ओएसटी थेरेपी सेंटर से ही बेची जा रही नशा छुड़ाने की गोलियां

लोगों को नहीं जानकारी, जानलेवा हो सकती है मनमर्जी की डोज

Meerut जिला अस्पताल में नशा छुडा़ने की सफेद गोली का काला कारोबार धड़ल्ले से चल रहा है। नशा छुड़ाने वाले ही नशे के पूरे नेक्सस में लिप्त हैं। वहीं नशे की गोली को अधिकांश नशेड़ी किसी नाम से नहीं बल्कि छोटी सफेद गोली के नाम से मांगते हैं और जानते हैं। इतना ही नहीं, डीजे आई नेक्स्ट की पड़ताल में कई और चौंकाने वाले तथ्य सामने आए। जिसके मुताबिक ओरल सब्सटिट्यूशन थेरेपी सेंटर (ओएसटी) पर मिलने वाली फ्री गोली की सप्लाई में कई लोग शामिल हैं। उधर, जब अधिकारियों से इस संबंध में बात की गई तो वो खुद को इस खेल से अंजान बता अपना पीछा छुडाने में लगे रहे।

ऐसे हुआ खुलासा

दैनिक जागरण आई नेक्स्ट की टीम शनिवार को जिला अस्पताल पहुंची थी। इस दौरान कुछ लोगों ने ओएसटी सेंटर पर मिलने वाली सरकारी दवाइयों के कालाबाजारी की जानकारी टीम को दी। जिसके बाद टीम ने मामले की पड़ताल शुरू की। उसके बाद जो सामने आया उसने नशे छुड़ाने की गोलियां की बिक्री के गोरखधंधे की पोल खोलकर रख दी। आपको यकीन नहीं होगा कि रिपोर्टर से हुई बातचीत के दौरान नशे की गोलियां बेचने वाले व्यक्ति ने खुद को ओएसटी सेंटर का कर्मचारी बताया। इतना ही नहीं, वह एक साथी के साथ जनऔषिध केंद्र के बाहर लगे एक बॉक्स में सरकारी सामान की आपूर्ति कर रहा था। इन लोगों ने बताया कि वह दोनों ओएसटी सेंटर में काम करते हैं। पहले खुद भी नशा करते थे और इलाज करवाते-करवाते दूसरों को भी नशा छुड़वाने के लिए प्रेरित करते हैं। इस कथित कर्मचारी के अनुसार उसे सेंटर से 3500 रूपये वेतन भी मिलता है।

ऐसे चलता है खेल

सुबह से ही जिला अस्पताल परिसर में नशेबाज और सप्लायर मंडराना शुरू कर देते हैं।

अस्पताल के चारों तरफ इनका जमावाड़ा लगा रहता है।

इन नशेडि़यों की नजर उन मरीजों पर होती है, जिन्हें नशा छुड़ाने के लिए सरकारी दवाइयां मिलती है।

मरीज चुपचाप या बहाने से बिना क्रश की हुई दवाइयां बाहर ले लाते हैं।

इसके बाद मरीज और नशेबाज डील करते हैं।

एक गोली को 30 रुपये से लेकर 140 रुपये तक में बेचा जाता है।

नोट- इस काले कारनामे की वीडियो रिपोर्टर के पास मौजूद है।

पार्क बना नशेडि़यों का अड्डा

जिला अस्पताल में मरीजों और तीमारदारों के लिए बने पार्क नशेडि़यों का अड्डा बन चुके हैं। सुबह से लेकर दोपहर तक नशाखोर यहां महफिल जमा कर बैठे रहते हैं। बच्चा वार्ड और आईसोलेशन वार्ड के सामने बने पार्को की स्थिति काफी खराब हो चुकी है। आलम ये है कि यहां पर दूसरे मरीज व तीमारदार तक आने से गुरेज करते हैं। अधिकारियों की नाक के नीचे ही सभी नियमों का उल्लंघन हो रहा है लेकिन सबने अपनी आंखें न जाने क्यों मूंद रखी हैं।

ये हैं ओएसटी के नियम

जिला अस्पताल में बने ओरल सब्सटिट्यूशन थेरेपी सेंटर (ओएसटी) सेंटर में नशा करने वाले लोगों का इलाज किया जाता है। इसके तहत ऐसे मरीज जो इंजेक्टेबल या अन्य कोई नशा करते हैं उन्हें यहां दवाइयां प्रोवाइड कराई जाती हैं। सेंटर इंचार्ज के मुताबिक मरीज की हिस्ट्री और नशे की आदत को देखकर ही उनके इलाज की अवधि और दवाई की डोज तय होती है। डोज के हिसाब से मरीज को गोलियां दी जाती है। नियमानुसार मरीज को सेंटर पर ही क्रश करके गोली खानी होती है।

सेंटर में हम नशा छुड़ाने के लिए दवाई देते हैं। मरीजों की काउंसलिंग भी की जाती है और सामने ही दवाई दी जाती है। सेंटर में सिर्फ चार लोगों का ही स्टाफ है। दवाइयों के बेचे जाने की कोई जानकारी नहीं हैं। सेंटर में एनजीओ भी सम्मिलित हैं हो सकता है उनके कोई कर्मचारी हो। इसकी जांच करवाई जाएगी।

डॉ। अंकित, नोडल इंचार्ज ओएसटी सेंटर, जिला अस्पताल