लखनऊ (ब्यूरो)। पीडि़ता का आरोप है कि सितंबर 2018 में उनकी नियुक्ति हुई थी। नियुक्त होने के बाद से रजिस्ट्रार उन पर गलत नजर रखते थे। कई बार उन्होंने करीब आने की कोशिश की और करियर खराब करने की धमकी दी। आरोपित जब अपनी मंशा में सफल नहीं हुए तो उन्होंने अपने साथियों का सहारा लिया। अन्य आरोपित भी महिला पर रजिस्ट्रार की बात मान लेने का दबाव बनाते थे।

छेेड़छाड़ का आरोप

आरोप है कि दो जनवरी को डायङ्क्षनग हाल में पीडि़ता को अकेला देखकर रजिस्ट्रार ने छेड़छाड़ शुरू कर दी। किसी तरह पीडि़ता आरोपित के चंगुल से बाहर निकलीं। पीडि़ता ने वीसी को लेटर लिखकर पूरे मामले की जानकारी दी और कार्रवाई की मांग की। पीडि़ता का कहना है कि आरोपितों के दबाव में यूनिवर्सिटी प्रशासन ने कोई कार्रवाई नहीं की। यही नहीं, उल्टा पीडि़ता को ही गलत बता दिया। परेशान होकर पीडि़ता ने पारा थाने में शिकायत की, जिसके बाद पुलिस ने रिपोर्ट दर्ज की है।

सभी आरोपों का निराधार बताया

इस संबंध में एग्जाम कंट्रोलर डॉ अमित कुमार राय का कहना है कि महिला की ओर से लगाए गए सभी आरोप निराधार हैं। महिला के खिलाफ जांच चल रही है, जिसे प्रभावित करने के लिए उसने झूठा मुकदमा लिखवाया है। पूरे मामले की निष्पक्षता से जांच होगी तो सारी सच्चाई उजागर हो जाएगी। रजिस्ट्रार समेत अन्य पर मनगढ़ंत आरोप लगाए गए हैं।