- 2009 में राजधानी में सिटी बसों का संचालन शुरू हुआ

- 240 सिटी बसों का संचालन हुआ

- 45 एसी बसें भी थी शामिल

- 40 बसें डिपो में खड़ी-खड़ी खराब हो गई

- 180 बसें इस समय चलने योग्य हैं

- 24 से अधिक बसों के टायर खराब

- 55 हजार से अधिक रोजाना पैसेंजर्स करते हैं सफर

- 5200 से अधिक पैसेंजर्स पिछले साल तक एसी बसों में करते थे सफर

- 25000 से अधिक एमएसटी जारी की गई

- 200 से अधिक एमएसटी एसी बसों की

- सुबह 6 बजे से रात 10 बजे तक सिटी बसों का होता है संचालन

- सिटी बस बेड़े में नहीं हैं एक भी एसी बसें

- एसी बसों की एमएसटी पर लगी रोक

- ई बसों के इंतजार में सिटी बस प्रबंधन

LUCKNOW: राजधानी की सिटी बसों में सफर करने वाले पैसेंजर्स इस बार एसी बस का आनंद नहीं उठा सकेंगे। इसकी वजह सिटी बस बेड़े में एक भी एसी बसों का न होना है। ऐसे में उन्हें मजबूरन साधारण सिटी बस में सफर के दौरान गर्मी का सितम झेलना पड़ेगा। सिटी बस प्रबंधन की मानें तो पैसेंजर्स को एसी बसों में सफर करने के लिए ई बसों का इंतजार करना होगा। वहीं अधिकारी जल्द ई बसों के आने की बात तो कह रहे हैं, लेकिन इसकी कोई निर्धारित समय सीमा नहीं बतायी जा रही है।

शुरू होने लगी एसी बसों की डिमांड

राजधानी में गर्मी के तेवर को देखते हुए पैसेंजर्स ने अभी से एसी बसों की डिमांड करनी शुरू कर दी है। मौसम बदलते ही अधिकांश पैसेंजर्स ने अभी से साधारण बसों की एमएसटी को एसी बसों में डायवर्ट करने के लिए चारबाग बस अड्डे पर एमएसटी ऑफिस में संपर्क करना शुरू कर दिया है। ऐसे में सिटी बस प्रबंधन ने बेड़े में एक भी एसी बस न होने की वजह से एसी बसों की एमएसटी बनाने पर रोक लगा दी है। इसकी वजह से पैसेंजर्स साधारण सिटी बसों में सफर करने को मजबूर हैं। सिटी बस प्रबंधन से जुड़े लोगों ने बताया कि पिछले साल गर्मी के सीजन में मात्र तीन एसी बसों का संचालन किया गया था, लेकिन इस बार वह भी चलने लायक नहीं हैं।

महकमे को ई बसों का इंतजार

सिटी बस प्रबंधन के अनुसार राजधानी में ई बसें (बैट्री से चलने वाली) आने वाली हैं, लेकिन यह कब तक आएंगी इसको लेकर संशय बना हुआ है। ई बसों में दस एसी बसें भी शामिल हैं। वहीं पैसेंजर्स को इन बसों के आने के बाद ही एसी बसों की सुविधा मिल सकेगी।

एसी सिटी बसों की डिमांड आने लगी है। ऐसे में पैसेंजर्स के लिए जल्द से जल्द कोई न कोई व्यवस्था की जाएगी। अभी एक भी एसी बस संचालन के लायक नहीं हैं। इन्हें ठीक कराकर रोड पर उतारा जाएगा।

आरिफ सकलेन

एमडी, सिटी बस प्रबंधन

रोड पर घट रही है सिटी बसों की फ्रीक्वेंसी

राजधानी की रोड पर सिटी बसों के संचालन की फ्रीक्वेंसी घटती जा रही है। एक दिन में जहां 150 सिटी बसों का संचालन किया जाता था, वहां इस समय केवल 100 सिटी बसों का संचालन हो पाता है। सिटी बस प्रबंधन के अनुसार एक सिटी बस रोजाना दो सौ किमी का सफर पूरा करती है और एक बस में एक हजार से अधिक पैसेंजर दिन भर में सफर करते हैं। अपनी निर्धारित उम्र पूरी कर चुकी सिटी बसें सिटी बस प्रबंधन के लिए बोझ बनती जा रही हैं। आलम यह है कि टायर न होने की वजह से इस समय लगभग 50 सिटी बसें खड़ी हैं जबकि पिछले माह सिटी बस प्रबंधन की ओर से मात्र आठ बसों के टायर ही बदले जा सके थे।

