लखनऊ (ब्यूरो)। पुराने शहर के चरक और चौक चौराहों पर लोगों को लगभग रोज ही जाम से रूबरू होना पड़ता है। इस समस्या को दूर करने के लिए एक दशक से राजधानी पुलिस, लखनऊ कमिश्नरेट, ट्रैफिक पुलिस और नगर निगम समेत अन्य विभागों ने कई बार प्रयास भी किया। अफसरों ने भी अपनी पूरी ताकत झोंक दी। यहां तक कि चौराहों में कई बार बदलाव भी किया गए। रूट डायवर्जन के साथ-साथ वनवे और ट्रैफिक कंट्रोलर की भी ड्यूटी बढ़ाई गई, लेकिन आज भी समस्या खत्म नहीं हुई है। इच्छाशक्ति और सही प्लानिंग न होना बड़ी अड़चन बन रहा है।

ई-रिक्शा व अतिक्रमण से बिगड़ रहे हालात

चरक व चौक चौराहे पर ई-रिक्शा की अराजकता व रोड पर अतिक्रमण बड़ी परेशानी साबित होता है। चौक चौराहे पर पांच रूट का ई-रिक्शा का लोड आता है। नक्खास, आईटी, लाटूश रोड, कैसरबाग, ठाकुरगंज और वजीरगंज की सवारियों से भरे ई-रिक्शा यहां पहुंचे हैं। वहीं से सवारियां भरी भी जाती हैं। एक टाइम पर करीब 300 ई-रिक्शा का लोड चौराहे पर होने के चलते जाम की स्थिति बनी रहती है। चौक आने जाने वाले लोग भी ई-रिक्शा के जाम में फंस कर निकल नहीं पाते है। इसके अलावा रोड पर और फुटपाथ पर अवैध रूप से लगी दुकानें इस समस्या को और बढ़ाती हैं।

सुधार के लिए उठाए गए ये कदम

- चरक व चौक चौराहों के सौंदर्यीकरण के साथ चौराहों के फुटपाथ को कई बार खाली कराया गया।

- लोगों की पार्किंग समस्या को खत्म करने के लिए स्थाई पार्किंग कुछ दूर पर बनाई गई।

- दोनों चौराहों पर ट्रैफिक कंट्रोलर के साथ दो अलग-अलग दिशा में पुलिस चौकी बनाई गई।

- जाम से निपटने के लिए ट्रैफिक लाइट के साथ-साथ सीसीटीवी कैमरे लगाए गए।

- जाम व ई-रिक्शा के नेक्सेज को खत्म करने के लिए अफसर लगातार व्यापारियों व दुकानदारों से मीटिंग करते हैं।

- चौराहों से 200 मीटर दूर पर स्टैैंड का संचालन कराया गया, ताकि चौराहे जाम से मुक्त रहे।

ये करें काम तो मिल सकती है राहत

- चौक चौराहे के पास लंबे समय से फल व फूल मंडी खाली पड़ी है। अगर रोड व फुटपाथ पर लगने वाली दुकानों को वहां शिफ्ट किया जाए तो बहुत हद तक स्थिति सुधर सकती है।

- चौक चौराहे पर ई-रिक्शा के जंजाल को खत्म करने के लिए सभी रूट से आने वाले ई-रिक्शा को चौराहों से 200 सौ मीटर पहले ही रोक दिया जाए।

- चौक में सराफा व अन्य कई बड़ी मार्केट हैं। जहां खरीदारी करने वाले रोड पर पार्किंग करते हैं, अगर इन व्हीकल्स को स्थाई पार्किंग की सुविधा दी जाए तो हालत सुधर सकते हैं।

- ट्रैफिक विभाग के कर्मचारियों के साथ-साथ सिविल डिफेंस या किसी अन्य एजेंसी के कर्मचारियों को ट्रैफिक व्यवस्था के लिए ड्यटी पर लगाए जाए

- चौक से केजीएमयू तक ओवरब्रिज की भी जरूरत है, ताकि डबल रूट मिलने से ट्रैफिक प्रेशर कम हो।

क्या बोली पब्लिक

एक दशक से चौक व चरक चौराहे में ट्रैफिक व्यवस्था को लेकर कई बार प्रयोग किए गए, लेकिन कुछ दिन में हालात जस के तस हो जाते हैं। ऐसा कोई दिन नहीं होता जब लोग यहां पर जाम में न फंसते हों। कई बार तो विवाद की भी स्थिति बन जाती है। पुलिस व प्रशासन आज तक इस समस्या को खत्म नहीं कर पाया है। न जाने कब राहत मिलेगी।

- डॉ। मोहम्मद कासिफ

चौक चौराहे पर समस्या तभी खत्म हो सकेगी जब पुलिस, ट्रैफिक पुलिस, जिला प्रशासन, नगर निगम व अन्य विभाग एक साथ काम करें। इसके अलावा पब्लिक को भी अपनी जिम्मेदारी निभानी होगी। केवल बदलाव के काम नहीं चलेगा, उसे लागू कराने के लिए इच्छाशक्ति की भी जरूरत होगी। कागजों पर प्लान बना दिए जाते हैं, लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि उसे फॉलो करने वाले अपनी जिम्मेदारी नहीं निभाते हैं।

- दिनेश कुमार

सिटी के पॉश इलाके में ई-रिक्शा को बैन किया गया, लेकिन चौक व चरक चौराहे पर पांच एरिया के ई-रिक्शा का ट्रैफिक लोड आता है। कम से कम इन रूट्स के ई-रिक्शा के अलग-अलग एरिया में स्टैैंड बना दिया जाए तो चौराहों पर जाम से 50 फीसदी लोड कम हो जाएगा। अव्यवस्था के चलते सारे नियम कायदे टूट जाते हैं और वहां जाम के हालात बन जाते हैं। इससे आम आदमी को सबसे ज्यादा प्रॉब्लम फेस करनी पड़ती है।

- जमाल

जाम लगने का मेन कारण अतिक्रमण है। रोड के दोनों तरफ फुटपाथ पर छोटे-छोटे दुकानदार अपनी दुकानें लगा देते हैं। ठेले वाले कहीं भी खड़े हो जाते हैं। ट्रैफिक को इस ओर ध्यान देना चाहिए। ट्रैफिक पुलिस सिर्फ फाइन वसूलने में व्यस्त है। अब ऑटोमेटिक चालान भी कट रहा है, लेकिन सुविधा पर कोई ध्यान नहीं दिया जाता।

-माहिर हुसैन

चौक का ट्रैफिक सिस्टम काफी खराब है। हर दिन जाम का सामना करना पड़ रहा है। ट्रैफिक सिग्नल भी खराब है। ट्रैफिक व्यवस्था को हाईटेक करने के कई दावे किए गए। इन दावों के तहत चौक में ट्रैफिक सिग्नल में सुधार और ट्रैफिक के अन्य साधनों पर काफी पैसा खर्च किया गया है। हर अधिकारी आने के साथ ही यहां की ट्रैफिक व्यवस्था और चौराहों के जाम की समस्या को हल करने का दावा करता है।

-मो। फहीम अकबर