विकास कार्य में बाधा बन रहा नगर निगम का बजट

- कालोनियों के विकास से लेकर पेयजल की सप्लाई की तक बजट बन रहा वादा

Meerut । शहर के विकास का दावा करने वाले नगर निगम के लिए अब बजट की कमी के कारण शहर का विकास करना भारी पड़ रहा है। कोरोना संक्रमण के कारण लॉक डाउन से निगम की आय में आई कमी के कारण शहर के कई विकास कार्य अधर में अटक गए है, जिसका असर शहर में जगह-जगह दिखाई दे रहा है। कई कालोनियों का विकास नहीं हो पा रहा है। शहर के नालों से लेकर कूड़ा स्थलों की सफाई नही हो पा रही है। इतना ही नही अब तो शहर की पेय जल सप्लाई पर भी बजट की कमी के कारण संकट मंडराने लगा है। हालत यह है कि इस साल अब कोरोना के कारण शहर के विकास को दंश लग चुका है और विकास को गति मिलना इस साल मुशिकल लग रहा है।

बजट बना पर नहीं भरे गढ्डे

वहीं शहर के विकास के लिए नगर निगम ने 2019-20 में 557 करोड़ रुपये का मूल बजट पेश किया था। इस बजट के तहत में शहर में कूड़ा निस्तारण, डोर टू डोर कूड़ा कलेक्शन, गड्ढामुक्त सड़क, नाला सफाई, कूड़ा निस्तारण प्लांट, डेयरी अभियान, डंपिग ग्राउंड आदि की योजनाएं बनाई गई थीं। इसके बाद 634 करोड़ करीब का पुनरीक्षित बजट पेश किया गया था। इससे अलग 14वें वित्त आयोग से भी निगम को अच्छा खासा बजट मिला है, लेकिन विकास कार्य के नाम पर आ शहर के नाले गंदगी से अटे हुए हैं सड़कों के किनारे कूड़ा भरा हुआ है सड़कें गढ्डों से अटी हुई हैं।

नाला सफाई का रोस्टर हुआ हवाई

इस साल बरसात से पहले नगर निगम ने शहर के नालों की सफाई का रोस्टर तैयार किया था, इसके तहत सूरजकुंड, दिल्ली रोड और कंकरखेड़ा डिपो प्रभारियों को अपने अपने क्षेत्र के नालों की सफाई की जिम्मेदारी दी गई थी। बड़े नालों में जैसे आबूनाला एक, आबूनाला दो, ओडियन नाला, कोटला नाला, मोहनपुरी नाला, मकाचीन नाला, चिंदौड़ी नाला, डोरली नाला, दिल्ली रोड नाला, बागपत रोड नाला, बच्चा पार्क नाला, जलीकोठी नाला, फिल्मिस्तान नाला, सुभाष नगर नाला, पांडवनगर नाला आदि की सफाई 30 मई तक सफाई का समय दिया गया था। शहर के अन्य सभी नाले 15 जून तक साफ करने की योजना बनाई गई थी। शहर में कुल 315 नाले हैं, जिनमे 14 बड़े नाले हैं जिनकी बरसात से पहले सफाई तो शुरु हुई लेकिन बजट की कमी के कारण अधर में अटक गई।

गंदगी से अटे नाले

पिछले साल 14वें वित्त आयोग से करीब 31 करोड़ रुपये का बजट नालों की सफाई के लिए स्वीकृत किया गया था। इसके तहत शहर के छोटे-बडे करीब 21 नालों के निर्माण, मरम्मत के साथ-साथ सफाई अभियान भी शुरू हुआ था। सालभर यह अभियान चला और शहर के नालों को जेसीबी के माध्यम से सिल्ट निकाल कर साफ भी किया गया। मगर वास्तविकता देखी जाए तो एक बार सिल्ट निकालने के बाद देख-रेख न होंने के कारण आज भी शहर के नाले गंदगी और सिल्ट से अटे पड़े हैं।

कूड़ा कलेक्शन भी अधूरा

करीब 8 करोड़ 76 लाख रुपये के बजट से शुरू हुई कूड़ा कलेक्शन की व्यवस्था को सवा साल से अधिक का समय बीत चुका है। लेकिन आज भी निगम शत-प्रतिशत कूड़ा कलेक्शन नहीं कर पा रहा है। इसी कमी के कारण निगम अभी तक डोर टू डोर कूड़ा कलेक्शन के शुल्क वसूली भी नहीं कर पा रहा है। हालत यह है कि आज भी शहर के अधिकतर वार्डो में कूड़ा खुले में फेंका जा रहा है इस कारण से हर वार्ड में कूडे़ दान कूडे से भरे हुए हैं और अस्थाई खत्तों पर गंदगी की भरमार है। इतना ही नहीं निगम द्वारा दो बार कूड़ा कलेक्शन शुल्क वसूलने की योजना भी परवान नही चढ़ पा रही है।

गंदगी से भरपूर डंपिंग ग्राउंड

नगर निगम के दायरे में शहर में जगह-जगह 146 करीब अस्थाई खत्ते बने हुए हैं। निगम का प्रयास था कि स्वच्छता सर्वेक्षण के तहत इन खत्तों को हटाया जाए और रोजाना सफाई करके कूड़ा उठाया जाए। मगर स्वच्छता सर्वेक्षण बीतने के बावजूद स्थिति जस की तस बनी हुई है। शहर में जगह-जगह मुख्य सड़कों और पार्को के आसपास गलियों में कूड़े का ढेर लगा हुआ है। डंपिंग ग्राउंड ओवर फ्लो हैं और कूड़ा जगह-जगह फैला रहता है।

नालियों में बह रहा गोबर

कैटल कालोनी की मांग सालभर से अधर में हैं। एमडीए ने डेयरियों को शहर से बाहर कैटल कालोनी में जगह देने की योजना तो बना दी लेकिन आज तक कैटल कालोनी ही विकसित नही हो पाई है। ऐसे में शहर में 2 हजार से अधिक डेयरियों के खिलाफ निगम ने साढे तीन करोड़ से अधिक का जुर्माना लगाते हुए कार्यवही भी कर दी लेकिन आज तक यह जुर्माना भी निगम को नही मिल पाया है। ऐसे में निगम ना डेयरियों को बाहर कर पा रहा है और ना ही निगम का कोष भर रहा है। वहीं डेयरियों से नालियों में बहने वाले गोबर का सिलसिला बदस्तूर आज भी जारी है।

वर्जन-

इस साल निगम द्वारा कई नए काम कराए गए हैं। जिनमें बैलेस्टिक सैपरेट यूनिट, डोर टू डोर कूड़ा कलेक्शन की व्यवस्था, गौ आश्रय केंद्र, नालों की मरम्मत, यूरिनल व शौचायल आदि का निर्माण। इन सभी विकास कार्यो लिए बजट के अनुसार ही योजना बनाई गई थी। मगर कोरोना संक्रमण के कारण निगम की खुद की आय भी अभी कम हो गई है। इसलिए बजट की कमी से कुछ काम रुके हुए हैं।

- ब्रजपाल सिंह, सहायक नगरायुक्त