लखनऊ (ब्यूरो)। राजधानी के केजीएमयू में बीते दिनों एक कुत्ते द्वारा डॉक्टर समेत सात लोगों को काटने की घटना सामने आई थी, जिसके बाद संस्थान प्रशासन द्वारा कुत्तों को पकडऩे के साथ-साथ गार्ड को इन्हें परिसर में न आने के लिए निर्देशित किया गया था। पर इसके बावजूद आवारा जानवर केजीएमयू परिसर में घूम रहे हैं। यही हाल सिविल और बलरामपुर अस्पताल का भी है, जहां आवारा कुत्ते मरीजों और तीमारदारों के बीच घूमते दिख जाते हैं। ऐसे में मरीजों के साथ दोबारा ऐसी घटना घट सकती है।

केजीएमयू

लोगों में रहता है डर

केजीएमयू में रोजाना 10 हजार से अधिक मरीज और तीमारदार आते हैं। वहीं, सुरक्षा के लिए यहां 200 से अधिक गार्डों की तैनाती है। इसके बावजूद हाल ही में कुत्ते द्वारा काटने की घटना हो चुकी है, जिसके बाद नगर निगम के अधिकारियों को इन्हें हटाने के लिए लिखा गया था। हालांकि, इसके बावजूद आवारा कुत्ते वार्ड, ओपीडी समेत परिसर में मंडराते रहते हैं। यहां तैनात गार्ड भी इसको लेकर लापरवाह बने हुए हैं, जिसके चलते मरीज और तीमारदारों के अलावा केजीएमयू का स्टाफ भी खौफ के साये में रहता है। प्रवक्ता डॉ। सुधीर सिंह के मुताबिक, संस्थान में अब एंटी रैबीज इंजेक्शन लग रही है। वहीं, मामले को लेकर कई बार नगर निगम से पत्राचार किया जा चुका है। पर इसके बावजूद कुछ नहीं हो रहा। हालांकि, गाड्र्स को नजर रखने को कहा गया है।

बलरामपुर अस्पताल

मंडराते रहते हैं आवारा जानवर

वहीं दूसरी ओर, बलरामपुर अस्पताल में रोजाना 5 हजार से अधिक मरीज और तीमारदार आते हैं, जबकि यहां रोजाना 150-200 तक एंटी रैबीज इंजेक्शन लगाये जा रहे हैं। दूसरी ओर परिसर में आवारा कुत्ते आराम फरमा रहे हैं, जिसके चलते मरीज से लेकर तीमारदारों तक में डर का माहौल बना हुआ है। सीएमएस डॉ। जीपी गुप्ता ने बताया कि नगर निगम को इसके लिए लिखा जाता है। वे कुत्तों को पकड़कर तो ले जाते हैं, पर नियम के कारण नसबंदी करके वापस वहीं छोड़ जाते हैं जहां से उन्होंने कुत्तों को पकड़ा होता है। जिसके चलते यह समस्या बनी हुई है। पर इसके बावजूद नजर रखने को कहा गया है।

सिविल अस्पताल

आक्रामक तक हो जाते हैं

कमोबेश यही हाल सिविल अस्पताल का भी है। यहां पर भी आवारा कुत्ते दिनभर मंडराते रहते हैं, जिसके चलते यहां आने वालों में डर बना रहता है। कई बार कुत्ते आक्रामक तक हो जाते हैं, जिसके चलते लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। सीएमएस डॉ। आरपी सिंह के मुताबिक, सप्ताह में दो दिन 160 तक तो बाकि दिन 100 से अधिक एंटी रैबीज इंजेक्शन लगाये जाते हैं। वहीं, आवारा कुत्तों को लेकर कई बार नगर निगम के लिए लिखा गया है, पर इसके बावजूद कुत्ते वापस आ जाते हैं। हालांकि, गार्ड को इनको परिसर में न घूमने देने के लिए कहा गया है।