- कोरोना ने राजधानी में कई परिवारों की खुशियां लूट लीं

- सरकार की ओर आस भरी नजर से देख रहे ऐसे परिवार

LUCKNOW: कोरोना महामारी ने राजधानी के सैकड़ों बच्चों का भविष्य अंधकारमय कर दिया है। इनमें से किसी बच्चे की मां तो किसी के पिता तो किसी के माता-पिता दोनों को कोरोना ने उनसे दूर कर दिया है। ऐसी ही एक बच्ची की पढ़ाई रुक गई है तो वहीं एक बच्चा अब अपने मामा के भरोसे है। उसे इस बात का भी अहसास नहीं है कि उसके पिता अब इस दुनिया में नहीं हैं। वह सबसे यही कहता है कि उसके पापा काम के सिलसिले में बाहर गए हैं और जल्द लौट आएंगे

दो माह से बंद है पढ़ाई

राजधानी के मोतीझील एरिया में रुबी (बदला नाम) अपने माता-पिता के साथ किराए के मकान में रहती थी। वह 9वीं क्लास में पढ़ाई कर रही थी। पिता मजदूरी कर उसे अच्छी शिक्षा दिलाने का हर संभव प्रयास कर रहे थे। वे यहां वेल्डिंग का काम करते और दिवाली के समय रंगाई-पुताई का काम करते थे। पिछले साल दिवाली पर कोरोना के कारण उनका काम ठप हो गया और कुछ दिन बाद वे और उनकी पत्‍‌नी कोरोना संक्रमण का शिकार हो गई। रूबी के पिता को संक्रमण से उबर गए लेकिन उनकी मां का 30 मई को देहांत हो गया। इसके बाद उनके पिता रूबी को लेकर गांव चले गए। अब स्कूल की फीस न दे पाने के कारण दो माह से रूबी की पढ़ाई बंद है। अपनी मां को याद करते ही उसकी आंखें नम हो जाती हैं।

अब नहीं करती फरमाइश

रूबी के पिता ने बताया कि पहले वह दूसरे बच्चों को देख उनसे मोबाइल को लेकर जिद करती थी। वे किसी भी तरह उसकी जिद को पूरा भी करते थे लेकिन अब वह कोई फरमाइश नहीं करती है। वह जानती है कि हमारे हालात अब और खराब हो गए हैं। हम बस इतना चाहते हैं कि उसे पढ़ाई चलती रहे। उसके पिता फिर लखनऊ आ गए हैं और काम की तलाश कर रहे हैं, जिसमें उन्हें सफलता नहीं मिल रही है।

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मामा के भरोसे हो गए दो मासूम

तीसरी क्लास में पढ़ाई कर रहा हर्ष (बदला नाम) और उसका बड़ा भाई आर्य (बदला नाम) जो सातवीं में एक ही स्कूल में पढ़ रहे हैं, अब मामा के भरोसे हैं। पक्का बाग निवासी इन बच्चों के पिता का देहांत हो चुका है और परिवार के पास अब आय का कोई साधन नहीं है। बच्चों के पिता संक्रमित हुए और दो दिन में ही उनकी मौत हो गई। हर्ष को अब भी लगता है कि पापा दिल्ली गए हैं और जल्द वापस लौट आएंगे। वहीं आर्य हमेशा उससे यही कहता है कि तुम मन लगाकर पढ़ाई करो, सब ठीक हो जाएगा। ये दोनों बच्चे अब अपने मामा के भरोसे हैं। इनकी मां का बस यही सपना है कि उनके बच्चों की पढ़ाई चलती रहे और वे बड़े होकर काबिल इंसान बनें।

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मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना

-कोरोना काल में अनाथ हुए बच्चों के लिए यह योजना लागू है।

-इसके लिए आपको समाज कल्याण विभाग में आवेदन करना होगा।

-आवेदन के साथ मृतक की डिटेल, बच्चों की डिटेल और वर्तमान अभिभावक की डिटेल देनी होगी।

- आवेदन की सत्यता की जांच विभाग करेगा।

- करीब पंद्रह दिन के प्रोसेस के बाद खाते में प्रति माह चार हजार रुपए आना शुरू होगा।

- सहायता राशि तीन माह की किश्त में अदा की जाएगी।

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क्या हैं सुविधाएं

- एक बच्चे को प्रति माह चार हजार रुपए

- लड़की होने पर एक लाख का वैवाहिक सहायता राशि

- बच्चों की प्रापर्टी की कानूनी सुरक्षा

- निशुल्क शिक्षा