लखनऊ (ब्यूरो)। डॉ पियाली ने बताया कि महिलाओं को डिलीवरी के तुरंत बाद बच्चे को अपना दूध जरूर पिलाना चाहिए। यह महिलाओं और बच्चों दोनों के लिए जरूरी है। इससे बच्चा निमोनिया और डायरिया से बचता है। वहीं महिलाओं की बच्चेदानी संकुचित होती है और ब्लड का बहाव कम हो जाता है। इससे महिलाओं में कैंसर की आशंका कम हो जाती है।
आशा व एएनएम को जागरूक करें
केजीएमयू की पीडियाट्रिक विभाग की डॉ। माला कुमार के मुताबिक महिलाओं द्वारा बच्चे के जन्म के पहले घंटे में बच्चे का दूध पिलाने में कमी की बड़ी वजह आशा और एएनएम में जागरूकता की कमी भी है। जबकि इसके बारे में गर्भवती महिलाओं को जागरूक करना इनकी बड़ी जिम्मेदारी है। इसके लिए हर स्तर पर इसकी निगरानी करना बेहद जरूरी है। क्योंकि अगर जन्म के एक घंटे के अंदर बच्चे का मां का दूध मिल जाये तो बच्चे के मरने की संभावना 22 फीसदी तक कमी आ सकती है।
हालात क्यों खराब हो रहे
पीजीआई की पीडियाट्रिशियन डॉ। पियाली भट्टाचार्य के अनुसार वैसे तो ब्रेस्टफीडिंग कम होने के पीछे कई कारण हैं, लेकिन इनमें से कुछ प्रमुख कारण निम्न हैं जो शहरी एरिया में अधिक देखने को मिल रहे हैं, इनमें से प्रमुख कारण निम्न हैं
- वर्किंग मदर की संख्या में इजाफा होना
- महिलाओं में तनाव का बढ़ना
- सिजेरियन डिलीवरी की संख्या अधिक होना
- फिगर खराब होने की भ्रांति का होना

इस तरह समझें
वर्ष ब्रेस्टफीडिंग की दर
2015-16 25.2 फीसद
2021-22 23.9 फीसद
नोट- नेशनल फैमली हेल्थ सर्वे-5 की रिपोर्ट के अनुसार, जन्म से एक घंटे के अंदर बच्चे को मां का दूध पिलाया जाना।

अर्बन और रूरल एरिया में अंतर
- अर्बन एरिया में 24.9 फीसद महिलाएं डिलीवरी के एक घंटे के अंदर बच्चे को अपना दूध पिलाती हैं।
- रूरल एरिया में 23.7 फीसद महिलाएं डिलीवरी के एक घंटे के अंदर बच्चे को अपना दूध पिलाती हैं।
नोट- दोनों ही एरिया में करीब 75 फीसद बच्चों को जन्म के एक घंटे के अंदर मां का दूध नहीं मिल पाता है।

जन्म के पहले घंटे में ब्रेस्टफीडिंग के फायदे
- बच्चे का आईक्यू लेवल बढ़ता है
- दिमाग का विकास तेजी से होता है
- निमोनिया व डायरिया से बचाव
- मृत्युदर में 22 फीसदी तक कमी
- बच्चे का संपूर्ण विकास होता है

एक घंटे के अंदर मां का दूध मिलने से बच्चे का आईक्यू लेवल 6 से 7 प्वाइंट तक बढ़ता है। इसलिए मां को ब्रेस्टफीडिंग जरूर करानी चाहिए।
डॉ पियाली भट्टाचार्य, केजीएमयू

आशा व एएनएम को ब्रेस्टफीडिंग के प्रति जागरूक करना होगा, ताकि वो गर्भवतियों को इसके फायदे के बारे में जागरूक कर सकें।
डॉ माला कुमार, केजीएमयू