- क्वीन मेरी अस्पताल के डॉक्टरों की टीम ने की जटिल सर्जरी

रुष्टयहृह्रङ्ख : कोरोना संक्रमित होना और उस पर बच्चेदानी का फटना। किसी भी प्रसूता और उसके परिवारजन के लिए हिम्मत तोड़ने वाली बात होगी। ऐसे समय में क्वीन मेरी अस्पताल के डॉक्टरों की टीम प्रसूता और उसके परिवार का संबल बनी। हालांकि गर्भस्थ शिशु को तो नहीं बचाया जा सका, पर जटिल सर्जरी के बाद प्रसूता की जान बच गई। क्वीन मेरी की डॉ। रेखा सचान, डॉ। मंजुलता वर्मा और डॉ। पुष्पलता शंखवार की टीम ने यह सफल ऑपरेशन किया। डॉक्टरों के अनुसार कोरोना के दौरान ऐसा पहला मामला सामने आया है।

सीरियस भी कंडीशन

बंथरा निवासी गर्भवती का यह पहला बच्चा था। अचानक बच्चेदानी फट गई थी। जब उसे क्वीन मेरी लाया गया, तो वह गंभीर हालत में थी। प्रसूता का कोविड टेस्ट भी पॉजिटिव आया। डॉ। रेखा सचान बताती हैं कि जब प्रसूता हमारे पास आई तो बच्चेदानी के आकार का सही आकलन नहीं हो पा रहा था। पल्स और बीपी लेस मरीज थी। गर्भस्थ शिशु की धड़कन भी नहीं सुनाई दे रही थी। ऐसे में हमने बच्चेदानी निकालने की बजाये उसे रिपेयर करने का निर्णय लिया। यूट्रस रिपेयर पहले भी कई बार किया है, पर कोरोना पॉजिटिव मरीज के साथ यह पहला केस था। महिला गंभीर एनीमिक भी थी उसका हीमोग्लोबिन 2.8 था। गर्भवती का ब्लड ग्रुप बी निगेटिव था, जो कहीं मिल नहीं रहा था। अस्पताल के ब्लड बैंक में हमें एक यूनिट निगेटिव ब्लड ही मिला। एक यूनिट ओ निगेटिव ब्लड साथ में लिया। दो प्लेटलेट्स, दो प्लाज्मा और दो यूनिट ब्लड के साथ सर्जरी शुरू की। कड़ी मशक्कत के बाद परिवारजनों ने बाद में तीन यूनिट ब्लड की और व्यवस्था की। डेढ़ घंटे चले ऑपरेशन के बाद प्रसूता को वेंटिलेटर यूनिट में शिफ्ट किया गया, तीन यूनिट ब्लड चढ़ाया गया। आखिरकार प्रसूता की हालत सही हो गई।

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यूट्रस फटने से खतरा

गर्भ ठहरने से लेकर बच्चे के जन्म तक शिशु मां के पेट में बच्चेदानी में सुरक्षित रहता है। बच्चेदानी के फटने पर गर्भ में पल रहे बच्चे और मां दोनों को खतरा हो जाता है। दरअसल, बच्चेदानी फटने पर शिशु अपनी मूल जगह से हट जाता है, जिससे उसे सुरक्षित रहने के लिए जरूरी ऊर्जा नहीं मिल पाती है। वहीं, प्रसूता के पेट में बहुत खून भर जाता है। ऐसी स्थिति में गर्भस्थ शिशु और मां दोनों का ही जीवन संकट में पड़ जाता है।

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यूट्रस का रखें ख्याल

डॉ। रेखा सचान बताती हैं कि बच्चेदानी जोड़ने लायक होती है तो जुड़ जाती है, कभी स्थिति इतनी खराब हो जाती है कि बच्चेदानी निकालनी पड़ती है। प्रोटीन, विटामिन, मिनरल्स की कमी और एनीमिया से गर्भाशय की मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं। सभी पोषक तत्वों से भरपूर संतुलित डाइट लें। सब्जियां, फल और डेयरी प्रोडक्ट्स को डाइट में जरूर शामिल करें। रोजाना कम से कम 30 मिनट तक पैदल चलें या व्यायाम करें। गर्भाशय की मांसपेशियों को लचीला और मजबूत बनाने के लिए योग भी बेहद कारगर है। गर्भावस्था के दौरान ये जरूर ध्यान दें कि गर्भस्थ शिशु का वजन कितना है। बच्चा सही दिशा में है या नहीं।