लखनऊ (ब्यूरो)। लोग अक्सर शिकायत करते हैं कि वे खाना तो खूब खाते हैं, लेकिन उनका वजन नहीं बढ़ता। इतना ही नहीं, उन्हें कमजोरी महसूस होती है और वजन तक कम होने लगता है। अगर यह समस्या आपको भी है तो डॉक्टर्स के अनुसार यह इंफ्लेमेटरी बाउल डिजीज (आईबीडी) की समस्या हो सकती है। जो छोटी आंत में बैक्टीरियल लोड बढऩे के कारण होता है। यह खुलासा संजय गांधी पीजीआई के गेस्ट्रो विभाग के एचओडी प्रो। यूसी घोषाल की स्टडी में हुआ है।

दो तरह का होता है आईबीडी

प्रो। यूसी घोषाल ने बताया कि आईबीडी दो तरह की होती है। एक अल्सरेटिव कोलाइटिस और दूसरी क्रोहन डिजीज होता है। अल्सरेटिव कोलाइटिस बड़ी आंत में अल्सर बना देता है, पर वह छोटी आंत को अफेक्ट नहीं करता है। इसके लक्षणों में बार-बार लैट्रिन आना, आंव आना और खून गिरना शामिल होता है। वहीं, क्रोहन डिजीज बड़ी और छोटी आंत को अफेक्ट कर सकता है। यह दोनों समस्याएं आजकल लोगों में आम हो रही हैं।

एंटीबायोटिक ट्रीटमेंट से मदद

छोटी आंत में खाना पचता है और बड़ी आंत शरीर से गंदगी निकालने का काम करती है। बड़ी आंत में तमाम तरह के बैक्टीरिया होते हैं, लेकिन छोटी आंत में जब बैक्टीरिया की संख्या बढ़ती है तो जो खाना आप खाते हैं, वह शरीर के काम नहीं आता, क्योंकि उसे बैक्टीरिया खाने लगता है। इससे कमजोरी, वेट लॉस, दुबला-पतला और खून की कमी आदि समस्या होने लगती है। आईबीडी मरीज में यह समस्या कॉमन होती है। इसी को देखते हुए क्या छोटी आंत में यह बैक्टीरिया है, इसको लेकर रिसर्च हुई, जिसमें करीब 100 से अधिक लोगों को शामिल किया गया। इसके जरिए पता चला कि हेल्दी लोगों के मुकाबले आईबीडी वाले मरीजों में बैक्टीरिया लोड कई गुना अधिक होता है। यह समस्या क्रोहम डिजीज में ज्यादा बढ़ रही है। इससे बीमारी से लडऩे की क्षमता कम होगी। समस्या बढऩे पर एंटीबायोटिक ट्रीटमेंट से इसे ठीक किया जा सकता है।