- कोरोना के कारण जुलूस निकलने पर लगी रोक से लोग मायूस
LUCKNOW: मुहर्रम के साथ मजलिसों और मातम का दौर शुरू हो गया है। कोरोना को देखते हुए इमामबाड़ों और ईदगाहों में सीमित संख्या में ही मजलिस व जलसे हो सकेंगे। इस बार महत्वपूर्ण जुलूसों पर भी पाबंदी है, जिससे लोग बेहद मायूस भी हैं।
नियमों के साथ मिलती मंजूरी
हर साल मुहर्रम पर आयोजन करने की अनुमति मिलती थी। घरों में महिलाएं शाम को इमाम हुसैन की याद में मातम पढ़ती हैं और गम मनाया जाता है। प्रशासन को चाहिए कि इसके लिए भी सोशल डिस्टेंसिंग के साथ मातम मनाने की अनुमति देनी चाहिए, ताकि सभी प्रोटोकॉल का पालन करते हुए महिलाएं घरों में मातम कर सकें।
तिलत रिजवी
कोरोना के खात्मे की दुआ
मुहर्रम इस बार पहले की तरह नहीं मनाया जा रहा है। ताजिया भी पहले ही ले आए थे। बचपन से हर साल जुलूस निकलते देखते आ रहे हैं, लेकिन इस बार कोरोना के कारण नहीं निकलेगा। हम सब देश को आगे बढ़ते हुए देखना चाहते हैं इसलिए खुद को रोकते हुए इस वबा के जल्द खत्म होने की दुआ भी कर रहे हैं।
हिना बेग
ऑनलाइन देख रहे मजलिस
हर साल मुहर्रम पर मजलिसों पर शामिल होने जाते थे लेकिन इस बार कोरोना बीमारी के चलते नहीं जा सकते हैं। इसलिए ऑनलाइन ही मजलिस देख व सुन रहे हैं। ऐसा पहली बार हो रहा है इसलिए थोड़ी निराशा हो रही है। कोरोना एक गंभीर बीमारी है और यह बढ़ भी रही है, ऐसे में पाबंदियां जरूरी भी हैं।
शादाब खान
घर पर ही मना रहे मातम
कोरोना के चलते इस बार पहले की तरह मजलिसों का दौर नहीं होगा। जुलूस निकालने पर भी पाबंदी है। ऐसे में हम लोग घरों पर रहकर ही मातम मना रहे हैं। ऑनलाइन मजलिस हो रही हैं, उसी को देख व सुन रहे हैं। खुदा पाक से दुआ है कि जल्द ही कोरोना नामक वबा खत्म हो जाए।
ताहिर हुसैन