मेरठ (ब्यूरो)। तेजी से बढ़ते वायु प्रदूषण को कम करने के अधूरी कवायद के चलते हर साल शहर के प्रदूषण स्तर में इजाफा हो रहा है। हालांकि वायु प्रदूषण कम करने के लिए हर साल करोड़ों रुपए का बजट और योजनाए तैयार की जाती है लेकिन स्थिति जस की तस बनी रहती है। ऐसा ही गत वर्ष हुआ था जब सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट के तहत शहर को करोड़ो रुपए वायु गुणवत्ता में सुधार के लिए बजट तैयार किया गया था। इसके तहत जो काम किए जाने थे वह अभी तक अधूरे हैं।

कूड़े के पहाड़ से दूषित हो रही शहर की आबोहवा
गौरतलब है कि गत वर्ष सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट के तहत करीब 101 करोड़ के प्रस्तावों को नगर निगम की ओर से पोर्टल पर अपलोड किया गया था। इसमें शहर के कूड़ा निस्तारण व्यवस्था से लेकर वायु प्रदूषण तक पर काम किया जाना था। लेकिन कूड़ा निस्तारण में आज नगर निगम फेल है। लोहियानगर में कूड़े का पहाड़, मंगतपुरम में कूड़े का पहाड़ इस बात का गवाह बना हुआ है। कूड़े के ये पहाड़ आधे से अधिक शहर खासतौर पर दिल्ली रोड और हापुड रोड से जुड़े क्षेत्रो की आबोहवा को पूरी तरह से दूषित कर रहा है। वहीं शहर में जगह जगह कूड़े का ढ़ेर के साथ साथ कूड़ा जलने की घटनाओं में भी कमी ना आने से वायु प्रदूषण भी कम नही हो पा रहा है।

गत वर्ष मिले थे 36 करोड़
वहीं वायु गुणवत्ता सुधार के लिए गत वर्ष 15वें वित्त आयोग के तहत मेरठ को 36 करोड़ की पहली किस्त मिली थी। इसमें भी करीब 73 करोड़ रुपये इस योजना में मिलने थे जिसमें वायु गुणवत्ता सुधार के सारे काम केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के दिशा-निर्देशों के अनुसार किए जाने थे। इसके लिए शहर में हरियाली विकसित करने के लिए पौधारोपण, ग्रीन बेल्ट का विकास, ई बसों का विकास, एंटी स्मॉग गन, वाटर स्प्रिंकल मशीन आदि की व्यवस्था की गई लेकिन प्रदूषण में कमी लाने में सब बेअसर दिख रहा है।

वाटर स्प्रिंकलर्स का रोजाना शहर मे जगह जगह प्रयोग किया जा रहा है। कूड़ा जलाने की घटनाओं पर सख्ती की जा रही है। ग्रीन बेल्ट और पौधारोपण लगातार विकसित किया जा रहा है। प्रदूषण के कई अन्य कारण है।
डॉ। हरपाल सिंह, नगर स्वास्थ्य अधिकारी