लखनऊ (ब्यूरो)।
पहला इंपैक्ट
बस शेल्टर्स पर रुकेंगी बसें
अभियान के दौरान स्मार्ट सिटी के अंतर्गत राजधानी में जगह-जगह बनाए गए स्मार्ट बस शेल्टर्स की बदहाल स्थिति को प्रकाशित किया गया था। बस शेल्टर्स पर छाई बदहाली और जनता को हो रही परेशानियों की बात उठाई गई थी।
अब बदलेगी व्यवस्था
बदहाली का शिकार स्मार्ट बस शेल्टर्स की अब तस्वीर बदलने जा रही है। मेयर की ओर से स्पष्ट किया गया है कि प्रयास किया जाएगा कि सभी बस शेल्टर्स में बसें रुकने लगें, जिससे लोगों को बसों के इंतजार में भटकना न पड़े। वहीं बस शेल्टर्स में अगर कोई सुविधा नहीं है या बदहाल है, तो उसे भी दुरुस्त कराया जाएगा। इसके लिए परिवहन विभाग से समंवय स्थापित किया जाएगा।
स्मार्ट बस शेल्टर्स में बसें रुकने लगें, इसके लिए परिवहन विभाग को पत्र लिखा जाएगा। इसके साथ ही बस शेल्टर्स में पब्लिक को बेहतर सुविधाएं मिलें, इसके लिए भी होंगे।
संयुक्ता भाटिया, मेयर

दूसरा इंपैक्ट
अब चोरी नहीं होंगे डस्टबिन
स्वच्छ भारत मिशन के अंतर्गत राजधानी के 500 से अधिक प्वाइंट्स पर डस्टबिन सेट लगवाए गए थे। इस पर करीब 15 लाख रुपये खर्च हुए थे। डीजे आईनेक्स्ट के अभियान में बताया गया था कि किस तरह से 60 फीसद डस्टबिन कबाड़ हो गए हैैं और शहर की स्वच्छता पर दाग लग रहा है।
अब संस्थाओं को जिम्मेदारी
इस मामले को संज्ञान में लेते हुए स्वच्छ भारत मिशन के जिम्मेदार अधिकारियों ने डस्टबिन व्यवस्था को बेहतर बनाने की दिशा में कदम उठाने की तैयारी है। जो योजना बनाई गई है, उससे साफ है कि अब डस्टबिन न तो कोई चुरा सकेगा न ही उन्हें तोड़ सकेगा। नई योजना के अंतर्गत स्पष्ट है कि जहां भी डस्टबिन लगवाए जाएंगे, वहां एरियावाइज उनके रखरखाव की जिम्मेदारी निजी संस्थाओं को दी जाएगी। इसके लिए बकायदा टेंडर निकाले जाएंगेे। अगर इसके बाद कोई डस्टबिन चोरी होता है या टूटता है तो संस्था की जिम्मेदारी तय होगी।
शहर को स्वच्छ रखने के लिए ही जगह-जगह डस्टबिन सेट लगवाए जाते हैैं। मॉनीटरिंग न होने से अक्सर ये चोरी हो जाते हैैं। अब इनके रखरखाव की जिम्मेदारी निजी संस्थाओं को दी जाएगी।
डॉ अरविंद राव, प्रभारी, स्वच्छ भारत मिशन

तीसरा इंपैक्ट
एमआरआई के बिना जांच अधूरी
बलरामपुर अस्पताल में 2019 में सीएम ने एमआरआई जांच सुविधा का ऐलान करते हुए लोकापर्ण किया था। तीन वर्ष बीतने के बावजूद न तो बिल्डिंग पूरी हो पाई है न ही एमआरआई मशीन ही लग पा रही हंै। डीजे आईनेक्स्ट ने इस मुद्दे को प्रमुखता से छापा था। जिसे अस्पताल प्रशासन ने संज्ञान में लिया और जल्द मशीन लगवाने की दिशा में कदम आगे बढ़ाए। कार्यदायी संस्थान को जल्द बिल्डिंग का काम पूरा करने को कहा गया है।
सेंटर को भेजा गया प्रपोजल
एमआरआई मशीन करीब 5-15 करोड़ के बीच आती है। ऐसे में शासन स्तर से इसे खरीदा जाता है। मरीजों की समस्या को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग द्वारा प्रोजेक्ट इंप्लीमेंटेशन प्लान यानि पीआईपी बनाकर भेजा गया है। जिसके बाद उम्मीद है कि जल्द से जल्द एनएचएम के माध्यम से एमआरआई मशीन जल्द से जल्द उपलब्ध करा दी जाएंगी। जिसके बाद उसे बलरामपुर में स्थापित किया जाएगा।
एमआरआई मशीन बेहद महंगी आती है। इसके लिए सेंट्रल गवर्नमेंट को पीआईपी बनाकर भेजा गया है। उम्मीद है कि जल्द ही मशीन मिल जाएगी।
डॉ वेदब्रत सिंह, महानिदेशक चिकित्सा

चौथा इंपेक्ट
अब रोज हो रहे पांच चालान
वाहनों की रफ्तार पर ब्रेक लगाने के लिए स्पीडो मीटर तो आए थे लेकिन उनसे चालान नहीं किया जा रहा था। इस मुद्दे को भी डीजे आईनेक्स्ट ने प्रमुखता से उठाया था। जिसके बाद ट्रैफिक विभाग के अधिकारी एक्शन मोड में आए और स्पीडो मीटर से चालान काटना शुरू किया। अब करीब पांच चालान रोज इससे किए जा रहे हैं।
ओवर स्पीड का 2 हजार रुपये जुर्माना
ट्रैफिक नियमों के अनुसार, ओवर स्पीड का चालान होने पर वाहन स्वामी को दो हजार रुपये का जुर्माना भरना होता है। हालांकि हर दिन ट्रैफिक विभाग अलग-अलग मदों में चालान करता है। जैसे सीट बेल्ट, हेलमेट, नो पार्किंग, सांग साइट पार्किंग जैसे तमाम मदों में चालान होता है, लेकिन ओवर स्पीड का चालान ट्रैफिक पुलिस नहीं कर रही थी।
आईटीएमएस के तहत भी शहर के चार प्रमुख रूट पर जहां ट्रैफिक की रफ्तार ज्यादा है, वहां स्पीडो मीटर लगाए गए हैं। अब अभियान चलाकर नियमित रुप से रफ्तार संबंधी चालान किए जाएंगे।
सुभाष शाक्य, डीसीपी ट्रैफिक