लखनऊ (ब्यूरो)। इस बार निकाय चुनाव में युवा शक्ति के साथ-साथ महिला शक्ति भी अपना दम दिखाती नजर आएंगी। निकाय चुनाव के करीब आते ही संभावित महिला प्रत्याशियों ने भी अपने वोट बैैंक को मजबूत करने का काम शुरू कर दिया है। खास बात यह है कि महिला प्रत्याशियों की ओर से वोट बैैंक मजबूत करने के लिए अलग तरह की रणनीति बनाई जा रही है। उनका पूरा फोकस वार्ड की महिला वोटर्स पर है साथ ही उनकी ओर से युवा शक्ति पर भी फोकस किया जा रहा है।

सीट आरक्षण का इंतजार

महिला प्रत्याशियों की ओर से सीट आरक्षण का इंतजार किया जा रहा है। अभी तक सीट आरक्षण की तस्वीर साफ न होने से प्रत्याशी संशय की स्थिति में हैं। हालांकि, कई संभावित प्रत्याशियों का कहना है कि 70 से अधिक वार्ड सामान्य श्रेणी के होंगे, जबकि सामान्य और ओबीसी की चार सीटें बढ़ रही हैैं। इसके साथ ही पांच से सात वार्डों की सीट महिला हो सकती हैं। वार्ड आरक्षण की तस्वीर साफ होने के बाद ही सीट संबंधी तस्वीर साफ हो जाएगी।

प्रमुख वार्डों में बदलेगा समीकरण

अगर प्रमुख वार्डों की सीट महिला हो जाती है तो साफ है कि इन वार्डों में चुनावी समीकरण बदल सकता है। एक तरफ तो नए चेहरे चुनावी मैदान में उतरेंगे, वहीं दूसरी तरफ महिला सीट होने पर वर्तमान पार्षद अपनी पत्नी को चुनावी मैदान में उतारेंगे, जिसकी वजह से पार्षद के वोटर्स के कटने का खतरा कम हो जाएगा। वहीं, नए चेहरे इसी वोट बैैंक में सेंध लगाने के लिए अलग-अलग तरह से कवायद करेंगे, ताकि चुनावी मैदान में वे अपनी जीत सुनिश्चित कर सकें।

सोमवार तक आरक्षण

पूरी संभावना है कि सोमवार शाम तक सीट आरक्षण की तस्वीर साफ हो सकती है। अगर ऐसा होता है तो संभावित पार्षद प्रत्याशियों के पास करीब डेढ़ माह का समय रहेगा। इस समयावधि में उन्हें अपना वोट बैैंक मजबूत करने का मौका मिल जाएगा। वहीं, अगर सीट समीकरण बदलता है तो संभावित प्रत्याशियों को नए सिरे से चुनावी रणनीति बनानी होगी, जिसमें कुछ वक्त लग सकता है। निगम प्रशासन की ओर से सीट आरक्षण संबंधी रिपोर्ट शासन के पास भेजी जा चुकी है। शासन की ओर से स्वीकृति मिलते ही सीट आरक्षण जारी कर दिया जाएगा। नया परिसीमन होने से सीट आरक्षण की तस्वीर अपना अहम रोल निभाएगी।

एजेंडे पर फोकस

जो प्रत्याशी पहली बार चुनावी मैदान में उतरने की तैयारी कर रहे हैैं, उनकी ओर से चुनावी एजेंडा तैयार किया जा रहा है। चुनावी एजेंडे में मुख्य रूप से बदहाल रोड, पार्क और स्ट्रीट लाइट का मुद्दा शामिल किया जा रहा है। इसके साथ ही कई संभावित प्रत्याशियों की ओर से महिला सुरक्षा का भी मुद्दा उठाने संबंधी तैयारी की गई है। इस मुद्दे के माध्यम से वार्ड की महिला शक्ति को साथ लाने की तैयारी की जा रही है। इसके साथ ही कई संभावित प्रत्याशियों की ओर से व्यापारियों को परेशान करने वाली टैक्स संबंधी व्यवस्था का भी मामला उठाने की तैयारी की जा रही है।

सीटों के आधार पर रणनीति

चूंकि अभी तक वार्ड आरक्षण की अधिसूचना जारी नहीं हुई है लेकिन संभावित पार्षद प्रत्याशियों को इसकी भनक लग चुकी है। इसे ध्यान में रखते हुए पार्षद प्रत्याशियों की ओर से इसके आधार पर तैयारियां तेज कर दी गई हैैं। जिन तीन वार्डों में एससी और ओबीसी की सीट आरक्षित हुई हैं, वहां पर पार्षद प्रत्याशियों की ओर से नए सिरे से चुनावी रणनीति बनाई जा रही है, ताकि चुनाव परिणाम को अपने पक्ष में किया जा सके। वहीं दूसरी तरफ, दिग्गज पार्षद भी अपनी सीट बचाने के लिए जोर अजमाइश कर रहे हैैं।

निर्दलीय उतरने की तैयारी

भले ही अभी तक निकाय चुनाव की तारीख तय न हुई हो, लेकिन वार्डों में प्रत्याशियों की ओर से अपने स्तर से वार्डों में मौखिक चुनावी प्रचार तेज कर दिया गया है। चुनावी मैदान में उतरने वाले संभावित प्रत्याशी सुबह से लेकर रात तक वार्डों में घूम-घूमकर अपने पक्ष में अधिक से अधिक वोटर्स को लाने की तैयारी कर रहे हैैं। संभावित प्रत्याशियों का यह भी मानना है कि अगर उन्हें अपनी पार्टी से टिकट नहीं मिलता है तो वे निर्दलीय ही चुनावी मैदान में उतरेंगे।