- सपा, बसपा व कांग्रेस को नुकसान, विपक्ष का बिखराव भाजपा के लिए फायदेमंद

- दस सीटों के चुनाव में भाजपा को नौ की आस, एक रहेगी सपा के खाते में

रुष्टयहृह्रङ्ख: राज्यसभा की दस सीटों पर होने वाले चुनाव में भारतीय जनता पार्टी का पलड़ा भारी रहना तय है। विधायकों की संख्या और विपक्ष के बिखराव के चलते भाजपा के खाते में नौ सीटें जाने की पूरी उम्मीद है। विपक्ष में केवल समाजवादी पार्टी का खाता ही खुल पाएगा यानी सपा को भी तीन सीटों का नुकसान उठाना पड़ेगा। सपा से सिर्फ रामगोपाल यादव ही फिर से राज्यसभा पहुंच सकेंगे। बसपा व कांग्रेस को खाली हाथ रहना पड़ सकता है।

आठ सीटें हैं खाली

विधायकों के वोट के आधार पर होने वाले इस चुनाव में संख्या बल की दृष्टि से भाजपा अपने सहयोगी दल व निर्दलियों का समर्थन मिलने के कारण विपक्ष पर बहुत भारी है। कुल 403 विधायकों वाली विधानसभा में आठ सीटें रिक्त हैं और सात पर उपचुनाव हो रहा है। राज्यसभा चुनाव के लिए मतदान होने तक तक विधानसभा उपचुनावों का परिणाम नहीं आ सकेगा, इसलिए हर सदस्य को जीत के लिए लगभग 37 वोट चाहिए। वर्तमान में भाजपा के पास 305 विधायक हैं और अपना दल के नौ व तीन निर्दल विधायकों का भी समर्थन मिल रहा है।

उधर विपक्षी दलों में से समाजवादी पार्टी के पास 48, बसपा के 18, कांग्रेस के सात और सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के चार विधायक हैं। ऐसे में विपक्ष केवल कोई साझा उम्मीदवार उतारकर ही चुनाव लड़ने की स्थिति में आ सकता है, जो मौजूदा परिस्थितियों में असंभव दिखता है। भाजपा को विपक्षी दलों में बगावत का लाभ भी मिलता दिख रहा है। कांग्रेस के सात में से दो विधायक तथा बसपा के भी 18 में से दो विधायक निलंबित चल रहे हैं। इसी तरह सपा में शिवपाल व नितिन अग्रवाल की मौजूदगी भी केवल कागजों में है।

तो भाजपा के होंगे 26 राज्यसभा सदस्य : राज्यसभा में उत्तर प्रदेश से 31 सदस्य चुने जाते हैं। वर्तमान में भाजपा के 17, सपा के आठ, बसपा के चार और कांग्रेस के दो सदस्य हैं। चुनाव के बाद राज्यसभा में उप्र भाजपा की हिस्सेदारी बढ़कर 26 सदस्य होने की उम्मीद है, जबकि अन्य दलों को नुकसान उठाना पड़ेगा। बड़ा उलटफेर नहीं हुआ तो सपा के पांच, बसपा के दो और कांग्रेस का एक सदस्य ही उत्तर प्रदेश से राज्यसभा में रह जाएगा।

जिनका कार्यकाल पूरा हो रहा है- समाजवादी पार्टी के प्रो.रामगोपाल यादव, जावेद अली, डा.चंद्रपाल सिंह यादव, रविप्रकाश वर्मा, भाजपा के अरुण सिंह, नीरज शेखर व हरदीप सिंह पुरी, बसपा के राजाराम व वीर सिंह और कांग्रेस के पीएल पुनिया।