- रिवर बैंक कॉलोनी के पीछे रेजीडेंसी के पास था अवैध निर्माण

- भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के महानिदेशक ने दिए थे कार्रवाई के आदेश

LUCKNOW पूर्व सांसद दाउद अहमद द्वारा रिवर बैंक कॉलोनी के पीछे करोड़ों की लागत से बनाई गई पांच मंजिला अवैध बिल्डिंग (जी प्लस 5) रविवार को महज पांच घंटे में ही जमींदोज हो गई। हालांकि जल्दबाजी में किए जा रहे ध्वस्तीकरण के कारण एक बड़ा हादसा भी हुआ। बिल्डिंग के अचानक गिरने से पुकलैंड मशीन और उसका ड्राइवर मलबे में फंस गया। करीब एक घंटे की मशक्कत के बाद उसे बाहर निकाला गया और उपचार के लिए ट्रॉमा भेजा गया। जहां फिलहाल उसकी हालत स्थिर बनी हुई है।

नियमों को किया दरकिनार

यह बिल्डिंग भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के नियमों को दरकिनार करके अवैध रूप से बनाई गई थी। डीएम अभिषेक प्रकाश ने बताया कि दाउद अहमद द्वारा रिवर बैंक कॉलोनी के पीछे एफ ब्लॉक में हाफिज डेयरी के सामने इस बिल्डिंग का निर्माण कराया जा रहा था, जोकि केंद्रीय संरक्षित स्मारक रेजीडेंसी के विनियमित क्षेत्र में स्थित है। इस पर संज्ञान लेते हुए अधीक्षण पुरातत्वविद, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण लखनऊ मंडल द्वारा 12ख्/10/2018 को दाउद को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था। जिसका कोई जवाब नहीं दिया गया था। इसके बाद भी की गई कई आपत्तियों के बावजूद भी दाऊद अहमद ने अवैध निर्माण जारी रखा।

नोटिस पर नोटिस, जवाब नहीं

महानिदेशक, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा 24 जून 2021 को प्राचीन संस्मारक तथा पुरातत्ववीय अवशेष अधिनियम की सुसंगत नियम व धाराओं के तहत दाउद अहमद को फिर से नोटिस प्रेषित किया गया था। इसके बाद भी भवन स्वामी की तरफ से कोई कदम नहीं उठाया गया। जिसके बाद भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की तरफ से जिला प्रशासन को पत्र भेजा गया। इस पत्र पर अमल करते हुए ही रविवार को जिला प्रशासन और एलडीए की प्रवर्तन टीमों ने संयुक्त रूप से ध्वस्तीकरण कार्रवाई शुरू की।

जब भरभरा कर गिरी बिल्डिंग

सुबह आठ बजे के आसपास बिल्डिंग को गिराने का काम शुरू कर दिया गया था। इसके लिए पुकलैंड मशीन और जेसीबी को लगाया गया था। प्रवर्तन टीमों की ओर से बेहद रफ्तार से ध्वस्तीकरण की कार्रवाई की जा रही थी। दोपहर करीब 12 बजे के आसपास अचानक एक पिलर तोड़ने के दौरान बिल्डिंग का हिस्सा पुकलैंड मशीन पर गिर गया। मलबे में पुकलैंड मशीन और चालक शोएब फंस गया। इस घटना से अफरा-तफरी मच गई और अधिकारी सकते में आ गए। आनन-फानन में बचाव कार्य शुरू किया गया। करीब एक घंटे बाद घायल चालक को बाहर निकालकर ट्रामा भेजा गया।

हो सकता था बड़ा हादसा

एक झटके में बिल्डिंग गिरने से बड़ा हादसा हो सकता था। इसकी वजह यह है कि इस बिल्डिंग के आसपास कई अन्य मकान भी हैं। प्रत्यक्षदर्शियों की माने तो कुछ मलबा एक तो मकानों की बाउंड्रीवॉल पर गिरा लेकिन कोई हताहत नहीं हुआ। हालांकि एक दो वाहन जरूर क्षतिग्रस्त हो गए।

रात में हुई मीटिंग

सूत्रों की माने तो बिल्डिंग पर कार्रवाई करने को लेकर शनिवार देर शाम गोपनीय बैठक हुई। जिसमें ध्वस्तीकरण कार्रवाई की रुपरेखा तैयार की गई और रविवार सुबह होते ही कार्रवाई शुरू कर दी गई।

इलाहाबाद से आए विशेषज्ञ

इलाहाबाद प्राधिकरण से भवन गिराने के विशेषज्ञ जेएस पांडे (ओएसडी) को बुलाया गया था। उन्हें इलाहाबाद में दर्जनों अवैध भवनों को गिराने का अनुभव है। पांडे ने छह जेसीबी, तीन पुकलैंड और 50 मजदूरों की मदद से अवैध बिल्डिंग को गिराया।

2017 में बिल्डिंग निर्माण

पूर्व सांसद ने वर्ष 2017 में एएसआई से एनओसी लिए बिना नवी उल्लाह रोड स्थित वजीरगंज में बिल्डिंग निर्माण कराया था। एएसआई के अनुसार रेजीडेंसी स्मारक (पुरातत्व विभाग) से भवन की दूरी 123 मीटर है, जो नियमानुसार गलत है। इसके बाद पूर्व सांसद दाऊद अहमद (शाहबाद से सांसद और लखीमपुर से विधायक रहे) ने एएसआई और एलडीए को पार्टी बनाते हुए कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। हालांकि कोर्ट से याचिका खारिज कर दी थी।

कीमत 100 करोड़ के आसपास

बिल्डिंग की कीमत को लेकर कोई सटीक आंकलन नहीं है। विशेषज्ञों की माने तो वैसे तो इसकी कीमत 20 करोड़ के आसपास है, लेकिन बिल्डिंग स्पेस को देखकर इसकी कीमत 100 करोड़ के आसपास भी हो सकती है।