लखनऊ (ब्यूरो)। मरीजों को मिलने वाली सस्ती दवा की कालाबाजारी की खबर के बाद केजीएमयू प्रशासन हरकत में आया है। जिसके बाद किन पर्चों पर कौन सी दवा निकाली गई और किन डॉक्टरों के साइन किए गये, इन सबकी जानकारी जुटाई जा रही है ताकि पता लगाया जा सके कि घोटाला किस स्तर से और कैसे हुआ। अधिकारी आरोपियों द्वारा अपनाई जा रही प्रक्रिया को समझने में लगे हुए हैं। साथ ही जांच कमेटी का भी गठन कर दिया गया है। शुरुआती जांच में कुछ कमियां सामने आई हैं।

एसटीएफ ने तीन को दबोचा

एसटीएफ ने केजीएमयू के हॉस्पिटल रिवॉल्विंग फंड (एचआरएफ) सेंटर की दवाओं को बाहर बेचने के मामले में तीन लोगों को गिरफ्तार किया है, जिसमें एक केजीएमयू फार्मेसी का कर्मचारी भी है। आरोपितों के पास से बड़ी मात्रा में दवाएं मिली थीं। वहीं, कई अन्य लोगों के नाम भी सामने आये थे, जिसके बाद कमेटी ने जांच शुरू कर दी है। एसटीएफ के हत्थे चढ़े रजनीश कुमार ने जिन चार कर्मचारियों के नाम कुबूले थे, उनकी पहचान कर चारों संविदा कर्मचारियों को काम करने से रोकने के साथ नोटिस जारी कर शनिवार को बयान के लिए बुलाया गया है। इसमें ट्रॉमा सेंटर के एचआरएफ फार्मेसी के महेश प्रताप सिंह, प्लास्टिक सर्जरी विभाग के एचआरएफ में तैनात अनूप मिश्रा व देवेश मिश्रा, गांधी वार्ड के एचआरएफ में तैनात उदय भान शामिल हैं। अधिकारियों का कहना है कि ये सभी कर्मचारी आउटसोर्सिंग एजेंसी के माध्यम से तैनात हैं। एजेंसी को जांच के लिए कहा गया है। जांच में दवाओं की चोरी की पुष्टि के बाद इन कर्मचारियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया जाएगा। इसके अलावा कई अन्य अधिकारी व कर्मचारी भी शक के दायरे में हैं।

पर्चे से उठा रहे फायदा

केजीएमयू में एचआरएफ के 14 स्टोर्स पर करीब 70 फीसदी तक सस्ती दरों पर दवा उपलब्ध रहती है, जो मरीजों के रजिस्टर्ड पर्चे पर लिखे यूएचआईडी नंबर के आधार पर ही मिलती है। शुरुआती जांच में चौकाने वाले तथ्य सामने आए हैं, जिसमें कर्मचारी द्वारा फर्जी मरीज बनकर एचआरएफ से सस्ती दवाओं की खरीद-फरोख्त करने की बात सामने आई है। सबसे पहले कर्मचारी अपनी पहचान वालों के नाम पर में ओपीडी पर्चा बनवाते थे, जिन विभागों की दवाएं ज्यादा व महंगी बिकती थीं, उनमें डॉक्टरों की सलाह लेते थे। फिर दो से तीन माह की दवाएं एक साथ निकलवाते थे, जिसे बाद में मार्केट में महंगे दामों पर बेच दिया जाता था। जरूरतमंद मरीजों को दवा नहीं मिल पाती थी या कम समय के लिए दवा दी जाती थी, जिससे मरीजों को काफी परेशानी होती थी।

पूरी रात चली इवेंट्री में जांच

वहीं, वीसी के आदेश के बाद देर रात एचआरएफ स्टोर में फैकल्टी द्वारा गहनता से जांच शुरू की गई। जिसमें मुख्य पीआरओ ऑफिस के पास एचआरएफ के स्टोर में दवाओं का स्टॉक गड़बड़ मिला। एसटीएफ के हत्थे चढ़े संविदा कर्मचारी रजनीश कुमार भी यहीं तैनात हैं। अधिकारियों द्वारा कम मिले स्टॉक का ब्यौरा जुटाया गया है। यह जांच सुबह करीब छह बजे तक सभी 15 दवाओं के स्टोर्स में चली। इससे केजीएमयू में हड़कंप मचा रहा।

ये लोग हैं जांच कमेटी के सदस्य

वीसी डॉ। बिपिन पुरी ने मामले को लेकर सात सदस्यीय कमेटी गठित की है। इसमें कुलसचिव के नामित सदस्य, चीफ प्रॉक्टर डॉ। क्षितिज श्रीवास्तव, सीएमएस डॉ। एसएन शंखवार, प्लास्टिक सर्जरी विभाग के अध्यक्ष डॉ। विजय कुमार, फार्माकोलॉजी विभाग की डॉ। अनुराधा निश्चल शामिल हैं। साथ ही एचआरएफ के डॉ। एचएस पहवा, डेंटल के डॉ। लक्ष्य कुमार, डॉ। संदीप भट्टाचार्या और जनरल सर्जरी विभाग के डॉ। अजय पाल सिंह भी शामिल हैं।

पर्चों की जांच कराई जायेगी

मामले को लेकर वीसी डॉ। बिपिन पुरी ने बताया कि पूरे प्रकरण को बेहद गंभीरता के साथ लिया जा रहा है। इस काम को कर्मचारी कैसे अंजाम देते थे, इसे समझने की कोशिश की जा रही है। इसके अलावा किस पर्चे पर कौन से डॉक्टर के साइन से कौन-कौन सी दवा निकाली जा रही या निकाली गई, इसको लेकर भी ऑडिट कराया जायेगा, क्योंकि बिना डॉक्टर के साइन के दवा नहीं मिलती है। उन पर्चों पर साइन कैसे हुआ यह जानने का काम किया जायेगा। सोमवार से इस पूरे मामले पर विस्तार से काम किया जायेगा। सभी पहलुओं को ध्यान में रखकर जांच की जायेगी, जो भी दोषी पाया जायेगा उसके खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की जायेगी।

मामले को गंभीरता से लिया गया है। पर्चों का ऑडिट कराया जायेगा। आखिर किन डॉक्टरों के साइन से कौन सी दवा निकली यह सब देखा जायेगा। मामले में जो भी दोषी होगा उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जायेगी।

-डॉ। बिपिन पुरी, वीसी, केजीएमयू