लखनऊ (ब्यूरो)। क्लास में ट्रैफिक नियमों का पाठ पढ़ाया जा रहा और स्कूल कैंपस के बाहर नियमों को तार-तार किया जा रहा है। ऐसे हालात शहर के हर बड़े स्कूल के सामने छुट्टी के समय देखने को मिल सकते हैं। स्कूल कैंपस के अंदर तो मैनेजमेंट व अनुशासन नजर आता है, पर स्कूल बिल्डिंग के बाहर स्कूल प्रशासन की लापरवाही के चलते हालात भयावह हो जाते हैं। बिल्डिंग के बाहर स्कूली वाहन व पैरेंट्स के वाहनों के बेतरतीब खड़े होने से आम पब्लिक के लिए जाम रूपी मुसीबत खड़ी हो जाती है।

आधी रोड पर पार्किंग, पैदल चलना मुश्किल

हजरतगंज स्थित लामार्ट्स गर्ल्स स्कूल की छुट्टी के दो टाइम हैं। पहली दोपहर 1.50 और दूसरी 2.30 बजे। हालांकि, केडी सिंह बाबू स्टेडियम वाली रोड पर 1 बजे से लेकर 3 बजे तक हालात बेकाबू हो जाते हैं। वहां से गुजरना किसी बड़े टारगेट को पूरा करने जैसा होता है। इसका असर चिरैयाझील से लेकर गोमती तट और सहारागंज मॉल, सिकंदरबाग चौराहा और केडी सिंह मेट्रो स्टेशन के साथ-साथ हिंदी संस्थान तक नजर आता है। चारों तरफ से ट्रैफिक ब्लॉक हो जाता है और मेन रोड पर भी इसका असर होता है। आधी रोड पर स्कूल व पैरेंट्स के वाहनों की पार्किंग और बीच रोड पर गाड़ी रोकर बच्चों को बैठाने के चलते पूरी रोड चोक हो जाती हैै।

सात ट्रैफिक कंट्रोल भी बेहाल, लगा रहा जाम

लामार्ट्स गर्ल्स स्कूल के बाहर सोमवार दोपहर सात ट्रैफिक कंट्रोलर को ड्यूटी पर तैनात किया गया था। जिसमें चार स्पेशल ट्रैफिक गार्ड और तीन ट्रैफिक पुलिस कर्मी हैं। वाहनों की रोड पर पार्किंग और आड़े-तिरछे खड़े वाहनों के चलते पूरी रोड चोक हो गई। ड्यूटी पर तैनात ट्रैफिक कंट्रोलर चाह कर भी जाम लगने से नहीं रोक सके। वहीं, स्कूली बच्चे भी जाम में फंसे और उनका पैदल चलकर रोड क्रास करना भी मुश्किल हो गया।

कई बार बने नियम, निर्देशों का नहीं हुआ पालन

केवल लामार्ट्स गर्ल्स स्कूल ही नहीं बल्कि शहर के तमाम बड़े स्कूलों के लिए जिला प्रशासन, ट्रैफिक पुलिस और संबंधित थानों की पुलिस ने पत्र लिखकर, मीटिंग करके सड़क को ट्रैफिक जाम से मुक्त कराने के लिए नियम कायदे बनाये गए। स्कूली वाहनों को स्कूल कैंपस की पार्किंग में खड़ा करना, छुट्टी के समय में बदलाव करना और स्कूल गेट तक वाहनों की इंट्री पर रोक लगाने का निर्देश जारी किया गया था, लेकिन न तो स्कूल मैनेजमेंट इन्हें फॉलो कर रहा है और न ही पैरेंट्स इसके लिए तैयार हो रहे हैं।

शुरू की गई थी कवायद

-स्कूलों की अलग-अलग समय पर छुट्टी की जाए ताकि स्कूल व पैरेंट्स के वाहन एक साथ रोड पर न पहुंचे

-स्कूल कैंपस के भीतर पार्किंग बनाए के दिए गए थे निर्देश

-पैरेंट्स व स्कूली वाहनों के चालक तक किए गए थे

-डीएम व पुलिस की तरह से स्कूल मैनेजमेंट को पत्र लिखने के साथ उनसे मीटिंग भी गई थी

-डीएम ने सभी बड़े स्कूलों से तीन दिन में कार्ययोजना की रिपोर्ट मांगी है

स्कूल मैनेजमेंट व प्रिंसिपल के साथ लगातार मीटिंग कर उन्हें आवश्यक दिशा-निर्देश दिए गए हैं। स्कूलों के बाहर होने वाली स्कूली वाहनों की पार्किंग पर रोक के लिए कहा गया है साथ ही वाहनों की पार्किंग स्कूल कैंपस में किए जाने को कहा गया है। बावजूद इसके कई स्कूल इसे फॉलो नहीं कर रहे हैं। जिला प्रशासन की तरफ से तीन दिनों के भीतर उनकी कार्ययोजना मांगी गई है।

-अजय कुमार, एडीसीपी ट्रैफिक