लखनऊ (ब्यूरो)। इस मौके पर मौलाना फरीदुल हसन ने मजलिस को खिताब करते हुए कहा कि कर्बला के तपते रेगिस्तान में हजरत इमाम हुसैन और उनके साथियों को तीन दिन का भूखा प्यासा शहीद कर दिया जिसमें छह माह के मासूम अली असगर भी शामिल थे। यह सुनकर अजादार रोने लगे। मजलिस खत्म होते ही या हुसैन।। या हुसैन की सदाओं के साथ अजादारों ने जंजीरों और कमा का मातम शुरू किया।

काले झंड़े लिए चल रहे थे

इसके बाद शहर की सभी मातमी अंजुमनें इमामबाड़े से अपने अलम के साथ निकली और नौहाख्वानी व सीनाजनी करती हुई आंखें में अश्क लिए अकबरी गेट, नक्खास, बिल्लौचपुरा, हैदरगंज, बुलाकी अड्डा होते हुए कर्बला ताल पहुंची। जुलूस में काले लिबास पहने नंगे पांव तेज धूप में चलने वाले हजारों अजादारों का हुजूम उमड़ पड़ा। धूप के बावजूद भी जुलूस में महिलाएं, बच्चे व पुरुष नंगे पांव चल रहे थे। हाथों में लब्बैक या हुसैन या अब्बास के काले झंडे लिए चल रहे थे।

कर्बला में दफ्न हुए ताजिए

यौमे आशूरा को सुबह की नमाज के बाद अजादारों ने घरों में मातम कर ताजिये उठाये, जिन्हें पास की कर्बलाओं में अकीदत संग दफन किया। रौजा-ए-काजमैन, कर्बला दियानुतद्दौला व कर्बला तालकटोरा सहित अलग अलग कर्बलाओं में ताजिये दफन किए गए।

पेश किया खून का पुरसा

आशूर की शब से शुरू हुआ कमा-जंजीर का मातम आशूर के दिन जुलूस में भी जारी रहा। जैसे ही मजलिस खत्म हुई जुलूस निकलना शुरू हुआ अजादारों ने जबरदस्त कमा-जंजीर का मातम कर शहजादी को अपने खून का पुरसा पेश किया। कमा-जंजीर के मातम में बड़ों के साथ मासूम बच्चें भी शामिल हुए।

याद किया कर्बला का मंजर

इमामबाड़ा गुफरामंआब में मजलिस शाम-ए-गरीबा को मौलाना कल्बे जव्वाद ने खिताब किया। मौलाना ने जब कर्बला में शाम मे गरीबा का मंजर बयां किया तो मजलिस में कोहराम बरपा हो गया, अजादार रोते हुए अपने घरों को गए। मजलिस शाम ए गरीबा अंधेरे में होने वाली मजलिस है, इस मजलिस को हजरत इमाम हुसैन (अ।स।) और उनके 71 साथियों की दर्दनाक शहादत के बाद इमाम की बहन शहजादी जनाबे जैनब, बीमार बेटे हजरत जैनुल आब्दीन, इमाम मोहम्मद बाकिर और बेटी शहजादी जनाबे सकीना सहित अन्य लोग कर्बला के मैदान में अंधेरे में बिना फर्श व टेंट के बैठे थे। इसी को याद करके यह मजलिस की जाती है। रौजा ए काजमैन में मौलाना मीसम जैदी ने मजलिसे शाम ए गरीबा को खिताब किया। यौम ए आशूरा के अमाल और नमाज हजरत इमाम हुसैन और उनके 71 साथियों की दर्दनाक शहादत की याद में यौम-ए-आशूर के मौके पर कर्बला ताल कटोरा सहित शहर की अलग अलग कर्बलाओंं, इमामबाड़ो और मस्जिदों में हजारों लोगों ने आमाल-ए-आशूरा किये और नमाज अदा की। यह नमाज खुले आसमान के नीचे और खाक पर अदा की गई। इस नमाज में हजारों लोगों ने शिरकत कर इमाम हुसैन को नजराने अकीदत पेश की।

फाका शिकनी की नज्र

हजरत इमाम हुसैन और उनके साथियों के तीन दिन की भूख-प्यास की याद में यौमे आशूरा के मौके पर शहर के तमाम इमामबाड़ों, दरगाहों, कर्बलाओं व घरों में फाका शिकनी का आयोजन हुआ। जिसमें खड़ी मसूर की दाल-चावल और शर्बत पर शहीदान-ए-कर्बला और असीरान-ए-कर्बला की नज्र दी गई। इसके बाद अजादारों ने नज्र चखी व बच्चों को दूध पिलाया।

यौमे जैनब आज

हजरत इमाम हुसैन की बहन हजरत जैनब की याद में इमामबाड़ा गुफरामंआब चौक में रविवार को यौम ए जैनब मनाया जाएगा। इस मौके पर मौलाना कल्बे जव्वाद रात 8.30 बजे मजलिस को खिताब करेंगे। निशातगंज में भी निकाले ताजिए यौम ए आशूरा के दिन अन्य जगहों से भी ताजिए निकाले गए। इसी सिलसिले में निशातगंज, बादशाह नगर, महानगर, सुजानपुरा, पुराना सरदारी खेड़ा और गड़ी कनौरा तकिया मीरनशाह सहित कई अन्य स्थानों से ताजिये निकाले गए।