- कहा, सारे विकल्प खुले, कार्यकर्ता बैठक में करेंगे फैसला

- स्वामी प्रसाद मौर्या के रुख से सियासी सूरमा भी पस्त

LUCKNOW: स्वामी प्रसाद मौर्या के ताजा रुख से सियासी सूरमा पस्त नजर आने लगे हैं। बसपा छोड़ने के बाद सपा में जाने के कयासों पर मौर्या ने गुरुवार रात को ही नकार दिया था। शुक्रवार को अचानक उन्होंने दिल्ली का रुख कर लिया जिससे एक बार फिर उनके नये पैतरे को लेकर एक फिर अफवाहों का बाजार गर्म है। वहीं स्वामी प्रसाद मौर्या का कहना है कि एक जुलाई को होने वाली कार्यकर्ता मीटिंग के बाद आगे की रणनीति पर वे कोई फैसला लेंगे। माना जा रहा है कि दिल्ली में उनकी बीजेपी के कुछ शीर्ष नेताओं से मुलाकात हो सकती है हालांकि इसमें भी कुछ अड़चने आने की संभावना जताई जा रही है।

दलित और पिछड़ा समीकरण साधने की कोशिश

सपा को दरकिनार करने के बाद अब सबकी नजरें आगामी एक जुलाई को गोमतीनगर में स्वामी प्रसाद मौर्या द्वारा बुलायी गयी मीटिंग पर टिक गयी हैं। माना जा रहा है कि इसमें वे दलित और पिछड़ा समीकरण साधने की कोशिश करेंगे। उन विधायकों को एकजुट करने की कोशिश करेंगे जिनका टिकट मायावती ने काट दिया है और उन पूर्व विधायकों को भी एक प्लेटफार्म पर लाने की कोशिश की जाएगी कि जिन्हें बीएसपी ने साइड लाइन कर रखा है। बैठक में उन प्रत्याशियों के शामिल होने की उम्मीद भी है जिन्हें बसपा ने हाल के दिनों में बाहर का रास्ता दिखाया है। मौर्या के करीबियों की माने तो वे कोई नया दल बनाने का ऐलान भी कर सकते हैं ताकि चुनाव के बाद सत्ता की 'मास्टर की' बन सकें।

डैमेज कंट्रोल में जुटी बीएसपी

एक जुलाई को होने वाली स्वामी प्रसाद मौर्या की मीटिंग को लेकर बीएसपी में भी बेचैनी नजर आ रही है। पार्टी से भगदड़ के अंदेशे को भांपते हुए मौजूदा विधायकों को यह आश्वासन देने की कोशिश की जा रही है कि उनका टिकट नहीं काटा जाएगा। इसकी जिम्मेदारी बीएसपी के दो सीनियर नेताओं को दी गयी है। बीएसपी ने इस डैमेज कंट्रोल को रोकने के लिए पूरी ताकत झोंक दी है। सूत्रों का कहना है कि मौर्या के जाने से बीएसपी का पूरा जातीय समीकरण बिगड़ गया है। देखना यह है कि स्वामी प्रसाद मौर्या किस ओर जाते हैं। या फिर अपनी नयी पार्टी का गठन करते हैं।

मौर्या के सपा आने के चांस कम

स्वामी प्रसाद मौर्या के सपा में आने के चांस ना के बराबर नजर आ रहे हैं। गुरुवार को स्वामी प्रसाद मौर्या के सपा और भाजपा के खिलाफ दिये गये बयानों के बाद सपा के दो कद्दावर मंत्रियों ने भी पलटवार किया है। मंत्री मोहम्मद आजम खां ने जहां मौर्या को वापस बीएसपी में जाने की सलाह दे डाली तो शुक्रवार को कानपुर में मंत्री शिवपाल सिंह यादव ने उनकी मानसिक स्थिति को ठीक नहीं बताया। गौरतलब है कि मौर्या के बीएसपी छोड़ने के बाद इन्हीं दोनों नेताओं ने सबसे पहले उन्हें बधाई दी थी। अगले दिन मुख्यमंत्री ने भी स्वामी प्रसाद मौर्या की तारीफ की थी।

अभी सारे विकल्प खुले हैं। एक जुलाई को कार्यकर्ताओं की मीटिंग बुलायी गयी है। कार्यकर्ता जो कहेंगे उसी हिसाब से निर्णय लिया जाएगा। नयी पार्टी बनाने या किसी भी पार्टी में जाने के विकल्प भी अभी खुले हुए हैं।

- स्वामी प्रसाद मौर्या