LUCKNOW: लॉकडाउन की वजह से कई लोगों की नौकरी चली गई तो कई का बिजनेस चौपट हो गया। इसका असर चंचल सिंह यादव के सोलर के काम पर भी पड़ा। उनका भी काम ठप हो गया, लेकिन उन्होंने हार नहीं मारी। विषम परिस्थितियों का सामने करते हुए चंचल ने एलईडी लाइट के डेकोरेटिव का काम शुरू किया। इसके लिए गांव की महिलाओं और युवाओं को जोड़ा। आज सैकड़ों लोगों को रोजगार दे रहे हैं।

एलईडी का काम शुरू किया

कोरोना काल से पहले मेरा सोलर एनर्जी का काम चल रहा था। इसे मैंने 2017 में शुरू किया था, लेकिन लॉकडाउन की वजह से काम बंद हो गया। ऐसे में खेतों में किसानों को बांस का आईटम बनाते देखा तो उसी से ख्याल आया कि इसको लेकर कुछ काम करना चाहिए। इसके बाद मार्केट सर्च किया और एलईडी का काम शुरू किया। इसके लिए टोकरी और डलिया बनाने वाली बांस की लकड़ी से डेकोरेटिव आइटम बनाना शुरू किया, जो मई जून में शुरू किया।

कई लोगों को दी ट्रेनिंग

मैंने कोरोना संक्रमण काल में न केवल बिजली की झालरों पर रिसर्च किया बल्कि चीन के दाम में स्वदेशी झालर बनाकर महिलाओं और अपने जैसे युवाओं को रोजगार से जोड़ने का भी सफल प्रयास किया। इस समय करीब 35-40 लोग जुड़े हैं। इसके अलावा 200 से अधिक महिलाओं को न केवल ट्रेनिंग दी बल्कि अब वह समूह बनाकर साथी महिलाओं के साथ एलईडी झालर, सोलर झालर, एलईडी बल्ब, बांस की बनी टेबल लैंप, सोलर गार्डन लैंप और सोलर फाउंटेन का निर्माण कर रही हैं।

चीन के वर्किंग मोड को समझा

मैं इंडिया पॉवर सेल्यूशन के नाम से शहरी और ग्रामीण इलाकों में ट्रेनिंग देने का काम कर रहा हूं। इससे लोगों को रोजगार का अवसर मिल सकेगा। लॉकडाउन के दौरान खुद चीन की तकनीक पर काम किया। इसके बाद हम लोगों ने भी उसी तर्ज पर काम किया। किसी को बांस का आइटम बनाना, किसी को पेंटिंग तो किसी को लाइट लगाना सिखाना शुरू किया ताकि ज्यादा से ज्यादा लोगों को जोड़ा जा सके क्योंकि मार्केट में डिमांड ब्रांडेड आईटम की होती है। ऐसे में क्वालिटी प्रोडक्ट देना शुरू किया। दिवाली पर डिमांड बहुत आई। अब क्रिसमस और न्यू ईयर पर काम कर रहे हैं। क्रिसमस ट्री, लाइटिंग, एलईडी लाइट का काम शुरू किया।

कमा रही महीनों का हजारों

हमारे साथ जुड़ी महिलाएं और युवक महीने का हजारों कमा कर अपनी जीविका चला रहे हैं। महिलाएं जो खेतों में काम करती हैं वो फ्री टाइम में हमारे लिए काम करती हैं। महिलाएं महीने का करीब 5-6 हजार तक कमा रही हैं जबकि युवक महीने का 8-10 हजार तक कमा रहे हैं, जिससे उनका परिवार का जीवनयापन आसानी से हो सकता है।

क्वालिटी पर पूरा ध्यान

हम लोग अपनी क्वालिटी पर पूरा ध्यान देते हैं। मार्केट से ऑनलाइन, वाट्सएप या किसी और की ओर से आर्डर आता है, तो उसके अनुसार काम करते हैं। डिजाइन को मार्केट के अनुसार तैयार करते हैं। हमारे प्रोडक्ट चीन की टक्कर के अनुसार हैं, जिनकी कीमत भी चीनी प्रोडक्ट के अनुसार है। वहीं चीनी प्रोडक्ट जहां बन नहीं पाते हैं वहीं हमारे प्रोडक्ट असानी से रिपेयर हो जाते हैं, जो हमे दूसरों से अलग करते हैं। फिलहाल इसी को लेकर काम लगातार जारी है। आगे मार्केट और खुलता है तो इसपर और काम किया जायेगा।