लखनऊ (ब्यूरो)। जैसलमेर में शुक्रवार रात दुर्घटनाग्रस्त हुए मिग 21 के विंग कमांडर हर्षित सिन्हा का पार्थिव शरीर शनिवार देर शाम लखनऊ स्थित बीकेटी एयरफोर्स स्टेशन लगाया गया। रविवार सुबह भैंसाकुंड घाट पर परिजनों, सैन्य अधिकारियों की मौजूदगी में उन्हें नम आंखों से विदाई दी गई।

पत्नी नहीं रोक सकी अपने आंसू
सेना के जवानों की ओर से जैसे ही शहीद हर्षित के ताबूत में लिपटा तिरंगा, उनकी टोपी और मेडल उनकी पत्नी को दिए गए तो वे अपने आंसू न रोक सकीं, और उनके साथ बिताए पलों को याद करने लगीं। इस दौरान परिजन उनका ढांढस बंधा रहे। विंग कमांडर अपने पीछे पत्नी प्रियंका और दो बेटियां पीहू(9) और कुहू(5) छोड़ गए हैं। परिवार में उनके माता-पिता हेमंत सिन्हा व किरण सिन्हा के अलावा छोटा भाई मोहित और छोटी बहन स्वाति हैं।
सेना ने दी शस्त्र सलामी
भैंसाकुंड घाट पर सेना के बड़े अधिकारी शहीद के अंतिम संस्कार के लिए मौजूद रहे। सेना के अधिकारियों ने उन्हें पुष्प चक्र अर्पित कर अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की। वहीं दूसरी ओर सेना के जवानों ने उन्हें शस्त्र सलामी दी। इस दौरान तीन राउंड रायफल दाग कर उनको अंतिम सलामी दी गई। इसके अलावा बैंड ने शोक धुन बजाकर शहीद की शहादत को सलाम किया। इस दौरान सभी की आंखे नम तो सीना गर्व से चौड़ा था, क्योंकि तिरंगे में लिपट कर आना हर जवान का सपना होता है।
जांच के दौरान हुई थी मुलाकात
रिश्ते में हर्षित के चाचा राजीव कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि वे बचपन से ही बेहद होशियार था। उसकी और प्रियंका की मुलाकात एयरफोर्स में नौकरी के दौरान हुई थी। उस समय दोनों साथ में पायलट अधिकारी थे। शादी के बाद पत्नी ने नौकरी छोड़ दी। गौरतलब है कि इसके बाद प्रियंका ने आईआईएम से एमबीए किया, लेकिन नौकरी नहीं की थी।


तीन साले पहले आये थे घर
विंग कमांडर हर्षित ने वर्ष 1999 में एयर फोर्स ज्वाइन की थी। वह पहले महानगर और फिर अलीगंज में किराए पर रहते थे। इसके बाद वे परिवार समेत गोमतीनगर स्थित कावेरी अर्पाटमेंट मे रहने लगे। वह सीएमएस महानगर शाखा के छात्र रहे थे। उनकी शादी 2007 में हुई थी। वो आखिरी बाद 2018-19 में अपने घर आए थे।


ऊंचाई से था भांजे को प्यार
वाराणसी में रहने वाले हर्षित के मामा डॉ। अरुण ने बताया कि भांजे को ऊंचाई से बहुत प्यार था। वो बचपन में अक्सर दीवार पर खड़ा होकर दोनों हाथ फैलाकर कहता मामा देखो प्लेन आ रहा है। हमेशा ऊंचाइयों से प्यार करने वाला वहीं से गिरकर शहीद हो गया।

और भर दिया एनडीए का फार्म
बेटे की बहादुरी को याद करते हुए उनके पिता हेमंत सिन्हा ने बताया कि बेटे को बचपन से ही जहाज बेहद पसंद था। वो अकसर छत पर बैठकर उड़ते हुए जहाज को देखा करता था। शायद वहीं से उसने सेना में अधिकारी बनने का सपना देखना शुरू कर दिया था। एक दिन इंटर की परीक्षा पास करने के बाद उसने हम लोगों को बिना बताए नेशनल डिफेंस अकादमी यानि एनडीए का फार्म भर दिया और वह बिना बताए उसका एग्जाम भी दे आया। पहली बार में ही उसका एनडीए में सेलेक्शन भी हो गया। इसके बाद उसे परमानेंट कमीशन भी मिल गया। बेटे की खुशी ही हम सबकी खुशी थी। करीब एक माह के लिए वह जैसलमेर ट्रेनिंग देने गया था और दो दिन में ही उसका ट्रेनिंग समाप्त होने वाली थी। इसके बाद उसे श्रीनगर जाना था।


अभिनंदन के बैचमेट भी रहे हैं
हर्षित विंग कमांडर अभिनंदन के बैचमेट भी रह चुके है। दोनों ने साथ में ट्रेनिंग करने के अलावा कई जगहों पर साथ में पोस्ट होते हुए काम भी किया है।