आधा एकड़ रास्ता साफ
कैंट बोर्ड के अधिकारियों की माने तो कैंट बोर्ड और तमाम डिपार्टमेंट के इस संयुक्त अभियान करीब आधा एकड़ रास्ते को साफ कर दिया, जिसमें कर्मचारियों को महज दो घंटे ही लगे। कैंट बोर्ड के अधिकारियों की मानें तो इस तरह की कार्रवाई में काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है, लेकिन पब्लिक के सहयोग से सब काम काफी आसानी से हो गया।

25 दुकानों को हटाया
मेहताब सिनेमा से भूसा मंडी तक एंक्रोचमेंट को हटाने के लिए सिर्फ कैंट बोर्ड के कर्मचारियों को सिर्फ 25 दुकानों पर मेहनत करनी पड़ी। आंकड़ों के अनुसार एक हफ्ते पहले तक यहां पर 88 दुकानें खड़ी हुई थीं। पिछले एक हफ्ते के दौरान कैंट बोर्ड द्वारा मुनादी में 50 फीसदी लोगों ने अपनी दुकानों को खुद ही हटा लिया। शनिवार को हुई कार्रवाई के दौरान बाकी बची नौ दुकानों को लोगों ने अपने आप ही साफ करना जरूरी समझा।

और 40 फीट हो गई सड़क
एंक्रोचमेंट के दौरान इस सड़क की चौड़ाई का अंदाजा इस बात से लगा सकते हैं कि यहां से फोर व्हिलर का निकलना काफी मुश्किल हो जाता था। एंक्रोचमेंट हटाने के बाद जब सड़क की चौड़ाई नापी गई तो पूरा रास्ता 30 से 40 फीट चौड़ा हो गया है। वहीं मुहाने की चौड़ाई करीब 75-80 फीट हो गई है।

40 साल पुराना अतिक्रमण
कैंट इलाके के जानकारों की मानें तो इस पूरे अतिक्रमण की उम्र करीब 40 साल है, जिसे हटाना काफी मुश्किल था। इससे पहले भी कई बार प्लान बने लेकिन कभी पुलिस न मिलने और कभी लॉ एंड ऑर्डर बिगड़ जाने की आशंका को देखते हुए पांव पीछे हटाने पड़ते थे।

जो न कर सके 20 सीईओ
इस बात को कोई भी नहीं नकार सकता है कि पिछले 40 साल के इस अतिक्रमण कोई भी हटाने की हिम्मत नहीं जुटा सका। अगर आंकड़ों की बात करें पिछले 40 सालों में करीब 20 सीईओ और 22 वाइस प्रेसीडेंट (वीपी) आए और चले गए लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई।

बनाएंगे स्वरोजगार प्रोजेक्ट
कैंट बोर्ड के अधिकारियों के मुताबिक खाली हुई लैंड को किस तरह से इस्तेमाल करनी है इसके बारे में सोचना शुरू कर दिया है। अधिकारियों के अनुसार यहां पर स्वरोजगार के प्रोजेक्ट को बढ़ावा दिया जाएगा। ताकि लोगों का भरण पोषण आसानी से हो सके। साथ ही कैंट बोर्ड को भी इनकम प्राप्त हो सके।

कार्रवाई में लगी फोर्स
- कैंट बोर्ड के 150 कर्मचारी।
- दो थाना प्रभारी
- नौ उपनिरीक्षक
- तीन हेडकांस्टेबल
- 20 सिपाही
- 10 महिला कांस्टेबल
- डेढ़ सेक्शन पीएसी
- सादी वर्दी में एलआइयू
- नागरिक सुरक्षा
- दंगा नियंत्रण उपकरण
- रबर बुलेट और अश्रुगैस के गोले
- फायर टेंडर

आर्मी के जवान रहे चौकस
इस पूरी कार्रवाई में आर्मी के जवानों ने भी महत्वपूर्ण योगदान रहा। शायद इन्हीं लोगों की वजह से लोगों का विरोध भी दबा रहा। अधिकारियों के अनुसार इस पूरी कार्रवाई के दौरान आर्मी के जवानों ने पूरे इलाके को घेरा हुआ था। ताकि किसी भी कोने से विरोध के सुर न उठ सके।

'इस अतिक्रमण से वहां के रजीडेंस भी काफी परेशान थे। मैं वहां के स्थानीय लोगों का शुक्रिया अदा करता हूं कि उन्होंने हमारा साथ दिया। इस पूरी कार्रवाई में कोई बाधा उत्पन्न नहीं होने दी.'
- डॉ। डीएन यादव, सीईओ, कैंट बोर्ड

'मैं कैंट बोर्ड, प्रशासन, पुलिस को बधाई देता हूं कि इतने मुश्किल काम को काफी आसानी से कर दिया है। अब ये सुनिश्चित किया जाए कि आगे यहां कोई अतिक्रमण न हो.'
- मेजर जनरल वीके यादव, जीओसी, पश्चिम यूपी सब एरिया हेडक्वार्टर

वैकल्पिक व्यवस्था भी चाहिए
वार्ड मेंबर जगमोहन शाकाल ने सीईओ डीएन यादव को अपना आपत्ति पत्र दिया है। उन्होंने अपने पत्र में लिखा कि कार्रवाई करने से पहले यहां के लोगों के लिए वैकल्पिक व्यवस्था की जानी चाहिए थी। जैसी लालकुर्ती पैठ के लिए की जा रही है। दूसरी आपत्ति ये कि मेहताब से भूसा मंडी का रास्ता सिटी स्टेशन की ओर लिंक करता है। इस बीच अगर लोगों के अतिक्रमण को हटाया गया तो आर्मी का गेट के रूप में जो अतिक्रमण है उसे भी हटाया जाना चाहिए था।