सिटी बसों की उम्र पूरी

जेएनएनआरयूएम योजना के तहत राजधानी में सिटी बसों का बेड़ा 2009 में राजधानी लाया गया था। 240 बसों के आने के बाद सिटी बसों ने राजधानी की सड़कों पर दौड़ना शुरू किया था। इस बस बेड़े में 45 एसी सिटी बसें भी लाई गई थी। सस्ता और सुरक्षित सफर मिलने की वजह से यह सेवा जल्द ही सफल हो गई, लेकिन सिटी बस प्रबंधन इन बसों के मेंटीनेंस की प्रॉपर व्यवस्था नहीं कर सका। ऐसे में कई बसें तो बिना चले ही खराब हो गई। हाल यह हुआ कि रोड पर दौड़ने वाली सिटी बसों के खराब होने पर डिपो में खड़ी नई बसों के पुर्जे निकाल कर पुरानी बसों में लगा दिए जाते। ऐसे में इस समय मात्र 180 बसों ही ऑनरोड हैं। इनमें पिछले कुछ दिन से कई बसें टायर न बदल पाने के कारण डिपो में खड़ी हो गई हैं।

कर्मचारियों को दो महीने से नहीं मिला वेतन

सिटी बस प्रबंधन के 1500 से अधिक ड्राइवर, कंडक्टर और कर्मचारी ऐसे हैं जिन्हें जनवरी का वेतन अब तक नहीं मिला है। कई कर्मचारी ऐसे भी हैं जिन्हें पिछले साल दिसंबर से अब तक वेतन नहीं दिया गया है। हर साल सिटी बसों के ड्राइवर-कंडक्टर को त्योहारों पर प्रोत्साहित करने के लिए प्रोत्साहन स्कीम आती थी। इस बार प्रोत्साहन स्कीम भी नहीं आई। ऐसे में इस बार दो, तीन और चार मार्च को 25 से 50 बसों का संचालन ही ऑन रोड हो सका। प्रोत्साहन स्कीम न आने से अधिकांश ड्राइवर और कंडक्टर ने छुट्टी ले ली। सेंट्रल रीजन वर्कशॉप कर्मचारी संघ के लखनऊ महानगर परिवहन सेवा के क्षेत्रीय मंत्री राजकमल सिंह ने बताया कई बार वेतन के लिए एमडी से मांग की जा चुकी है। वह हर बार बजट न होने का रोना रोते हैं। इतना ही नहीं बसों के मेंटीनेंस की व्यवस्था भी चौपट है। टायर तक बदलने के लिए सिटी बस प्रबंधन के पास धनराशि नहीं है।

अभी से ही गर्मी ने परेशान करना शुरू कर दिया है। ऐसे में लोग एसी बसों का रुख करेंगे। सिटी बस प्रबंधन को इसके लिए व्यवस्था करनी चाहिए।

नीरज पंत, हजरतगंज

साधारण बसों में भीड़ बढ़ती जा रही है, ऐसे में लोग एसी बसों में ही सफर करना बेहतर समझते हैं। यात्रियों की सुविधा के लिए एसी बसों का संचालन किया जाना चाहिए।

राजीव, चौक

एसी बसों के बिना इस गर्मी में तो सफर आसान नहीं होगा। सिटी बसों का सफर सस्ता और बेहतर होता है, तभी तो पब्लिक इसका रुख करती है। ऐसे में यात्रियों के प्रति भी सिटी बस प्रबंधन जिम्मेदारी बनती है, वह बेहतर सुविधा उपलब्ध कराएं।

पप्पू, कपूरथला

गर्मी में तो सभी एसी बसों से ही सफर करना चाहेंगे। सिटी बस न मिलने पर लोग अन्य विकल्प तलाशेंगे। गर्मी के चलते अभी से सफर में लोगों का पसीना छूटना शुरू हो गया है।

अभिषेक यादव