- महानायक कल्याण सिंह के अंतिम संस्कार में उमड़ा जन ज्वार

- दिवंगत पूर्व मुख्यमंत्री का अंतिम संस्कार, उठा भावनाओं का ज्वार

LUCKNOW :

अलीगढ़ में खामोशी की चादर, अतरौली में व्याकुल जनसमुदाय और, बुलंदशहर नरौरा के गंगा घाट पर जन ज्वार। इन सबके बीच जय श्रीराम का महाघोष और, बाबूजी अमर रहें के गगनभेदी नारे। यह पूर्व मुख्यमंत्री और राम मंदिर आंदोलन के महानायक कल्याण सिंह का महाप्रस्थान था। भाजपा के भगीरथ का महाप्रयाण जिसके लिए सोमवार को चंद लम्हों के लिए मानों गंगा की लहरें भी ठहर सी गईं। मां भारती का सपूत गंगा की पावन गोद में पंच महाभूत में विलीन होने आया था। पुष्प सुसज्जित सैन्य वाहन से निकली अंतिम यात्रा के साथ-साथ रहे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अगुआई और केंद्रीय रक्षामंत्री राजनाथ सिंह, कैबिनेट मंत्री स्मृति ईरानी, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी समेत तमाम दिग्गजों की उपस्थिति में नरौरा के बासी गंगा घाट पर पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह का अंतिम संस्कार किया गया। मंत्रोच्चार के बीच कल्याण सिंह के पुत्र राजवीर सिंह और पौत्र संदीप सिंह और सौरभ सिंह ने मुखाग्नि दी।

सुबह से ही जुटने लगी भीड़

मंदिर आंदोलन और सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के महानायक कल्याण सिंह के अंतिम दर्शन करने के लिए सुबह से गंगा घाट पर भीड़ जुटने लगी थी। भावनाओं का ऐसा ज्वार उमड़ा, जिसे संभालने में पुलिस प्रशासन को पसीना आ गया। अपने जननेता की एक झलक पाने के लिए भीड़ उतावली हो रही थी। मुख्य मार्ग से गंगा घाट तक दिवंगत नेता के सम्मान में असंख्य होìडग और बैनर लगाए गए थे। भारी सुरक्षा बंदोबस्त के बीच दिग्गजों के आने का सिलसिला जारी रहा। इसी बीच दोपहर करीब पौने तीन बजे पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह की पाíथव देह बासी घाट लायी गई। अपने प्रिय बाबूजी कल्याण सिंह के सम्मान में मुख्यमंत्री समेत सभी नेता खड़े हो गए। जय श्रीराम के उद्घोष के बीच उनकी पाíथव देह घाट पर बने प्रांगण में रखी गई।

जय श्रीराम के लगते रहे नारे

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रधानमंत्री की तरफ से, रक्षामंत्री ने राष्ट्रपति और स्मृति ईरानी ने उपराष्ट्रपति की तरफ से पाíथव देह पर श्रद्धा सुमन चढ़ाए। इस बीच घाट पर बैठे हजारों लोग अपने दिवंगत नेता के लिए जय श्रीराम और भारत माता की जय का नारा लगाते रहे। राजकीय सम्मान का बिगुल बजते ही चारों ओर सन्नाटा छा गया। हर कोई मौन, अपने स्थान पर खड़े होकर जननायक को अंतिम प्रणाम कर रहा था। कुल 21 किलो चंदन की लकड़ी के साथ पांच क्विंटल आम व पीपल की लकड़ी से चिता सज चुकी थी। 21 आचार्यो ने अंत्येष्टि स्थल पर वैदिक मंत्रोच्चार के साथ अंतिम संस्कार का विधान शुरू किया। पुत्र राजबीर, पौत्र संदीप और सौरभ सिंह ने मुखाग्नि दी। एक गौरवशाली जीवनयात्रा का तेज चिताओं में धधक उठा जो एक तेज पुंज था, हिंदू हृदय सम्राट और भाजपा के अजर, अमर और अमिट जननायक का।

