- एतेकाफ के दौरान खुश्बू लगाना, फूल सूंघना हराम

- रमजान हेल्पलाइन पर रोजेदार पूछ रहे सवाल

LUCKNOW:

इदारा-ए-शरइया फिरंगीमहल के अध्यक्ष मुफ्ती इरफान मियां फिरंगी महली काजी-ए-शहर लखनऊ ने अपने बयान में कहा की इस्लाम मजहब के पांच आधार में एक जकात है.् रमजान जकात देने के लिए बेहतर महीना है। रमजान में जकात देने का ज्यादा सवाब है क्योंकि रमजान तमाम महीनों का सरदार है। इस महीने में जो भी इबादत की जाती है उसका सवाब 70 गुना ज्यादा बढ़ जाता है। जो शख्स अमीर साहब ए निसाबद्ध होकर जकात से जी चुराता है वो अल्लाह की नाराजगी हासिल करता है इसलिए हर हैसियतमंद इंसान को जकात देना चाहिए।

जकात अदा करें

मुफ्ती इरफान मियां ने कहा कि जकात की अहमियत इस बात से पता चलती है कि कुरआन में अल्लाह पाक ने जकात का बयान 32 जगहों पर किया है। इस्लाम के पांच बुनियादी चीजों में जकात तीसरे स्थान पर है। आज मुसलमानों में जो गरीबी है वो इस तरफ इशारा कर रही है कि जकात की अदायगी ठीक तरह से नहीं हो रही है। सभी लोग जकात अदा करें तो इसे एकत्र कर मुसलमानों की गरीबी को दूर किया जा सकता है। जकात की तकसीम के कानून खुद अल्लाह ने तय कर दिए है इसलिए ये जरूरी है कि हम जकात देने से पहले ये परख लें कि जिसे हम जकात दे रहे हैं वो कुरआन और हदीस की रोशनी में इसके पात्र हैं या नहीं।

जकात कौन दे सकता है

जकात हर मुसलमान का फर्ज है जो बालिग हो, जो कमाने के लायक हो। जकात गरीब रिश्तेदार, गरीब पड़ोसी किसी भी धर्म का गरीब दोस्त, गरीब और मजबूर, बेसहारा, मुसाफिर, मिस्कीन और फकीर, यतीम और मदरसों में पढ़ने वाले गरीब बच्चों को दी जा सकती है। पिता, माता, पत्‍‌नी, बच्चे, दादा, दादी, नाना, नानी, सैयद जादे व हाशमी को नहीं दे सकते हैं।

मदद जरूर करें

मुफ्ती इरफान मियां फिरंगी महली ने कहा कि मुसलमानों आज कल फैली हुई इस वबा कोरोना से मदारिस ए अरबिया का भी बहुत बड़ा नुकसान हुआ है। लिहाजा आप सभी हजरात से गुजारिश है कि अपनी जिम्मेदारी समझते हुए जिस तरह हर साल आप मदारिस ए अरबिया की मदद करते हैं उसी तरह बढ़ चढ़कर इस साल भी अपनी जि़म्मेदारी समझते हुए मदरसों की मदद जरूर करें।

सुन्नी सवाल-जवाब

सवाल- हमारे यहां मगरिब की अजान सुनाई नहीं पड़ती है इसलिए आज हमने रोजा 10 मिनट बाद में खोला, क्या रोजा खराब तो नहीं हुआ।

जवाब- रोजा खराब नहीं हुआ, लेकिन बुखारी और मुस्लिम में कहा है की इफ्तार वक्त से करने में भलाई है।

सवाल- इफ्तार किस चीज से करना ज्यादा बेहतर रहता है।

जवाब- हुजूर सल्लल्लाहो अलेही वसल्लम का फरमाना है की इफ्तार खजूर से करें या पानी से ज्यादा बेहतर 3 अदद खजूर से इफ्तार करें।

सवाल- हमारे शौहर सहरी में नहीं उठते हैं और रोजा रख लेते हैं। ऐसा करते रहने से रोजा खराब तो नहीं होगा।

