- वीआईपी शादियों, मुंडन, बर्थडे में गाडि़यां पार्क कराने के लिये भेजे जा रहे ट्रैफिक कॉन्सटेबल्स

- नहीं लिया जाता कोई शुल्क, मुफ्त में जारी है सरकारी सेवा

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LUCKNOW : अगर आपके घर में शादी, मुंडन या बर्थडे पार्टी है और आप रौब गांठना चाहते हैं तो लखनऊ ट्रैफिक पुलिस आपकी सेवा के लिये तैयार है। बस शर्त इतनी है कि या तो आप 'रसूखदार' होने चाहिये या फिर आपकी जान पहचान किसी नेता, मंत्री, विधायक या फिर शासन या पुलिस के किसी बड़े अफसर से हो। बस फिर क्या एक इशारे पर आपकी पार्टी स्थल के बाहर ट्रैफिक कर्मी गाडि़यां पार्क कराते नजर आएंगे। खास बात यह है कि इस 'स्पेशल' सेवा के लिये आपको जेब भी ढीली नहीं करनी पड़ेगी। रसूखदारों के दबाव में ट्रैफिक पुलिस की यह सेवा दशकों से जारी है लेकिन, कोई भी अधिकारी इस पर लगाम लगाने का 'रिस्क' लेने को तैयार नहीं है।

दी जाती है स्टाफ की कमी की दलील

राजधानी की सड़कों पर ट्रैफिक जाम की समस्या दिनो-दिन गहराती जा रही है। लोगों को पीक आवर्स में तो प्रमुख सड़कों में जाम का सामना करना ही पड़ता है, कई बार तो देररात भी पॉश इलाकों में जाम की समस्या से दो-चार होना पड़ता है। जब इस पर सवाल खड़े होते हैं तो ट्रैफिक पुलिस की ओर से स्टाफ की कमी की दलील दे दी जाती है। अगर हम लखनऊ ट्रैफिक पुलिस के स्टाफ के नियतन और उपलब्धता के आंकड़ों पर गौर करें तो उनकी यह दलील सही भी लगती है। वर्तमान में राजधानी ट्रैफिक पुलिस में 9 इंस्पेक्टर, 33 टीएसआई, 41 एचसीपी, 186 हेड कॉन्सटेबल और 326 कॉन्सटेबल उपलब्ध हैं। अगर उपलब्धता के आंकड़ों की स्वीकृत पदों से तुलना करें तो फिलहाल एक ट्रैफिक इंस्पेक्टर, 10 ट्रैफिक सबइंस्पेक्टर और 451 कॉन्सटेबल्स की कमी है।

10 महीने में 800 कॉन्सटेबल्स कर चुके हैं 'बेगारी'

ट्रैफिक पुलिस सूत्रों के मुताबिक, अगर इस वीआईपी या यूं कहें बेगारी की ड्यूटी के आंकड़ों पर गौर करें तो पता चलता है कि जनवरी से लेकर अक्टूबर तक कुल 412 पार्टियों को एंटरटेन किया गया। इन पार्टियों में कुल 800 ट्रैफिक कॉन्सटेबल्स की ड्यूटी लगाई गई। जनवरी में 80, फरवरी में 136, मार्च में 116, अप्रैल में 67, मई में 64, जून में 75, जुलाई में 35, अगस्त में 35, सितंबर में 111 और अक्टूबर में 81 ट्रैफिक कॉन्सटेबल्स को शादी, मुंडन, रिसेप्शन, बर्थ डे पार्टियों में ड्यूटी के लिये तैनात किया गया। इसका दुखद पहलू यह भी है कि जिन कॉन्सटेबल्स को शाम को पार्टियों में ड्यूटी के लिये भेजा जाता है और वे देररात तक वहां गाडि़यां पार्क कराते हैं, वे दिनभर सड़क पर ड्यूटी करके आते हैं। यानी वे थकान से चूर होते हैं। पर, अधिकारियों के आदेश का पालन उन्हें मजबूरन करना पड़ता है। हैरानी की बात है कि ट्रैफिक पुलिस में यह व्यवस्था दशकों से जारी है लेकिन, इस पर रोक लगाने को कोई अधिकारी तैयार नहीं है। जब इस बारे में एसपी ट्रैफिक से जानकारी मांगी गई तो उन्होंने इस पर कुछ भी बोलने से इंकार किया।