सरयू से गंगा की लहरों तक में झांकते हैं बाबूजी

मंदिर आंदोलन के महानायक कल्याण सिंह का व्यक्तित्व सदानीरा की तरह बहता रहा। उन्होंने अयोध्या में सरयू की उदास लहरों में उमंग और चेतना पैदा की, वहीं लखनऊ यानी गोमती तीरे के नगर पर राज किया। चंबल की वीरानगी में विकास की फसल रोपी, और पतित पावनी गंगा नदी की गोद में सिर रखकर दिव्यलोक की अनंत यात्रा पर निकल गए।

अनछुए पहलुओं को किया याद

नरौरा के गंगा तट पर महानायक कल्याण सिंह की अंत्येष्टि में पहुंचे भाजपाईयों ने अपने जननायक के व्यक्तित्व के कई अनछुए पहलुओं को याद किया। प्रदेश के कैबिनेट मंत्री और अलीगढ़ के प्रभारी सुरेश राणा ने बताया कि लखनऊ से लेकर पूर्व मुख्यमंत्री के पैतृक निवास अतरौली गांव तक बाबूजी के प्रति अभूतपूर्व लगाव देखा गया। वो प्रभु कृष्ण की धरती यानी ब्रज के लाल थे, और भगवान राम की धरती अयोध्या की सांस्कृतिक लड़ाई के महानायक। बुलंदशहर के प्रभारी मंत्री और प्रदेश सरकार के परिवहन मंत्री अशोक कटारिया कहते हैं कि बाबूजी ने जब प्रदेश की सत्ता संभाली तो गोमती नदी की लहरों में चमक आ गई। चंबल की वीरानी में विकास की नई बयार बही। भाजपा प्रदेश उपाध्यक्ष और बलिया निवासी दयाशंकर सिंह ने नरौरा के गंगा तट पर पहुंचकर पूर्व मुख्यमंत्री को याद किया। कहा कि कल्याण सिंह ने तो पूर्वांचल और पश्चिमांचल के बीच की राजीनीतिक खाई को ही सदा के लिए पाट दिया। बाबूजी गाजीपुर से गाजियाबाद तक सर्वमान्य नेता थे। मेरठ-हापुड़ के सांसद राजेंद्र अग्रवाल ने पूर्व मुख्यमंत्री को त्याग और साहस का शीर्ष राजनीतिक पुरुष बताया। कहा कि उन्होंने राम मंदिर आंदोलन को लेकर स्पष्ट विचार रखा। सत्ता त्यागने में तनिक भी संकोच नहीं किया। बाबुजी राजनीति में आजीवन समभाव और समदृष्टि के साथ चले। नोएडा विधायक पंकज सिंह ने कहा कि सोमवार की तपती उमसभरी दोपहरी में जननायक की अंतिम यात्रा में उमड़ा जनसैलाब साफ करता है कि जननायक कहते किसे हैं।

हर जुबां पर बाबूजी

अलीगढ़ से नरौरा तक हिंदुत्व के नायक की अंतिम यात्रा का अंतिम पड़ाव कई मायनों में खास था। हजारों लोगों के मन मतष्कि में अनगिनत कहानियों को समेटे रहा। नई राजनीतिक पीढ़ी की जुबान पर भाजपा के बाबूजी के व्यक्तित्व और कृतित्व की चर्चा रही तो वहीं कई राजनेता ऐसे भी, जिन्होंने कल्याण सिंह की छत्रछाया में राजनीतिक कौशल के गुर सीखे। वो मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के भी गुरु के राजनीतिक सहचर रहे तो राजनाथ सिंह उनके साथ कैबिनेट मंत्री। हर किसी के मन मे बाबूजी के साथ अतीत की स्मृतियों के सुखद पल तैर उठे।