कॉपियां बदलने व डिवाइस नकल में पकड़े गए मामले में जवाब

डिप्टी रजिस्ट्रार के काम करने पर लगाई गई रोक

Meerut । कॉपियां बदलने व डिवाइस से नकल में पकड़े गए एमबीबीएस के 14 स्टूडेंट के परीक्षा फार्म भरने एवं रिजल्ट जारी करने के मामले में डिप्टी रजिस्ट्रार के काम करने पर रोक लगा दी गई है, इस मामले को लेकर अब यूनिवर्सिटी में तेजी से जांच व कार्रवाई हो रही है, यूनिवर्सिटी प्रशासन के अनुसार हर हाल में गलती करने वालों को सजा मिलेगी। डिप्टी रजिस्ट्रार के स्पष्टीकरण के बाद असंतुष्ट वीसी ने डिप्टी रजिस्ट्रार के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई के आदेश दिए है। प्रकरण में जांच के लिए अलग से दो समिति बनाई गई है। इस बारे में आदेश सभी विभागों को पहुंच गए है, जांच पूरी होने या अगले आदेशों तक डिप्टी रजिस्ट्रार यूनिवर्सिटी में कोई काम नहीं करेंगे।

अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरु

वीसी प्रो। एनके तनेजा के निर्देशों पर रजिस्ट्रार धीरेंद्र कुमार वर्मा ने डिप्टी रजिस्ट्रार अरुण यादव को दो आदेश जारी किए है। ये दोनो हीं आदेश कॉपी बदलने में शामिल दो स्टूडेंट 2018 मामले व डिवाइस से नकल में आरोपी 12 स्टूडेंट 2019 मामले में रिजल्ट व फार्म से जुड़े हैं.इन दोनों ही मामलों में डिप्टी रजिस्ट्रार से स्पष्टीकरण भी मांगा गया था। डिप्टी रजिस्ट्रार ने जवाब में खुद को पूरे प्रकरण में भूमिका से इंकार करते हुए कमेटी सेल, व्यवसायिक सहित अन्य विभागों की जिम्मेदारी के बारे में बताया है। इस स्पष्टीकरण को वीसी ने संतोषजनक न होना बताया है।

प्रो वीसी को जांच

इसके बाद से वीसी ने डिप्टी रजिस्ट्रार की सत्यनिष्ठा की जांच के लिए विभागीय अनुशासनात्मक कार्रवाई करने के आदेश जारी कर दिए है। प्रोवीसी प्रो। वाई विमला को इसकी जांच सौंपी गई है। आदेशों के अनुसार डिप्टी रजिस्टार द्वारा जांच प्रभावित होने की आशंका है। ऐसे में जांच पूरी होने या अगले आदेशों तक डिप्टी रजिस्ट्रार को किसी भी रुप में कोई काम न करने के लिए कहा गया है। दूसरे आदेश में विभागीय अनुशासानात्मक कार्रवाई को डीन कॉमर्स को जांच दी है, इन आदेशों में डिप्टी रजिस्ट्रार के काम पर रोक लगा दी है।

ये दिया है स्पष्टीकरण

अलग-अलग स्पष्टीकरण में अरुण यादव ने पूरी कार्यप्रणाली को स्पष्ट किया है। स्पष्टीकरण से एक बात साफ है कि इस पूरे प्रकरण में तत्कालीन परीक्षा नियंत्रक नारायण प्रसाद व तत्कालीन डिप्टी रजिस्ट्रार गोपनीय बीपी कौशल की भूमिका सर्वाधिक संदिग्ध है, इन दोनों ने इन प्रकरण को गंभीरता से नहीं लिया था। डिप्टी रजिस्ट्रार ने कहा कि उन्हें ऐसा कोई अधिकार नहीं है कि वे अपने स्तर पर अंतिम निर्णय ले सकें, उनकी जिम्मेदारी केवल उच्चाधिकारियों के निर्देशों व निर्णयों को लागू करने की है। उन्होंने कहा कि यूनिवर्सिटी में ज्वाइन करने से पहले का है, इसके बारे में तत्कालीन डिप्टी रजिस्ट्रार व परीक्षा नियंत्रक से पूछा जाए कि किन परिस्थितियों में फार्म भरवाते हुए रिजल्ट जारी किए गए है, प्रोवीसी, प्रो। वाई विमला ने बताया कि जांच पूरी होने तक फिलहाल डिप्टी रजिस्ट्रार के कार्य पर रोक लगा दी है, जैसे आगे निर्देश होंगे किया जाएगा