ऑक्सीजन के छोटे सिलेंडर की कालाबाजारी, ऑडियो वायरल

पांच हजार के सिलेंडर के मांग रहे 15 हजार

Meerut। कोरोना संक्रमण के कारण आमजन की जिंदगी इस तरह खतरे में पड़ गई है कि शहर के बडे़ अस्पतालों से लेकर डॉक्टर तक बेबस हो गए हैं। ऑक्सीजन की किल्लत के हालात में भी मुनाफाखोर मनचाहे दामों पर ऑक्सीजन का सौदा करने से बाज नहीं आ रहे हैं। ऐसी ही एक सौदेबाजी की ऑडियो हाल में वायरल होने के बाद जिला प्रशासन ने जांच बैठा दी है।

तीन गुना कीमत

शहर में पसरा ऑक्सीजन का संकट इतना विकराल है कि ऑक्सीजन प्लांट पर सिलेंडर लेकर पहुचे लोगों को कई किलोमीटर लंबी लाइन में घटों लगना पड़ रहा है। ऐसे ही हालात का फायदा उठाकर शहर के ऑक्सीजन सप्लायर्स ने कालाबाजारी शुरू कर दी है। इसका खुलासा वायरल हुए एक ऑडियो में हुआ है, जिसमें कस्टमर ने सिलेंडर सप्लायर नितिन से फोन पर बात की तो सप्लायर ने नए सिलेंडर के लिए 15 हजार रुपये की मांग की जबकि नया सिलेंडर पांच हजार रुपये तक मिल जाता है।

ग्राहक और सप्लायर के बीच बातचीतके मुख्य अंश

ग्राहक - नमस्कार भाई साहब, सिलेंडर चाहिए था

सप्लायर - पेशेंट कहां पर है आपका

ग्राहक- पेशेंट घर पर है गाजीपुर दिल्ली में

सप्लायर - हां, कोई दिक्कत नहीं मिल जाएगा आपको सिलेंडर

ग्राहक- लेकिन भईया खाली तो है नहीं हमारे पास

सप्लायर- नहीं हम तो नया सिलेंडर देंगे आपको

ग्राहक- अच्छा नया सिलेंडर देंगे आप

सप्लायर - हां, नया छोटा सिलेंडर है 15 हजार रुपये में कंप्लीट

ग्राहक- ठीक है भईया

सप्लायर- चाहे दो ले लो तीन ले लो

ग्राहक- कहां पर है आपकी शॉप

सप्लायर- मेरठ

ग्राहक- मेरठ में किस जगह

सप्लायर- देखिए सब बात फोन पर नही होती हैं, व्हाट्सएप पर आप दिल्ली लिखकर भेज दो, दिल्ली वालों को हम रिप्लाई कर रहे हैं।

इस मामले में एसपी सिटी को जांच के लिए बोल दिया गया है। ऑडियो और फोन नंबर के आधार पर जल्द कार्रवाई की जाएगी।

अजय तिवारी, एडीएम

जरा समझ लें

पोर्टेबल ऑक्सीजन सिलेंडर छोटे आकार का होता है। इसकी कीमत 5000 रुपये तक होती है। सिलेंडर के साथ वॉल्व, रेगुलेटर और मेडिकल ऑक्सीजन से भरा मास्क होता है। सिलेंडर की कीमत पंप काउंट और वॉल्यूम पर निर्भर करती है।

ऑक्सीजन की मारामारी, सांसों पर भारी

कोरोनाकाल में देशभर में ऑक्सीजन और दवाइयों को लेकर मारामारी मची है। मेरठ भी इससे अछूता नहीं है। दर-दर भटकने को मजबूर मरीज लगातार स्वास्थ्य विभाग और प्रशासन से मदद की गुहार लगा रहे हैं, लेकिन यहां भी उनकी कोई सुनवाई नहीं है।

भटक रहे मरीज

अस्पतालों में बेड न मिलने से मरीज हलकान है। स्थिति यह है कि लोगों को इलाज के अभाव में अपनी जान गवांनी पड़ रही है। मेडिकल कॉलेज समेत कई अस्पतालों में ऐसे मामले सामने आ रहे हैं। मेडिकल कॉलेज में अव्यवस्था का आलम यह है कि एक बेड पर दो-दो मरीज भर्ती हैं। रविवार को यहां एक दंपती की मौत के बाद वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें परिजनों ने दावा किया कि अस्पताल की ओर से कोरोना वायरस सैंपल भी नहीं लिए गए और अस्पताल में भर्ती नहीं किया गया। जांच न होने व समय पर इलाज न मिलने की वजह से मरीजों की मौत हो गई।

ऑक्सीजन की जरूरत

जिले में ऑक्सीजन की डिमांड लगातार बढ़ती जा रही है लेकिन समय पर आपूíत न होने की वजह से अस्पतालों में ऑक्सीजन का संकट गहराता जा रहा है। मरीजों को दूसरे अस्पतालों में शिफ्ट करना पड़ रहा है। डॉक्टर्स के मुताबिक जिले भर में रोज लगभग 60 टन ऑक्सीजन की जरूरत है जबकि आपूíत के नाम पर मात्र 25 टन ऑक्सीजन ही उपलब्ध हो पा रही है। अधिकतर अस्पतालों में देर रात ऑक्सीजन की सप्लाई होती है लेकिन समय पर आपूíत न होने की वजह से ऑक्सीजन का संकट गहराने लगता है।

हम कोशिश कर रहे है। जितने संसाधन हैं, उनके अनुसार लोगों को मदद मुहैया करवाई जाएगी। लगातार शासन से अपील की जा रही है।

डॉ अखिलेश मोहन, सीएमओ