लखनऊ (ब्यूरो)। राजधानी में लोग महंगे वाहन तो खरीद रहे हैं लेकिन अपने वाहनों के लिए वीआईपी नंबरों की बुकिंग नहीं कर रहे हैं। साधारण नंबर डाल कर ही वाहन मालिक सफर कर रहे हैं। वीआईपी नंबरों की बुकिंग कम होने की वजह इसकी जटिल प्रक्रिया और इनका अत्यधिक महंगा होना बताया जा रहा है। इसी के चलते दो पहिया और चार पहिया वाहन मालिक वीआईपी नंबरों की बुकिंग नहीं करा रहे हैं। इस योजना के धराशाई होने से परिवहन विभाग को भी राजस्व का नुकसान उठाना पड़ रहा है।

एक लाख तक होती है कीमत

विभागीय अधिकारियों के अनुसार वीआईपी नंबरों की लिस्ट में शामिल 347 नंबरों को चार श्रेणियों में बांटा गया है। इन नंबरों की कीमत एक लाख, 50 हजार, 25 हजार और 12500 रुपए निर्धारित है। वीआईपी नंबर पाने के लिए वाहन मालिक को वाहन खरीदने से पहले इसके लिए आवेदन करना होता है। नंबर के लिए नीलामी की प्रक्रिया अपनाई जाती है। इसमें तीन लोगों को शामिल होना अनिवार्य है। तीन लोगों के न होने पर यह नंबर बेकार हो जाता है। ऐसे में आरटीओ कार्यालय को खासा नुकसान उठाना पड़ रहा है।

इन वजहों से घटी वीआईपी नंबरों की बुकिंग

- वीआईपी नंबर वाले वाहनों को आरटीओ कार्यालय में लॉक कर दिया जाता है। किसी तरह का कार्य होने पर पहले इसकी जानकारी एआरटीओ को देनी होती है, उसके बाद ही वाहन संबंधी कार्य कराया जा सकता है।

- सफर के दौरान वीआईपी नंबर होने पर चेकिंग के नाम पर कई जगह वाहनों को रोका जाता है।

- वाहन खरीदने से पहले वीआईपी नंबर बुक कराना पड़ता है।

- हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट की अनिवार्यता।

- वाहनों के वीआईपी नंबरों की बुकिंग के लिए जटिल आवेदन प्रक्रिया और नीलामी व्यवस्था।

- वीआईपी नंबरों के न्यूनतम कीमत अधिक होना।

पहले और अब वीआईपी नंबरों की बुकिंग की जानकारी

- पहले 343 नंबरों में 175 नंबर तक की बिक्री होती रही।

- अब 343 नंबरों में कम से कम एक और अधिकतम 50 नंबर ही बुक हो रहे हैं।

बीते पांच सीरीज में वीआईपी नंबरों की बुकिंग का हा

- 17 जून को नीलामी में 07 नंबर बिके

- 18 जुलाई को नीलामी में 08 नंबर बिके

- 25 जुलाई को नीलामी में 30 नंबर बिके

- 23 अगस्त को नीलामी में 09 नंबर बिके

- 30 अगस्त को नीलामी में 52 नंबर बिके