमत का ऐतिबार किया जाएगा या जिस कीमत पर वह खरीदी गई है।

जवाब- वर्तमान कीमत के हिसाब से निकाली जाएगी।

सवाल- मस्जिद से लोगों ने अजान की आवाज सुनी और इफ्तार कर लिया जबकि अभी दस मिनट वक्त बाकी था तो क्या इन लोगों का रोजा हो जाएगा।

जवाब- इन लोगों का रोजा नहीं होगा। उन पर इस रोजे की कजा वाजिब है।

कोट

खुदा पाक से यही दुआ मांगते हैं कि अपनी रहमतों और बरकतों की बारिश बंदों पर होती रहे। वो हमें इस बीमारी से बचाते हुए अपनी पनाहों में लें, ताकि हम ज्यादा से ज्यादा इबादत कर सकें। इसके साथ गरीबों का भी ध्यान रखें ताकि उनकी ईद भी अच्छी हो।

शारिक नफीस, राजाजीपुरम

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