-यूपी एसटीएफ ने प्रदेश भर में पेट्रोल पंपों में चिप के जरिए की जा रही घटतौली का किया था राजफाश

-इलेक्ट्रॉनिक तराजू में चिप-रिमोट के जरिए घटतौली के खुलासे के बाद बढ़ेगा जांच का दायरा

LUCKNOW : जालसाजी के खेल निराले हैं। यूपी एसटीएफ ने शनिवार को इलेक्ट्रॉनिक तराजू में चिप-रिमोट के जरिए घटतौली का खेल उजागर किया। हालांकि, यह पहला मौका नहीं जब इस तरह की जालसाजी का राजफाश हुआ है। यानी इस खुलासे ने यह साफ कर दिया कि प्रदेश में घटतौली का मायाजाल चारों ओर फैला है। दरअसल, इससे पहले वर्ष 2017 में एसटीएफ ने ही पेट्रोल पंपों में चिप-रिमोट के जरिए की जा रही धोखाधड़ी का खुलासा करते हुए दर्जनों पेट्रोल पंपों को सील किया था। हालांकि, उस वक्त पंप लॉबी के दबाव की वजह से एसटीएफ को भी बैकफुट पर आना पड़ा था और कार्रवाई को रोक दिया गया था। हालांकि, उस वक्त यह मान लिया गया था कि एसटीएफ की इस फर्जीवाड़े पर ताबड़तोड़ कार्रवाई से जालसाज अपनी करतूतों से बाज आएंगे लेकिन, इस नये खुलासे ने यह साबित कर दिया है कि जालसाज थमने वाले नहीं हैं और उन पर लगातार निगरानी बेहद जरूरी है।

लखनऊ से शुरू हुई थी कार्रवाई

पेट्रोल पंपों में चिप-रिमोट के जरिए की जा रही घटतौली का पहली बार खुलासा वर्ष 2017 में लखनऊ में ही हुआ था। उस वक्त एसटीएफ ने शहर के 20 पेट्रोल पंपों पर ताबड़तोड़ छापेमारी कर चिप से पेट्रोल-डीजल की चोरी पकड़ी थी। एसटीएफ की कार्रवाई से उस वक्त शासन तक में हड़कंप मच गया था। एसटीएफ की यह कार्रवाई यहीं नहीं रुकी बल्कि, इसका दायरा प्रदेश के कई अन्य जिलों हापुड़, वाराणसी, मेरठ, अलीगढ़, बरेली, प्रयागराज, कानपुर तक पहुंचा और एसटीएफ की लोकल यूनिट्स ने तमाम पेट्रोल पंपों में चोरी पकड़ी थी। जांच में यह भी सामने आया था कि इस गोरखधंधे में बांट-माप विभाग और ऑयल कंपनियों के अधिकारियों की भी मिलीभगत थी। लगातार चले अभियान के दौरान 43 पंपों के खिलाफ कार्रवाई भी की गयी थी।

पहले चिप फिर सॉफ्टवेयर में बदलाव कर चोरी

एसटीएफ की ताबड़तोड़ कार्रवाई से प्रदेश की पेट्रोल पंपों की लॉबी भी सकते में आ गयी थी। बताया जाता है कि इस लॉबी ने शासन पर कार्रवाई रोकने का दबाव बनाया था। जिसके बाद एसटीएफ बैकफुट पर आ गयी और कार्रवाई को रोक दिया गया। हालांकि, उस वक्त ऑयल कंपनियों ने यह दावा किया था कि वे अपने पंपों की खुद जांच करेंगे और घटतौली मिलने पर कार्रवाई की जाएगी। बताया गया था कि प्रदेश भर के करीब 1500 पंप राडार पर लिये गए हैं। हालांकि, वर्ष 2019 में घटतौली का जिन्न एक बार फिर सामने आया। इस बार पेनड्राइव के जरिए सॉफ्टवेयर में बदलाव कर चोरी का खुलासा हुआ था। इसके तहत डिस्पेंसिंग यूनिट से तेल चोरी करने के लिये एक सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल किया जा रहा था। सॉफ्टवेयर तैयार करने वाला गैंग इसे प्रति पेट्रोल पंप ढाई लाख रुपये में बेच रहा था। पेन ड्राइव के जरिए सॉफ्टवेयर पंप के मुख्य सिस्टम में अपलोड किया जाता था।

चिप-रिमोट का महाराष्ट्र कनेक्शन

यूपी एसटीएफ ने जब तहकीकात की तो पता चला था कि विभिन्न पेट्रोल पंपों में लगायी गयी चिप व रिमोट महाराष्ट्र के ठाणे और पुणे में बनाई गयी थी। पता चला कि चिप को ठाणे में चिप बनायी जाती थी जबकि, पुणे में इस चिप को ऑपरेट करने वाला रिमोट कंट्रोल बनाया जाता था। एसटीएफ ने उस वक्त विवेक शेटे और अविनाश नाइक को अरेस्ट किया था। जांच में पता चला था कि विवेक चीन से सामान मंगवाकर ठाणे में अपने वर्कशॉप पर चिप बनवाता था जबकि, रिमोट पुणे में अविनाश तैयार करता था। इस चिप की खास बात यह थी कि पंप मालिक जितना पेट्रोल-डीजल चोरी करना चाहे उस हिसाब से उसे एडजस्ट किया जा सकता था। इस चिप व रिमोट की कीमत महज तीन हजार रुपये थी। जिसे यूपी में फैले उसके एजेंट 15 से 25 हजार के बीच में लगाते थे।

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पंप घोटाले के कई आरोपी अब भी बाहर

प्रदेश के पेट्रोल पंपों पर रिमोट कंट्रोल व चिप से घटतौली का खुलासा करने के बाद दर्जनों पंप संचालकों को आरोपी बनाते हुए एफआईआर करायी गयी थी। इन सभी मामलों की जांच को क्राइम ब्रांच को ट्रांसफर कर दिया गया था। लेकिन, वह जांच अब तक पेंडिंग है और इस घटतौली से करोड़ों रुपये की कमाई कर चुके कई पंप मालिक अब तक कानून की पकड़ से दूर हैं। पुलिस सूत्रों के मुताबिक, सिर्फ लखनऊ में ऐसे एक दर्जन से ज्यादा पंप मालिक हैं, जिन पर पुलिस हाथ डालने से कतरा रही है।

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बढ़ेगा जांच का दायरा

इलेक्ट्रॉनिक तराजू में चिप-रिमोट के जरिए घटतौली का खुलासा होने के बाद एसटीएफ इसका दायरा पूरे प्रदेश में फैलाने जा रही है। इस खुलासे के बाद एसटीएफ को आशंका है कि इस चिप का इस्तेमाल अनाज खरीद केंद्रों में भी होने की पूरी संभावना है। जिससे किसानों को चूना लगाया जा सके। यूपी एसटीएफ के प्रभारी एसएसपी विशाल विक्रम सिंह ने बताया कि प्रदेश की सभी यूनिटों को एक्टिव कर दिया गया है और औचक जांच के निर्देश दिये गए हैं। इसके साथ ही तराजू घटतौली के मास्टरमाइंड दिनेश उपाध्याय को भी पुलिस कस्टडी रिमांड पर लेकर पूछताछ की जाएगी कि उसने कहां-कहां पर इस चिप को इंस्टॉल किया है।