- पूरे विश्व और अपने देश से कोरोना के खात्मे के लिए करें विशेष दुआ

LUCKNOW:

अल्लाह के इंआमों में से एक इंआम रमजानुल मुबारक का महीना है। जिसमें एक-एक नेकी का सत्तर से सात सौ गुना तक अल्लाह तआला अपने बंदों को सवाब देते हैं। इससे नेकी की ऐसी फिजा और माहौल बन जाता है कि बंदे के दिल का झुकाव बुराई की तरफ कम और अच्छाई की तरफ ज्यादा से ज्यादा हो। इसी मुबारक महीने में रोजे जैसे अहम्तरीन रुक्न-ए-इस्लाम को फर्ज किया कि इसका दिन रोजे की हालत में गुजारा जायेगा। इसमें रोजा रखने का बदला अपने लिए खास किया। यह बातें शनिवार को रमजानुल मुबारक के आखिरी अशरे की विशेषता पर नाजिम दारूल उलूम फरंगी महल मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली इमाम ईदगाह लखनऊ ने ऑनलाइन खिताब करते हुए बताई।

हर चीज मुनव्वर हो जाती

मौलाना ने बताया कि रमजान के आखिरी दिनों में शबे कद्र को रख कर खुदा पाक ने उम्मत पर बड़ा करम फरमाया। इस एक रात को एक हजार महीने से भी ज्यादा फायदा पहुंचाने वाली रात बनाया। इस एक रात में किये जाने वाले नेक काम को हजार महीने की रातों में किये जाने वाले कामों के बराबर करार दिया। यह रात इतनी ज्यादा नूर वाली होती है कि हर चीज मुनव्वर हो जाती है। इस माह की बहुत बड़ी बरकत है कि हम ने कुछ रातों में कुरान मजीद सुना। हम पर यह जिम्मेदारी है कि कुरान मजीद के अहकाम से वाकिफ हों। उसके हुकमों पर अमल करें। बाकी बचे हुए दिनों में फर्ज, सुन्नत, नवाफिल, तरावीह और तहच्जुद की पाबंदी करें। शब ए कद्र का एहतिमाम करें। अपने माल की जकात निकालें, सदका फित्र अदा करें ताकि गरीब भी ईद की खुशियां हासिल कर सकें। यह महीना हमदर्दी और गमख्वारी का महीना है। इसका हम अमली सुबूत दें। सभी मुसलमानों से अपील है कि पूरे विश्व और अपने देश से कोरोना के खात्मे के लिए दुआ मांगें।

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सुन्नी सवाल-जवाब

सवाल- किसी शख्स ने अपने माल की जकात निकाली लेकिन उसने किसी हकदार के हवाले नहीं किया और वह रकम साल भर रखी रही तो किया उस रकम पर जकात है।

जवाब- जकात पर जकात नहीं है। उस रकम को जकात में अदा करें।

सवाल- किसी व्यक्ति ने यह समझ कर सेहरी खाई कि समय है और बाद में पता चला कि समय निकल गया था तो क्या उसका रोजा हो जाएगा।

जवाब- रोजा नहीं होगा उसकी कजा रखनी होगी।

सवाल- जो रकम जकात की वाजिब हुई अगर उससे ज्यादा खर्च हो जाये जो उस ज्यादा खर्च की हुई रकम को आने वाले साल की जकात की रकम में जोड़ सकते हैं या नहीं।

जवाब- अगर ज्यादा रकम जकात की नियत से दे दी गयी हो तो आने वाले साल की जकात में शामिल कर सकते हैं।

सवाल- क्या समय से पहले दी हुई अजान सही होगी या नहीं।

जवाब- अगर समय से पहले अजान दी गयी है तो समय आने के बाद दोबारा अजान देनी होगी।

सवाल- अगर कोई शख्स सालाना जकात न निकालता हो बल्कि हर माह कुछ न कुछ किसी गरीब को देता रहता हो और उसका हिसाब भी उसके पास हो तो क्या यह रकम जकात में शामिल होगी।

जवाब- जकात की नियत से जो कुछ दिया है उतनी जकात अदा हो जायेगी।

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शिया सवाल-जवाब

सवाल- अगर तकय्या कि वजह से कोई रोजेदार समय से पहले अफ्तार कर लें तो क्या उसका रोजा सही होगा।

जवाब- रोजा सही होगा लेकिन एहतियात की बिना पर बाद में रोजे की कजा करना जरूरी होगा।

सवाल- एतेकाफ करने के लिए सबसे बेहतर व अफजल कौन-कौन सी मस्जिद हैं।

जवाब- एतेकाफ करने के लिए सबसे ज्यादा महत्व चार मस्जिदों को है मस्जिदे हराम, मस्जिदे नबवी, मस्जिदे कूफा, मस्जिदें बसरा।

सवाल- नाबालिग बच्चे के लिए एतेकाफ का क्या हुक्म है।

जवाब- एतेकाफ के लिए बालिग होना जरूरी नहीं है। अगर बच्चा समझदार है और अच्छाई और बुराई को समझ सकता है तो उसका एतेकाफ सही है।

सवाल- क्या फितरा देने में देर करना यानी कुछ दिन बाद निकाल देंगे सही है।

जवाब- फितरा देने में देर करना सही नहीं है।

सवाल- अगर पत्‍‌नी सैदानी हो और पति गैरे सैयद हो तो क्या उस पत्‍‌नी का फितरा किसी सैयद को दिया जा सकता है।

जवाब- जो फितरा निकाल रहा है वह गैरे सैयद है इसलिए उसका निकाला हुआ फितरा गैरे सैयद ही का शुमार होगा। चाहे वह किसी सैयद का निकाला हो। सैयद को नहीं दिया जा सकता है।

कोट

माहे रमजान अपने ढलान की ओर आ चुका है, ऐसे में हम लोगों को ज्यादा से ज्यादा अल्लाह की इबादत करते हुए दिन गुजारने चाहिए। अल्लाह से हर समय यही दुआ करें कि कोरोना नामक यह वबा हमारे देश और दुनिया से दूर हो जाये। हर ओर अमन व चैन पहले की तरह कायम रहें। हम कोरोना से जंग के लिए पूरी तरह तैयार हैं।

शाह मंसूर हयात

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सुन्नी हेल्पलाइन

लोग अपने सवालात दोपहर 2 बजे से 4 बजे के दौरान इन 9415023970, 9335929670, 9415102947, 7007705774, 9140427677 नंबरों पर कर सकते हैं।

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शिया हेल्पलाइन

महिलाओं के लिए हेल्प लाइन नंबर 6386897124 है। जबकि शिया हेल्प लाइन के लिए सुबह 10 से 12 बजे तक 9415580936, 9839097407 नंबर पर संपर्क करें।