मेरठ, (ब्यूरो)। इसके आधे घंटे बाद ही मौके पर पहुंचकर एसीएम सदर ने लोगों की समस्या सुनी और धरना खत्म करने का आग्रह किया। जिसके बाद लोग दोबारा जिलाधिकारी कार्यालय पर पहुंचे। इस दौरान डीएम के आदेश पर एसीएम सिविल लाइन ने पीडि़त परिवार की मांगों को सुना और हर संभव मदद दिए जाने का आश्वासन दिया।

ये है मामला

गढ़ रोड स्थित भावनपुर थाना क्षेत्र के जयभीमनगर में किरणपाल अपने परिवार के साथ दो मंजिला मकान में रह रहे थे। उनके पांच बेटे रामकुमार, सत्येंद्र, पवन, अरुण और सोनू हैैं। सोनू की शादी नहीं हुई है। सत्येंद्र प्राइवेट नौकरी करता है। किरणपाल के मकान के पास ही राहुल कश्यप अपना प्लाट बनाने के लिए नींव की खुदाई कर रहा था। नींव गहरी होने के चलते किरणपाल का मकान गिर गया। जिसके नीचे दबकर सतेंद्र के पांच वर्षीय बेटे रचित की मौत हो गई थी। किरणपाल की पत्नी कमलेश और पवन की बेटी काकुल गंभीर रूप से घायल हो गई थीं। जिनका एक निजी अस्पताल में इलाज चल रहा है। सूचना पर मंगलवार को डीएम के। बालाजी मौके पर पहुंचे थे। इस दौरान जिलाधिकारी ने लोगों को कोई गलत कदम न उठाने की बात कहकर बुधवार को अपने कार्यालय पर बुलाया था। साथ ही हरसंभव मदद करने का आश्वासन दिया था।

दो घंटे बैठने के बाद गुस्साए लोग

डीएम के बुलावे पर बुधवार सुबह आठ बजे ही जयभीम नगर के लोग और पीडि़त परिवार जिलाधिकारी कार्यालय पहुंच गया था। दो घंटे तक अधिकारियों का इंतजार करने के बाद भी मौके पर जब कोई नहीं पहुंचा तो लोगों का गुस्सा फूट गया। उन्होंने जिलाधिकारी कंपाउड के बार धरने पर बैठ कर सड़क जाम कर दी। साथ ही कंपाउड का भी गेट बंद कर दिया। इसकी सूचना मिलते ही अधिकारियों में हड़कंप मच गया। 15 मिनट में ही मौके पर एसीएम सदर प्रथम संगीता देवी, लालकुर्ती इंस्पेक्टर अतर सिंह, सिविल लाइन इंस्पेक्टर रमेश चंद्र शर्मा फोर्स के साथ मौके पर पहुंच गए। इस दौरान एसीएम संगीता देवी ने लोगों की मांगों को सुना और दोबारा जिलाधिकारी कार्यालय में आकर अपनी बात रखने का आग्रह किया। करीब आधे घंटे तक चले हंगामे के बाद किसी तरह लोग माने और जिलाधिकारी कार्यालय पर पहुंच गए।

पीडि़त परिवार ने रखीं चार मांगे

लोगों के दोबारा कार्यालय पहुंचने पर डीएम के निर्देश पर एसीएम सिविल लाइन द्वितीय सत्यप्रकाश भी मौके पर पहुंच गए। इस दौरान पीडि़त परिवार ने अस्पताल में चल रहे इलाज का खर्चा वहन करने, मकान का मुआवजा दिए जाने, आरोपियों की गिरफ्तारी किए जाने और परिवार के रहने और खाने की व्यवस्था किए जाने की मांगें रखीं। इस दौरान एसीएम सत्यप्रकाश ने पीडि़त परिवार के घायल लोगों का फ्री में इलाज कराए जाने, टेंपरेरी तौर पर खाने-रहने की व्यवस्था कराने और जल्द ही आरोपियों की गिरफ्तारी किए जाने की मांग मानते हुए आश्वासन दिया। साथ ही मकान का मुआवजा स्वीकृत कराने के लिए कागजी कार्रवाई करने का भी आश्वासन दिया, लेकिन लोग इस बात पर अड़ गए कि उन्हें मुआवजे के लिए लिखित में दिया जाए। करीब एक घंटे तक चली शांति वार्ता के चलते आखिर में लोग मान गए।

वाहनों का कराया गया रूट डायवर्ट

सड़क जाम करने के दौरान पुलिस ने जिलाधिकारी कार्यालय की तरफ आने वाले वाहनों का रूट डायवर्ट करा दिया। जिसके बाद कमिश्नरी पर जाने वाले वाहनों को स्टेडियम रोड से निकाला गया।

दी आत्महत्या की धमकी

जाम के दौरान सत्येंद्र जिलाधिकारी कार्यालय से गुजरने वाले वाहनों के आगे लेट गया। इस दौरान वह एक कार के नीचे आते-आते बचा। सत्येंद्र ने धमकी दी कि यदि उसको न्याय नहीं मिला तो वह अपनी पत्नी के साथ आत्महत्या कर लेगा। हालांकि एसीएम संगीता देवी और लालकुर्ती इंस्पेक्टर अतर सिंह के काफी समझाने के बाद वह धरने से उठने के लिए राजी हुआ।

पीडि़त परिवार द्वारा रखी गई चार मांगों मे तीन मान ली गई हैैं। मकान के मुआवजे के लिए कागजी कार्रवाई की जा रही है। उन्हें जल्द ही मुआवजा दिलाया जाएगा। मरीजों का इलाज फ्री कराने के लिए सीएमओ को बोला गया है। पीडि़त परिवार के खाने-रहने की व्यवस्था करा दी गई है।

-सत्यप्रकाश, एसीएम सिविल लाइन, मेरठ