लखनऊ (ब्यूरो)। अस्थमा की समस्या लगातार बढ़ती जा रही है। खासतौर पर युवाओं में यह समस्या और तेजी से बढ़ रही है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि अगर किसी में अस्थमा की समस्या गंभीर है और दवाओं से खास फायदा नहीं मिल रहा है तो एक बार किसी साइकियाट्रिस्ट को दिखा लें, क्योंकि स्ट्रेस व एंग्जायटी आदि के कारण भी अस्थमा की समस्या बढ़ सकती है। केजीएमयू के साइकियाट्री विभाग में इस तरह के मामले रोजाना आ रहे हैं। केजीएमयू के साइकियाट्री विभाग के डॉ। आदर्श त्रिपाठी के मुताबिक, जब कोई स्टे्रस में आता है, तो उसको अस्थमा होने की संभावना हो सकती है। अस्थमा वैसे तो बायोलॉजिकल समस्या है, पर स्ट्रेस होने से हार्मोन इम्बैलेंस होने पर इम्युनिटी डिस्टर्ब होती है। ऐसे में, अगर छींक आना, सांस लेने में समस्या या फिर सीटी जैसी आवाज आये तो समझ लेना चाहिए कि स्ट्रेस की वजह से अस्थमा की समस्या है। हमारे विभाग में दूसरे विभाग से कई मरीज रेफर होकर आते हैं, जिनकी कंडीशन थोड़ी गंभीर होती है। ऐसे में, उनको साइकियाट्रिक ट्रीटमेंट की भी जरूरत है। ऐसे दो-चार पेशेंट ओपीडी में रोजाना आते हैं।

युवाओं में समस्या ज्यादा

डॉ। आदर्श के मुताबिक, अस्थमा वैसे तो फिजिकल प्राब्लम है, पर साइकियाट्रिक कॉज होने पर पेशेंट को स्टे्रस मैनेजमेंट सिखाया जाता है। दरअसल, अस्थमा की साइकियाट्रिक वजह कई हो सकती हैं। स्टूडेंट्स में एग्जाम का स्ट्रेस, आफिस में नया प्रोजक्ट या नया काम मिलने का स्टे्रस, हाउसवाइफ पर काम का बोझ बढ़ना आदि शामिल है। यह समस्या 15 से 35 साल की उम्र वालों में ज्यादा देखने में आती है। यह समस्या साइकोसोमेटिक डिसआर्डर के तहत होती है, जिसमें स्ट्रेस लेवल बढ़ जाता है।

बचाव के यह उपाय

- ब्रीथिंग एक्सरसाइज

- योग

- स्ट्रेस मैनेजमेंट

- ज्यादा सीरियस वालों को दवा

अस्थमा के गंभीर मरीजों में स्ट्रेस भी परेशानी का बड़ा कारण हो सकता है। ऐसे में, एक बार अपने डॉक्टर से कंसल्ट कर किसी साइकियाट्रिस्ट को जरूर दिखा लें।

- डॉ। आदर्श त्रिपाठी, केजीएमयू