लखनऊ (ब्यूरो)। रमजानुल मुबारक के तीसरे जुमे को अपने खुतबे में नाजिम दारूल उलूम फरंगी महल मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली इमाम ईदगाह लखनऊ ने कहा कि इस्लाम एक ऐसा मुकम्मल निजाम है जो इंसानों की रहनुमाई करता है। समाजिक व आर्थिक बराबरी के लिए ऐसे उपायों को अपनाता है कि समाज से हर तरह की ऊंच-नीच का अंत हो जाये। समाज से गरीबी को खत्म करने के लिए और जरूरतमंदों की हाजत पूरी करने के लिए इस्लाम ने हर मालदार पर जकात को फर्ज किया है।

नेमतों में वृद्धि होती है
मौलाना ने आगे कहा कि माल व दौलत भी खुदा पाक की अनगिनत नेमतों में से एक है, इसलिए इंसान को चाहिए कि खुदा पाक की इस नेमत में भी खुदा के बंदों को शामिल करे और अपने माल में जरूरतमंद का भरपूर ख्याल रखें। जकात अदा करके उस नेमत का शुक्रअदा करेे, जो खुदा पाक ने उसे दी है। खुदा पाक का शुक्र करने से नेमतों में वृद्धि होती है। ऐतिकाफ से सबसे बड़ा फायदा यह होता है कि इंसान दुनियावी अमल छोड़ कर खुदा पाक के दर पर पड़ जाता है। पूरी तवज्जह के साथ इबाद में लगा रहता है। खुदा पाक के करीब हो जाता है, जिसकी वजह से ऐतिकाफ की इबादत में एक निराली शान पैदा हो जाती है।

सुन्नी सवाल-जवाब
सवाल: एक शख्स हज को जा रहा है लेकिन उसके पास रुपये कम पड़ रहे हैं, तो क्या उसको जकात की रकम देना सही है?
जवाब: उसको जकात की रकम देना सही नहीं है।

सवाल: क्या ऐतिकाफ करने वाला ऐतिकाफ की हालत में मस्जिद में बैठकर ऑनलाइन शॉपिंग कर सकता है?
जवाब: उससे कोई नुकसान नहीं है, कर सकता है।

सवाल: ऐतिकाफ करने वाले के लिए अच्छी बातें क्या क्या हैं?
जवाब: कुरान शरीफ पढऩा, दुरूद शरीफ पढऩा, इस्तिगफार व तस्बीहात में लगे रहना, अच्छी बातें करना, उन्हीं को सीखना-सिखाना, दीनी किताबों का अध्ययन करना, तकरीर व नसीहत करना, अल्लाह का जिक्र करना। इसके अलावा जो इबादत करने का दिल चाहे, करता रहे।

सवाल: मेरा जेवर किसी के पास गिरवी रखा है। क्या उस पर भी जकात वाजिब है?
जवाब: उस जेवर की जकात आपके जिम्मे नहीं है।

सवाल: हमारे यहां कैदियों के सिवा कोई मिसकीन (गरीब) नहीं है, तो किस तरह सदका फित्र अदा किया जाये? क्या कैदियों का मिसकीन में शुमार है?
जवाब: जबकि उनके पास निसाब के बराबर माल न हो, तो वह मिसकीन हैं। उनको सदका फित्र देना सही है।

शिया सवाल-जवाब
सवाल: शबे कद्र किन रातों को कहा जाता है?
जवाब: शबे कद्र को हजार महीनों से बेहतर कहा गया है। इस सिलसिले में किसी को इल्म नहीं सिवाए मासूमीन के, इसलिए धर्म के जानकारों का मानना है कि शबे 19, 21 23 में से किसी एक रात को शबे कद्र कहा जाता है। तीनों रातों में इबादत करें, ताकि जो अस्ल शबे कद्र है, वह मिल जाए।

सवाल: अगर कोई व्यक्ति मर जाए, तो उसकी पत्नी को मिरास में कितना हिस्सा मिलेगा?
जवाब: अगर मरने वाले के बच्चे नहीं हैं, तो सब दौलत का चौथा हिस्सा पत्नी का होगा। अगर बच्चे हैं, तो पत्नी को आठवां हिस्सा मिलेगा।

सवाल: क्या फितरे की रकम रमजान में दी जा सकती है?
जवाब:फितरा ईद का चांद निकलने के बाद वाजिब होता है।

सवाल: क्या नमाजे आयात यानी सूरज गहन चांद गहन के समय जो नमाज पढ़ी जाती है, वह हर व्यक्ति पर वाजिब है?
जवाब: हर समझदार और बालिग पर सूरज गहन और चांद गहन की नमाज वाजिब है। अगर किसी ने समय पर नहीं पढ़ी है, तो बाद में कजा पढ़ेगा।

सवाल: क्या कोई महिला अपने पति की आज्ञा के बगैर ऐतिकाफ कर सकती है?
जवाब: अगर कोई महिला अपने पति की आज्ञा के बगैर ऐतिकाफ करती है और पति खुश नहीं है, तो ऐतिकाफ सही नहीं होगा।