जवाब- हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का फरमाना है कि सहरी के वक्त उठना खैर और बरकत का सबब है चाहे एक घूंट पानी क्यों ना पिएं। सबसे बड़ी बात यह है कि उस वक्त उठकर तहच्जुद पढ़ना और दुआ करना यह बहुत सवाब और कबूलियत का अमल है।

सवाल- मैंने अपनी तिजोरी में अलग-अलग जगह पर रुपए रखे थे। अलग-अलग काम और जकात के लिए एसाल गुजर जाने पर थोड़ा-थोड़ा रुपया बच गया तो क्या उस पर भी जकात देनी होगी।

जवाब- अगर सब रुपया इकट्ठा होकर जकात के निसाब में आता है तो जकात देनी होगी।

सवाल- मेरी 13 साल की बेटी को 4 दिन से बुखार है और कोई लक्षण नहीं है, कोरोना तो नहीं है।

जवाब- इसकी संभावना कम है। अगर कहीं बाहर नहीं गए तो सीजनल फीवर होगा। दो या तीन दिन में आराम नहीं हुआ तो अस्पताल में दिखाएं।

शिया सवाल-जवाब

सवाल- क्या खुम्स का पैसा सहमे इमाम इंसान खुद अपनी मर्जी से किसी जगह जैसे मस्जिद या मदरसा मे दे सकता है।

जवाब- सहमे इमाम का पैसा को मराजे के दफ्तर तक पहुचाना चाहिए या ऐसे व्यक्ति को दिया जाए जिनके पास सहमे इमाम खर्च करने का मराजे ने इजाजत दे रखी हो।

सवाल- शबे कद्र से हज का लगाव क्या है।

जवाब- ईश्वर शबे कद्र में अपने बंदों के लिए हज का फैसला करता है कि किस बंदे के मुकद्दर में हज करना लिखा है।

सवाल- क्या मस्जिद में बनाये गये तहखाने का हुक्म भी मस्जिद का हुक्म रखता है और इसमें नमाज का सवाब वही मस्जिद के सवाब के बराबर है।

जवाब- मस्जिद की छत व तहखाना वगैरा सबकी गिनती मस्जिद में होगी लेहाजा तमाम जगह का सवाब वही होगा जो मस्जिद में नमाज पढ़ने का है।

सवाल- अगर कोई व्यक्ति बिमार है और जोहर से पहले ठीक हो जाए तो क्या रोजा रख सकता है।

जवाब- अगर उस व्यक्ति ने कोई ऐसा कार्य नहीं दिया है कि जिससे रोजा टूट जाता है तो वह नियत करके रोजा रख सकता है।

सवाल- एतेकाफ के दौरान खुश्बू लगाई जा सकती है।

जवाब- एतेकाफ के दौरान खुश्बू लगाना, फूल सूंघना हराम है।

इस बार के रमजान में कोरोना का बेहद असर देखने को मिल रहा है। इसी को देखते हुए हमारा पूरा परिवार इफ्तार के समय यही दुआ करता है कि यह वबा जल्द से जल्द समाप्त हो ताकि हम लोग पहले जैसी अपनी सामान्य जिंदगी को जी सकें। सभी को गाइडलाइन का सख्ती के साथ पालन करना चाहिए।

राज जमाली खान

सुन्नी हेल्पलाइन

लोग अपने सवालात दोपहर 2 बजे से 4 बजे के दौरान इन नम्बरों 9415023970, 9335929670, 9415102947, 7007705774, 9140427677 पर सवाल पूछ सकते हैं।

शिया हेल्पलाइन

महिलाओं के लिए हेल्प लाइन नंबर 6386897124 है। जबकि शिया हेल्प लाइन के लिए सुबह 10 से 12 बजे तक 9415580936, 9839097407 नंबर पर संपर्क करें।

समय

इफ्तार- मंगलवार

सुन्नी- 6:43 शाम

शिया- 6:53 शाम

सहरी- बुधवार

सुन्नी- 3:54 सुबह

शिया- 3:47 सुबह