- एचसी ने प्रदेश के सभी टोल पर टैक्स लगाने का दिए आदेश

- टोल की राशि न बताने पर प्रशासन ने प्रोजेक्ट कॉस्ट पर ही लगाया दिया टैक्स

Meerut : सभी वाहनों पर टैक्स लगाने वाले टोल टैक्स संचालकों को इस बात की भनक तक नहीं होगी कि कभी उनको भी टैक्स की जद में आना पड़ेगा। प्रशासन ने टोल संचालन की प्रक्रिया पर हाईकोर्ट के एक आदेश का हवाला देते हुए टैक्स लगाया है। वह भी हजारों या लाखों में नहीं, बल्कि करोड़ों रुपए का। हालांकि टोल प्लाजा इससे सहमत नहीं है और वह इस नियम से अपने को विरत मानकर चल रहा है, लेकिन प्रशासन ने भी मुकम्मल घेराबंदी कर ली है।

वसूली का तीन फीसदी

शासन से प्रमुख सचिव ने प्रदेश के अधीन सभी टोल प्लाजा, जहां टोल की वसूली की जाती है, पर कुल वसूली पर कर निर्धारित करने का निर्णय लिया है। जिला प्रशासन को भेजे गए पत्र में इलाहाबाद हाईकोर्ट के एक फैसले का हवाला देकर निर्देशित किया गया है कि जिला प्रशासन अपने क्षेत्र के टोल प्लाजा से कुल वसूली गई राशि पर तीन फीसदी कर लगाए और उसकी पावती सुनिश्चित करे।

11 करोड़ का नोटिस

शासन के इस निर्देश पर एडीएम फाइनेंस की ओर से टोल संचालकों से वसूल की जाने वाली राशि का ब्यौरा मांगा गया, लेकिन कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिला। इंतजार करने के बाद भी टोल संचालकों द्वारा कोई राशि नहीं भेजी गई तो एडीएम फाइनेंस की ओर से टोल प्रोजेक्ट की समूची राशि 359 करोड़ को ही आधार मानकर 10.77 करोड़ रुपए का टैक्स वसूली का नोटिस कंपनी को थमा दिया गया। एक नोटिस एनएचएआई को भी भेजा गया है। फिलहाल इस नोटिस के जवाब में टोल प्लाजा का तर्क है कि एनएचएआई से हुए समझौते के अनुसार उनकी टोल वसूली की राशि का कोई निर्धारण नहीं है। साथ ही एमओयू में कर की कोई बात नहीं है, इसलिए वे इस वसूली की परिधि से बाहर हैं।

मांगा था ब्यौरा

जिला प्रशासन के अधिकारियों की मानें तो एनएचएआई ने टोल प्लाजा से टोल वसूली की जिम्मेदारी कंपनी वेस्टर्न यूपी टोल प्लाजा लिमिटेड को सौंपी है और वे सीधे तौर पर इसकी वसूली कर रहे हैं, लिहाजा हाईकोर्ट के निर्देश के आधार पर वे इस कर वसूली की परिधि में आते हैं। टोल प्लाजा संचालकों से टोल टैक्स की राशि का ब्यौरा मांगा गया था, लेकिन वे उक्त राशि की जानकारी नहीं दे रहे हैं। लिहाजा प्रोजेक्ट की कुल राशि पर ही कर कैलकुलेट किया गया है।

पांच सालों से संचालन

मेरठ में टोल प्लाजा का संचालन 2011 से हो रहा है। एनएच-58 ने बीओटी (बिल्ट ऑपरेट एंड ट्रांसफर) स्तर पर एनएच-58 किमी 52 से 131 तक के निर्माण और मेंटेनेंस का काम इसी कंपनी को सौंपा और 30 वर्ष तक के लिए टोल वसूली का समझौता किया है। एमओयू में इस पूरे प्रोजेक्ट की लागत 359 करोड़ आंकी गई है, लेकिन टोल वसूली की राशि का कोई उल्लेख नहीं है।

शासन के आदेशों के बाद टोल संचालकों को नोटिस दिया गया है। उनसे पहले जानकारी मांगी गई थी, लेकिन जानकारी न देने की सूरत में कुल प्रोजेक्ट के हिसाब से नोटिस दिया गया है।

- पंकज यादव, डीएम