मेरठ (ब्यूरो)। कभी स्मार्ट सिटी तो कभी स्वच्छता सर्वेक्षण के नाम पर नगर निगम हर साल लाखों-करोड़ों रुपये के बजट से योजनाएं बनाता है। योजनाओं को धरातल पर उतारने के लिए दावे और प्रयास भी करता है लेकिन योजनाएं फ्लॉप हो जाती है। अब इसे लापरवाही नहीं तो और क्या कहें। फिर चाहे यह लापरवाही प्लानिंग के स्तर पर अधिकारियों की रही हो या कर्मचारियों के लेवल पर देख-रेख में। निगम की ऐसी ही फ्लॉप योजनाएं को लेकर दैनिक जागरण आईनेक्स्ट एक सात दिवसीय अभियान शुरू कर रहा है। जिसके जरिए ये पता लगाया जा सके किए अगर ये योजनाएं कामयाब हो जाती तो क्या मेरठ के अच्छे दिन आ सकते थे।

कबाड़ से जुगाड़ अभियान
नगर निगम ने अपने स्टोर रूम में पड़े कबाड़ को उपयोग कर शहर के चौराहों को सजाने के लिए गत वर्ष कबाड से जुगाड़ अभियान शुरू किया था। निगम के इस प्रयास की खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मन की बात कार्यक्रम के 93वें संस्करण में सराहना भी की थी। इस योजना के तहत निगम ने सर्किट हाउस, गांधी आश्रम, बच्चा पार्क चौराहे पर टायर और अन्य बेकार वस्तुओं से चौराहे का सौंदर्यीकरण किया था। लेकिन आज ये चौराहे बदसूरत लगने लगे हैैं।

वेंडिंग जोन हुए गुमशुदा
नगर निगम ने शहर को अतिक्रमण मुक्त और सुंदर बनाने के लिए तीन साल पहले वेडिंग जोन बनाने की कवायद शुरू की थी। इसके तहत निगम ने सात जगह वेडिंग जोन बनाए थे। मगर अधिकतर जगह ये वेडिंग जोन अपने उद्देेश्य में सफल ही नहीं हो पाए। आज की डेट में मेडिकल कॉलेज से तेजगढ़ी चौराहे तक बनाए गए वेडिंग जोन लापता हो गए हैैं। वेंडिंग जोन में जगह अलॉट होने के बाद भी ठेले और रेहड़ी वाले वेंडिंग जोन के बाहर सडक पर ही अपने स्टॉल लगा रहे हैं। इससे सड़कों पर अतिक्रमण पसरा हुआ है। जिससे जाम की समस्या बनी रहती है।

डस्टबिन ही हो गए अंडरग्राउंड
वहीं शहर में कूड़ा निस्तारण के लिए अस्थाई डंपिंग ग्राउंड्स को विलोपित कूड़ा स्थल बनाकर खूबसूरत पौधों से सजाया गया था। लेकिन लोगों ने वहां भी कूड़ा डालना शुरू कर दिया। इसके बाद निगम ने अंडरग्राउंड डस्टबिन की मार्डन तकनीक को यूज में लाना शुरूकिया। इसके तहत शहर में पांच जगहों पर यह डस्टबिन लगाए गए थे। लेकिन समय के साथ-साथ अंडरग्राउंड डस्टबिन योजना भी अधर में अटक गई।

वेस्ट बर्नर और कलेक्शन बॉक्स
दो साल पहले कूड़े को जलाकर खत्म करने के लिए नगर निगम ने बच्चा पार्क पर वेस्ट बर्नर मशीन का उद्घाटन बड़ी धूमधाम से किया था। लेकिन कुछ माह के बाद ही यह बर्नर मशीन खुद कबाड़ में तब्दील हो गई। इसके अलावा निगम ने प्लास्टिक वेस्ट को एकत्र करने के लिए सूरजकुंड पार्क में प्लास्टिक वेस्ट कलेक्शन बॉक्स लगाए थे लेकिन कुछ दिन बाद ही ये बॉक्स भी गायब हो गए।

शहर के विकास के लिए जो प्रयास किए गए थे वो शहर के लोगों के सहयोग के बिना पूरे नहीं हो सकते हैं। निगम हर जगह रखवाली या देखभाल नहीं कर सकता है। बाकि जो व्यवस्थाएं हैं, हम उनको लगातार सुधारने का प्रयास करते रहते हैं।
प्रमोद कुमार, अपर नगरायुक्त