लखनऊ (ब्यूरो)। केजीएमयू हॉस्पिटल के दोनों तरफ पांच सौ मीटर की परिधि में अवैध रूप से दुकानें सजी हैं। पांच सौ मीटर मेें न केवल दो सौ दुकानें सजी हैं बल्कि चार सौ से ज्यादा चार पहिया व दो पहिया वाहन रोड किनारे पार्क किए गए हैं। यह तस्वीर मंगलवार की है। इसको लेकर जब लोगों से बात की गई तो अकड़ दिखाते हुए उन्हें स्वीकारा कि हम पुलिस व नगर निगम को हर महीना एक हजार से दो हजार रुपये (मुंम्बईया भाषा में हफ्ता) देते हैं। मतलब साफ है कि केजीएमयू के बाहर दुकान लगाना है तो पुलिस और नगर निगम को महीना पहुंचाना पड़ेगा, नहीं तो दुकान नहीं लग सकती है।

ई-रिक्शा के मकड़ जाल से चौराहा पटा
केजीएमयू से शाहमीना रोड व चौक चौराहे तक ई रिक्शा का ऐसा मकड़ जाल फैला है कि बिना जाम से वाहन गुजर नहीं सकता है। वहां न तो चौराहे पर ट्रैफिक कंट्रोलर की ड्यूटी लगाई जाती है और न ही सिविल पुलिस कर्मी तैनात रहते हैं जबकि चौराहे पर पुलिस चौकी व पिकेट रहती है, लेकिन जाम का काम तमाम करने वाले पुलिस कर्मियों को फुरसत नहीं रहती है।

ट्रैफिक व्यवस्था पूरी तरह से ध्वस्त
चौक बाजार से चंद कदमों की दूरी पर एक मल्टी लेबल पार्किंग बनवाई गई है। पार्किंग की क्षमता चार पहिया के लिए 6 सौ व दो पहिया के लिए ढाई सौ गाडिय़ों की है, लेकिन न तो वहां दुकानदार व कर्मचारी अपनी गाडिय़ां वहां खड़ी करते हैं और न ही ग्राहक। आलम यह है कि पतली गलियों में दुकानदार व कर्मचारी अपनी गाडिय़ां खड़ी करते हैं, जिससे हर वक्त वहां जाम की स्थिति बनी रहती है।

हर बार अभियान कागज में
साफ तौर पर हाईकोर्ट ने आदेश दिए है कि किसी भी हॉस्पिटल के आस-पास न तो अवैध कब्जा होना चाहिए और न ही अवैध तरह से पार्किंग होनी चाहिए। केजीएमयू के आस-पास कोर्ट के नियम ताक पर हैं। यही नहीं हर बार समस्या को लेकर ट्रैफिक पुलिस, सिविल पुलिस, नगर निगम अभियान तो प्लान करते हैं, लेकिन वह अभियान कागजों तक सीमित रहता है। हर अभियान के 24 घंटे बाद ही दोबारा कब्जा हो जाता है।

केजीएमयू व चौक एरिया में अवैध पार्किंग के खिलाफ अभियान चलाया जा रहा है। ट्रैफिक विभाग ने हेल्पलाइन नंबर भी जारी किए हैं। शिकायत करने पर तत्काल एक्शन भी लिया जाता है।
-श्रवण कुमार सिंह, एडीसीपी ट्रैफिक