मेरठ ब्यूरो। बैसाखी के दिन अलग की रौनक नजर आती है। पंजाबी समाज में बैसाखी पर अलग ही उत्साह नजर आता है। पंजाबियों के सम्मानजनक त्योहार बैसाखी की अलग ही शान है। सोने जैसे गेहूं के लहलहाते खेत देख कर, किसान का मन खुश हो जाता है। ऐसे में खेत और सुंदर प्रकृति का नजारा देखकर किसान अपनेआप ही ढोल की थाप पर थिरकने लगते हैं। भंगड़ा कर वे अपनी खुशी व्यक्त करते हैं।

कई घटनाएं भी जुड़ीं

बैसाखी के त्योहार से कई सांस्कृतिक और ऐतिहासिक घटनाएं भी जुड़ी हुई हैं। बैसाखी के दिवस पर, खालसा पंथ की स्थापना ने बैसाखी को धार्मिक त्योहार का स्वरूप प्रदान किया है।

पंच प्यारों ने छका था अमृत

वहीं, साल 1699 में, इस दिन आनंदपुर साहिब में सुशोभित दीवान में श्री गुरु गोबिंद सिंह ने पांच प्यारों को खण्डे का पाहुल (अमृत) छकाया था। फिर स्वयं इन पांच प्यारों के हाथों अमृत ग्रहण कर खालसा पंथ की सृजना की थी। इसके बाद साल 1567 में, इसी दिन गुरु अमरदास ने &गुरु का लंगर&य आरम्भ किया था। वैसे हिंदू मान्यता है कि बैसाखी के दिन ही गंगा नदी धरती पर अवतरित हुई थी। ऐतिहासिक महत्ता यह है कि महाराजा रणजीत सिंह का सिंहासनारोहण 1799 में बैसाखी के दिन ही हुआ था।

बच्चों ने बांधा समां

एंजल एकेडमी में धूमधाम से बैसाखी मनाई गई। बच्चों ने बैसाखी थीम के अनुसार ड्रेस पहनी। पंजाबी गीत एवं ढोलक की थाप पर डांस कर समा बांध दिया। डायरेक्टर यश राज गुप्ता, चेयरमैन अनुराग कीर्ति गुप्ता एवं प्रिंसिपल श्वेता वर्मा ने बच्चों को बैसाखी की शुभकामनाएं दी। उन्होंने बच्चों को बैसाखी पर्व के बारे में जानकारी दी। इस अवसर पर अमित मुंजाल वर्तिका मित्तल आंचल हितैषी साक्षी शमा रूबी आदि मौजूद रहे।

जलियावाला बाग के बारे में बताया

द गुरुकुलम में भी धूमधाम बैसाखी मनाई गई। टीचर्स ने बच्चों को बैसाखी का महत्व बताया। बच्चों को जलियांवाला बाग़ के इतिहास को भी बताया। इस मौके पर बच्चों ने विशेष प्रार्थना की।

पंजाबी गानों से जीता दिल

गुरु तेग बहादुर पब्लिक स्कूल में बैसाखी पर्व पर विशेष प्रार्थना सभा आयोजित की गई। बच्चों ने बैसाखी पर्व पर पंजाबी ड्रेस में प्रस्तुति दी। एक से एक खूबसूरत प्रस्तुतियां देकर समां बांध दिया। मौके पर प्रिंसिपल डॉ। कर्मेंद्र सिंह ने सभी को बैसाखी की बधाई दी।