- वेलेंटाइन वीक का दूसरा दिन प्रपोज डे के रूप में मनाया जाता है

- रोज डे पर राजधानी की फिजाओं में बिखरी प्यार की खुशबू

LUCKNOW: वेलेंटाइन वीक का पहला दिन रोज डे रविवार को राजधानी में यंगस्टर्स ने धूमधाम से मनाया। इस दौरान यंगस्टर्स ने अपनों को गुलाब का फुल देकर अपने दिन की बात उनसे कही।

फिजाओं में महका प्यार

दिल की बात जब सुर्ख लाल गुलाब के साथ बोली जाए तो उसके मायने ही अलग होते हैं। तभी तो वेलेंटाइन वीक के पहले दिन रोज डे पर लोगों ने गुलाब के साथ बड़े ही प्यार और मोहब्बत भरे अंदाज में अपने दिल की बात अपनों तक पहुंचाई। पार्क और रेस्टोरेंट में यंगस्टर्स हाथों में लाल, पीले, पिंक आदि रंगों के गुलाब अपने स्पेशल-वन को गिफ्ट करते दिखे। इस दौरान कई यंगस्टर्स ने अपनों को सिंगल गुलाब दिया तो किसी ने आर्डर देकर बनवाए स्पेशल बुके भी दिए।

बाक्स

बात जो दिल को छू गई

वेलेंटाइन वीक का दूसरा दिन प्रपोज डे के रूप में मनाया जाता है। इस दिन लोग उसे प्रपोज करते हैं, जो उनकी लाइफ में सबसे खास होता है। और वह उसके साथ ही जिंदगी बिताना चाहता है।

कोट

कहानी जरा फिल्मी है

मेरी सौरभ से पहली मुलाकात एमबीबीएस की पढ़ाई के दौरान हुई। वो मेरे सीनियर थे। किसी बात को लेकर उनसे मेरा झगड़ा हो गया और फिर हमने उनसे एक साल तक बात नहीं की। मेडि-फेस्ट के दौरान हम दोनों को डांस पार्टनर बनाया गया। फिर क्या था, हम दोनों की दोबारा बातचीत शुरू हो गई। प्रपोज डे पर उन्होंने मुझे प्रपोज किया लेकिन मैंने हां तीन महीने बाद कही और फिर कुछ समय के बाद हम शादी के बंधन में बंध गए।

डॉ। शीतल वर्मा, केजीएमयू

12 साल बाद हुई शादी

मैं और इंदुलता 95 बैच में साथ थे और हमारा होम टाउन भी एक ही था। 97 में मैंने उन्हें फोन पर प्रपोज कर मिलने आने को कहा लेकिन उन्होंने मना कर दिया। मेरा दिल टूट गया और इसकी जानकारी दोस्तों ने इंदुलता को दी तो उन्होंने कहा कि मैं दोस्ती कर सकती हूं। दोस्ती आगे बढ़ी और हम बाद में फैकल्टी बन गए। जब जाकर हम दोनों ने इस बारे में घर वालों को बताया। प्रपोज करने के 12 साल बाद 2009 में हम दोनों की शादी हो गई।

डॉ। संदीप साहू, पीजीआई

बंध गए शादी के बंधन में

शैलजा और हम एक ही कॉलेज में एक ही बैच के स्टूडेंट थे। कॉलेज में हम दोनों की पहली मुलाकात क्लास के दौरान हुई। उस समय हम दोनों वेलेंटाइन वीक साथ-साथ ही मनाते थे। धीरे-धीरे हम दोनों में बातचीत बढ़ती गई और फिर मैंने उसे प्रपोज कर दिया, जिसे शैलजा ने स्वीकार कर लिया। आज भी हम दोनों अपने उन पुराने दिनों को याद करते हैं। सच में प्रपोज डे का अपना अलग ही महत्व है।

डॉ। अमित आर्या, केजीएमयू

बाक्स

9 फरवरी

चाकलेट डे