टॉपर नंबर वन

आईएएस बनना चाहती हैं ज्योति

- यूपी बोर्ड इंटरमीडिएट एग्जाम में किया टॉप

- पिता चलाते हैं परचून की दुकान

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LUCKNOW: प्रदेश में स्वच्छता और देश में करप्शन सबसे बड़ा इशू है। सिस्टम को इन दोनों इशू पर काम करने की जरूरत है। यह कहना है कि यूपी बोर्ड इंटरमीडिएट में यूपी की प्रथम टॉपर ज्योति राठौर का। ज्योति ने 97.ख् प्रतिशत पाकर पूरे प्रदेश में पहला स्थान हासिल किया है। परचून की दुकान चलाने वाले पिता विशाल राठौर की बड़ी बेटी ज्योति ने न केवल अपने घर का बल्कि पारा की पुरानी बस्ती में नई पहचान दी है। मां गीता क्क्वीं और पिता 8वीं क्लास तक ही पढ़ सके। उनका सपना था कि उनकी बेटियां पढ़-लिख कर उनका नाम रौशन करे। बुद्धिमान बेटी के एचीवमेंट के बारे में बस उनका कहना है कि यह ज्योति की लगन है। तीन बहनों में सबसे बड़ी ज्योति का सपना है कि वह आईएएस बने। आईएएस बनने के बाद वह बेसिक एजुकेशन और गांव को उन्नति के लिए काम करेगी। सिविल सर्विसेज की तैयारी के लिए ज्योति मैथ्स, फिजिक्स और स्टेस्टिक्स सब्जेक्ट चुना है। हाई स्कूल में 8म्.8 प्रतिशत अंक हासिल करने वाली ज्योति ने इंटरमीडिएट की तैयारी के दौरान ही तय कर लिया था कि उसे कम से कम 9भ् प्रतिशत तक पहुंचना है। हालांकि उससे इससे ज्यादा अंक हासिल कर अपने आप को साबित कर दिया कि मन में कुछ ठान ले तो उसे पूरा करने का जज्बा भी होना चाहिए। ज्योति का कहना है कि स्टडी के लिए कोई टाइम निर्धारित नहीं होना चाहिए। माइंड पीस फूल हो तो पढ़ाई पर पूरा ध्यान लगाने से सफलता का प्रतिशत बढ़ जाता है। दिन में सात से आठ घंटे पढ़ाई करने वाली ज्योति का कहना है कि एग्जाम टाइम केवल रिविजन का होना चाहिए। क्लास रूम में पढ़ाई पर ध्यान देने से अलग से टाइम देने की जरूरत नहीं पड़ती है। ज्योति के पिता विशाल और मां गीता का पढ़ाई से बहुत ज्यादा ताल्लुक नहीं रहा। पिता परचून की दुकान चलाते हैं जबकि मां हाउस वाइफ हैं। विशाल का कहना है कि मुझे इस बात की खुशी है कि मैं अपनी बेटी के नाम से पहचाना जा रहा हूं। गीता का कहना है कि क्क्वीं की पढ़ाई के बाद परिवार वालों ने पढ़ाई छुड़वा दी। मेरा आगे पढ़ने का बहुत मन था। मैंने ठान लिया था कि मैं ज्यादा नहीं पढ़ सकी, लेकिन अपनी बेटियों को इतना पढ़ाऊंगी कि वह खुद अपनी पहचान बना सके।

टॉपर नंबर टू

जरूरी है कॉम्पटीशन की भावना: मानसी जायसवाल

कहते हैं दोस्ती में नो कम्प्रोमाइज। हालांकि यह फंडा यूपी की सेकेंड टॉपर मानसी जायसवाल के लिए फिट नहीं है। क्योंकि मानसी का मानना है कि पढ़ाई में कॉम्पटीशन की भावना जरूर होनी चाहिए। मानसी की इसी भावना ने उसके चार दोस्तों के ग्रुप में तीन यूपी टॉपर हैं। प्रथम टॉपर ज्योति से उसका हमेशा कॉम्पटीशन रहा है। हालांकि ये वो कम्पटीटर है जो हर सुख और दुख साथ में बांटते है। प्रदेश में सेकेंड पोजीशन पाने वाली लखनऊ पब्लिक स्कूल स्टूडेंट मानसी जायसवाल ने 97 प्रतिशत अंक हासिल किए है। इसके पीछे वह अपने फेंड्स ग्रुप, टीचर्स और अपने बड़े भाई को क्रेडिट देती है। दिन भर किताबों से जूझने के मतलब पढ़ाई नहीं होता। मानसी का कहना है कि वह हर रोज घर में तीन घंटे पढ़ाई करती है। स्कूल करने के बाद वह डांसिंग क्लास और स्पोटर््स भी करती है। बस पढ़ाई की टाइमिंग और कंसनट्रेट होना जरूरी है। हाई स्कूल में 8म् प्रतिशत अंक आने के बाद इंटरमीडिएट में टॉपर बनने की अलख उसके बड़े भाई रिषभ ने जगाई थी। रिषभ ने इलेक्ट्रानिक्स से बी.टेक किया, लेकिन फैमिली प्रॉब्लम के चलते फादर का बिजनेस ज्वाइन कर लिया। रिषभ के मार्ग दर्शन में मानसी ने कंप्यूटर और इंग्लिश को फोकस कर अपनी तैयारी शुरू की। मानसी बीसीए करना चाहती है। जिसके लिए उसने तैयारी भी शुरु कर दी।

