लखनऊ (ब्यूरो)। रमजान का महीना नेमतों, बरकतों और पाबंदियों का है। रमजान के महीने में कुरान नाजिल हुआ था। ऐसा कहा जाता है कि माहे रमजान में जन्नत के दरवाजे खुल जाते हैं। अल्लाह रोजेदार और इबादत करने वाले की दुआ कुबूल करता है। इस पवित्र महीने में गुनाहों की माफी मांगने से बख्शीश मिलती है।

सुन्नी हेल्पलाइन

सवाल: अगर किसी ने तरावीह में सोला रकआत के बाद वित्र की नियत बांध ली तो वह बाकी चार रकआत कब पढ़ेगा?
जवाब: बाकी चार रकआत वित्र के बाद पढ़ लें।

सवाल: क्या इमाम साहब कुर्सी पर बैठ कर तरावीह की नमाज की इमामत कर सकते हैं?
जवाब: इमाम साहब अगर माजूर हैं तो कुर्सी पर तरावीह पढ़ा सकते हैं।

सवाल: ऐतिकाफ क्या है और उसका क्या वक्त है?
जवाब: ऐतिकाफ सुन्नत मुअक्किदा है। इसका वक्त रमजान की 20 तारीख के गुरूब आफताब यानी 21वीं शब से ईद के चांद निकलते तक है।

सवाल: ऐतिकाफ का सवाब क्या है?
जवाब: इस इबादत का बहुत सवाब है। हदीस शरीफ में है कि रमजान के आखिरी दस दिनों के ऐतिकाफ का सवाब दो हज और दो उमरों के बराबर है।

सवाल: एक शख्स ने किसी के पास कुछ रकम अमानत के तौर पर रखी। उसी बीच वह शख्स बाहर चला गया, फिर वह शख्स कहता है कि जो रकम मैंने तुम्हारे पास रखी है उसमें से जकात अदा कर दो। क्या इस तरह से जकात अदा हो जायेगी?
जवाब: जी हां, जकात अदा हो जायेगी।

शिया सवाल-जवाब

सवाल: अगर कोई रोजेदार गर्मी के कारण प्यासा हो और मर जाने का डर हो तो क्या हुक्म है?
जवाब: रोजे की हालत में उतना पानी पी सकता है कि जान बच जाए। रोजे की कजा करेगा कफ्फारा वाजिब नहीं है।

सवाल: क्या जकात निकालते समय नियत करना जरूरी है?
जवाब: इस्लाम में हर इबादत के लिए नियत होती है। जब जकात निकाले तो दिल और जहन में यह होना कि जकात दे रहे हैं काफी है।

सवाल: क्या इस्लाम में महिला को इजाजत दी गई है कि वह किसी मस्जिद में जाकर इमामत के फराएज को अंजाम दे?
जवाब: महिला सिर्फ महिला की इमामत नमाज में कर सकती है।

सवाल: र्कुआन की वह आयात जिसको पढऩे से सजदा वाजिब होता है, अगर उनको लिखा जाए तो भी सजदा वाजिब होगा?
सवाल: आयाते सजदा को लिखने से सजदा वाजिब नहीं होता है।

सवाल: क्या कफ्फारे के साठ रोजे लगातार रखे जाएंगे?
जवाब: अगर किसी व्यक्ति पर कफ्फारा वाजिब हो जाए तो 31 रोजा लगातार रखना जरूरी है। उसके बाद फासला कर सकता है।