- कोरोना की इस खतरनाक लहर में भी डटकर मोर्चे पर जुटी हैं ये महिला ऑफिसर्स

- खुद कोरोना पॉजिटिव होने के बाद भी जरूरतमंदों की सेवा करना रहा पहला उद्देश्य

LUCKNOW: कोरोना की इस खतरनाक लहर में भी राजधानी की महिला ऑफिसर्स अपने दृढ़ निश्चय और आत्मविश्वास से अपनी जिम्मेदारियों का बखूबी निर्वाह कर रही हैं। वे खुद संक्रमित हुईं फिर भी उन्होंने कोरोना मरीजों को मेडिकल किट उपलब्ध कराना, ऑक्सीजन टैंकर्स के लिए ग्रीन कॉरिडोर बनाना, शव वाहन की व्यवस्था कराने आदि का कार्य बखूबी निभा रही हैं। इनकी मेहनत से कई संक्रमितों की जिंदगी बची है। दैनिक जागरण आई नेक्स्ट के सीनियर रिपोर्टर अभिषेक मिश्र ने ऐसी ही महिला ऑफिसर्स से बात की और उनका एक्सपीरियंस जाना

5 मिनट में बनवाया ग्रीन कॉरिडोर

डीसीपी ट्रैफिक ख्याति गर्ग को पुलिस कमिश्नरेट की ओर से कोरोना संक्रमण रोकने के लिए नोडल बनाया गया है। उनकी मुख्य जिम्मेदारी दूसरे प्रदेशों से आने वाले ऑक्सीजन टैंकर को ग्रीन कॉरीडोर बनाकर समय से अस्पताल पहुंचाना है। इन्होंने रात रात भर जागकर अपनी टीम की मदद से ऑक्सीजन टैंकर्स को समय से अस्पताल पहुंचवाया, जिससे सैकड़ों लोगों की जान बची। इसके साथ ही उन्होंने एंबुलेंस और शव वाहनों से जुड़ी ओवर चार्जेज की शिकायतों को भी संज्ञान में लिया और मरीजों को राहत दिलाई। आज भी वे लगातार ट्रैफिक कंट्रोल रूम से ऑक्सीजन टैंकर्स के मूवमेंट पर नजर रख रही हैं और एंबुलेंस और शव वाहन के चार्जेज की मॉनीटरिंग कर रही हैं।

सैकड़ों कॉल पर रोज किया रिस्पांस

संयुक्त सचिव एलडीए ऋतु सुहास ने दोहरी जिम्मेदारी निभाई। एक तरफ तो एलडीए की ओर से उन्होंने अपार्टमेंट्स में सेनेटाइजेशन की जिम्मेदारी संभाली, वहीं डीएम अभिषेक प्रकाश के कोरोना पॉजिटिव होने के बाद उन्होंने रेफरल लेटर जारी कराने से लेकर पेशेंट् को हॉस्पिटल में एडमिट कराने की जिम्मेदारी भी बखूबी निभाई। हर दिन उनके पास पेशेंट एडमिशन के लिए 250 से 300 कॉल आईं। हर कॉल पर उन्होंने न सिर्फ रिस्पांस किया बल्कि मरीजों को अस्पताल में एडमिट कराने में भी सक्रिय भूमिका निभाई। आज भी वे न सिर्फ अपार्टमेंट्स का सेनेटाइजेशन करा रही हैं बल्कि पेशेंट को भर्ती कराने के लिए आने वाली हर कॉल पर एक्टिव होकर मरीजों के भर्ती होने तक उस पर नजर रख रही हैं। उन्होंने बताया कि टफ टाइम में जब भी उन्हें लगता कि उनका आत्मविश्वास कमजोर हो रहा है तो वह अपने हसबैंड सुहास एल वाई, डीएम नोएडा से बात करतीं हैं, जिससे उन्हें नई ऊर्जा मिलती है।

खुद व बच्चा संक्रमित लेकिन निभाई जिम्मेदारी

एडीशनल सिटी मजिस्ट्रेट च्योत्सना यादव के पास मुख्य जिम्मेदारी अस्पताल या घर में कोविड से दम तोड़ने वालों के लिए शव वाहन की व्यवस्था कराना था। यह जिम्मेदारी उन्हें नौ अप्रैल के करीब मिली। इसी बीच वह और उनका तीन साल का बेटा रुद्र भी संक्रमण की चपेट में आ गया। इस दौरान उनके सामने दोहरी चुनौती आई। एक तो बच्चे का ख्याल रखना और दूसरा समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को निभाना। ऐसी स्थिति में उनके हसबैंड डीएम बागपत राजकमल यादव ने उनका हौसला बढ़ाया। जिसकी वजह से उनमें ऊर्जा का संचार हुआ और अपने कर्तव्य को निभाया। कोरोना पीडि़त होने के दौरान भी हर कॉल अटेंड कर जरूरतमंदों को शव वाहन उपलब्ध कराती रहीं। अब वह बतौर प्रशासनिक प्रभारी के रूप में सीएचसी ऐशबाग की जिम्मेदारी भी निभा रही हैं और अपने एरिया में हर होम आइसोलेटेड पेशेंट की हेल्थ पर नजर रखने के साथ मेडिकल किट वितरण, कांटेक्ट ट्रेसिंग पर भी फोकस कर रही हैं। वह पुलिस से समंवय करके कोविड गाइडलाइंस का पालन न करने वालों के खिलाफ अभियान चला रही हैं।

मरीजों और तीमारदारों के बीच बनीं सेतु

एसीएम 4 पल्लवी मिश्रा व उनके हसबैंड अखिलेंद्र दुबे, डिस्ट्रिक प्रोग्राम ऑफिसर, लखनऊ संक्रमित हो गए थे। इसके बावजूद एसीएम अपनी जिम्मेदारियों से एक पल भी पीछे नहीं हटीं। मरीजों को अस्पतालों में भर्ती कराने से लेकर सेनेटाइजेशन समेत कई जिम्मेदारियां इन्होंने निभाईं। इंदिरानगर सीएचसी की बतौर प्रशासनिक प्रभारी के रूप में वह अपने क्षेत्र में सेनेटाइजेशन, होम आइसोलेटेड पेशेंट की हेल्थ, कांटेक्ट ट्रेसिंग और मेडिकल किट वितरण समेत कई बिंदुओं पर नजर रख रही हैं। वह खुद होम आइसोलेटेड पेशेंट्स से बात करके उनका हौंसला बढ़ा रही हैं। उनके पास ऐसे पेशेंट्स की भी जिम्मेदारी है जो गोमतीनगर, इंदिरानगर एरिया के अंतर्गत आने वाले अस्पतालों में एडमिट हैं। ये नियमित रूप से मरीजों और उनके तीमारदारों के बीच सेतु का काम कर रही हैं और पेशेंट्स की कंडीशन को डेली उनके तीमारदारों से शेयर करती हैं। उनका कहना है कि चुनौतियां कठिन जरूर थीं लेकिन परिवार ने उनका हर कदम पर साथ दिया।