टॉपर नंबर थ्री

यूथ को चलाना चाहिए देश: मो। कासिफ

देश की तरक्की तभी हो सकती है जब किसान और मजदूर खुश रहेंगे। देश को उन्नति के रास्ते पर यूथ ही ले जा सकता है। नई सोच से ही तस्वीर बदल सकती है। यह कहाना है कि यूपी के थर्स टॉपर लखनऊ पब्लिक स्कूल के टॉपर मो। काशिफ अंसारी का। काशिफ ने इंटरमीडिएट में 9म्.म् प्रतिशत अंक प्राप्त किए है। जबकि हाई स्कूल में उसके 8म्.म् प्रतिशत नंबर आए थे। चौक के चाबदारी में रहने वाले डिजाइनर मो। आसिफ का बेटा काशिफ इंजीनियर बनना चाहता है। उसकी मां तब्बशुम का सपना है कि वह इंजीनियर बने। हाई स्कूल के बाद इंटर में उसने पहले ही तय कर लिया था कि उसे टॉपर बनना है। हालांकि उसे इस बात का मलाल है कि कुछ नंबर से दो पायदान नीचे है, लेकिन इस बात की खुशी भी है कि उसकी दोस्त ज्योति और मानसी पहले और दूसरे स्थान पर है। काशिफ का कहना है सफलता एक दिन में नहीं मिलती। इसके लिए सही प्लान और टाइमिंग का रोल बहुत महत्वपूर्ण होता है। ग्रुप डिस्कशन स्टडी का सबसे बड़ा सॉल्यूशन है। स्कूल में पढ़ाई के साथ अगर हम दोस्तों के बीच उस प्वाइंट को डिस्कश करते है तो सब्जेक्ट रूटीन की तरह हमारे जहन में बस जाता है। काशिफ का कहना है कि वह पढ़ाई के साथ वीडियो गेम्स का क्रेजी है। बैडमिंटन खेलना पसंद है। इंटर का रिजल्ट आने से पहले ही काशिफ ने यूपीटीयू, आईआईटी, एससीआरए और जीएमआई की तैयारी शुरु कर दी।

टॉपर नंबर फोर

टाइम मैनेजमेंट से मिली सफलता: श्याम जायसवाल

अगर सफलता हासिल करनी है तो टाइम मैनेजमेंट बहुत जरूरी है। एक-एक पल कीमती होता है जब आपका एग्जाम होता है। यह कहना है लखनऊ पब्लिक स्कूल के क्ख्वीं क्लास में यूपी के फोर्थ टॉपर रहे श्याम जायसवाल का। श्याम ने 9म्.ब् प्रतिशत अंक प्राप्त कर प्रदेश में चौथे स्थान पर काबिज है। बुद्देश्वर में रहने वाले निर्मल जायसवाल एक प्राइमरी स्कूल में सहायक टीचर के पद पर है। माली हालत बहुत अच्छी न होने के बाद भी वह अपने बच्चों के लिए उच्च शिक्षा देना चाहते हैं। श्याम अपनी सफलता का फंडा बताते हैं कि स्कूल में क्लास के बाद जब वह दोस्तों के साथ घर लौटता था, तो रास्ते में साइकिलिंग के दौरान क्लास स्टडी को दोस्तों से शेयर करता था। जिससे उसकी तैयारी और ज्यादा पुख्ता हो जाती थी। श्याम मैकेनिकल इंजीनियर बनना चाहता है। इसके लिए उसने यूपीटीयू का फॉर्म भी भरा है।

टॉपर नंबर फाइव

बनना चाहती हूं खगोलशास्त्री: दिव्यांशी

इंटरमीडिएट में 9म्.ख् मा‌र्क्स के साथ स्टेट में फिफ्थ रैंक हासिल करने वाली दिव्यांशी खगोलशास्त्री बनना चाहती हैं। जिसके लिए ही वह लगातार मेहनत कर रही थी। दिव्यांशी ने बताया कि लगातार मेहनत और कंसंट्रेशन से सफलता अपने आप मिलती चली जाती है। वह कहती हैं कि टीचर्स ने जो पढ़ाया उसे मन लगाकर रिवीजन करना उनका मेन उद्देश्य था, जिससे वह इस मुकाम पर पहुंची। दिव्यांशी के फादर दिनेश तिवारी गवर्नमेंट जॉब करते हैं और मां ऊषा तिवारी हाउस वाइफ हैं। दिव्यांशी की सफलता पर निदेश ने कहा कि उनकी बेटी ने मान बढ़ा दिया। उनकी बड़ी बेटी इंजीनियर है। दिव्यांशी का मानना है कि कोचिंग संस्थानों को बंद कर देना चाहिए। स्कूल के टीचर बच्चों पर स्कूल में ही फोकस करें तो बच्चों को फायदा होगा। दिव्यांशी से पूछा गया कि अगर एक दिन के लिए सीएम बना दिया जाए तो वह क्या करेंगी? इस पर दिव्यांशी का कहना है कि यूपी से क्राइम को पूरी तरह खत्म करना चाहूंगी। सजा इतनी सख्त मिले कि क्रिमिनल्स क्राइम करने से पहले दस बार सोचें।