Digital era of CCSU

- सीसीएसयू की डिजिटल लाइब्रेरी का हुआ उद्घाटन

- ऑनलाइन पब्लिक ऐक्सेस कैटलोग से मिलेगी हर बुक की डिटेल

Meerut, सीसीएसयू में आखिरकार डिजिटलाइजेशन की शुरुआत हो ही गई। शुक्रवार को कुलपति वीसी गोयल ने डिजिटल लाइब्रेरी का शुभारंभ कर दूर दराज के स्टूडेंट्स को घर बैठे हजारों शोध पढ़ने व उनसे सीखने का अवसर प्रदान कर दिया। अब किताबों की जानकारी लेने के लिए पहुचने वाले स्टूडेंट्स को लाइब्रेरी पहुंचे बिना सभी किताबों की जानकारी मिल सकेगी।

ये कहा वीसी ने

सभी विभागाध्यक्षों व शिक्षकों की उपस्थिति में कुलपति ने ऑनलाइन लाइब्रेरी की शुरुआत करते हुए सीसीएसयू की इस उपलब्धि पर खुशी जाहिर की। उन्होंने कहा कि जिस तरह इस क्षेत्र में सीसीएसयू प्रदेश में दूसरे नंबर पर पहुंच चुका है इसे और आगे ले जाने की पूरी कोशिश की जाएगी। डिजिटल लाइब्रेरी के साथ ही कुलपति ने बार कोड सिस्टम से बुक लेंडिंग की भी शुरुआत कर दी।

ओपैक से मिलेगी जानकारी

ऑनलाइन पब्लिक ऐक्सेस कैटलोग (ओपैक) सिस्टम के जरिए सीसीएसयू की लाइब्रेरी में स्थित सभी किताबों से संबंधित पूरी जानकारी मिल सकेगी। किताब का विषय, नाम, लेखक का नाम, किताब में पन्नों की संख्या आदि सभी जानकारी विद्यार्थी घर बैठे ले सकेंगे। डिप्टी लाइब्रेरियन जमाल अहमद सिद्दिकी के अनुसार लाइब्रेरी में आने वाले अधिकांश स्टूडेंट्स किताब की जानकारी लेने ही पहुंचते हैं। ऐसे में वे घर बैठे किताब की जानकारी ले सकेंगे। उनके मतलब की किताब होने पर ही लाइब्रेरी में आना पड़ेगा। हालांकि किताबों का कंटेंट ऑनलाइन नहीं मिलेगा।

शोध भी ऑनलाइन

यूजीसी की ओर से शुरू की गई शोध गंगा वेबसाइट में सीसीएसयू के लगभग फ् हजार शोध को स्टूडेंट्स ऑनलाइन पढ़ सकेंगे। वर्ष ख्009 में यूजीसी के निर्देश के अनुसार सभी शोधकर्ता अपने शोध की एक साफ्ट प्रति भी विवि में जमा कराते हैं। उस कॉपी को वेब पर अपलोड किया जा रहा है। यूजीसी की ओर से मार्च ख्0क्0 से शुरू की गई इस पहल से अब तक देश भर के क्8म् यूनिवर्सिटी जुड़ चुकी हैं। अक्टूबर ख्0क्फ् में इससे जुड़ने के बाद सीसीएसयू ने टॉप फ्0 में स्थान बना लिया है। प्रदेश में दूसरा स्थान बनाने के बाद आगामी तीन महीने में टॉप पांच में जगह बनाने की कोशिश की जाएगी।

दुर्लभ किताबें होंगी जीवंत

लाइब्रेरी को पूरी तरह से डिजिटल करने की प्रक्रिया के दूसरे चरण में दुर्लभ किताबों को चिह्नित कर डिजिटल फॉर्मेट में रखने का काम शुरू हो गया है। पहले चरण में क्9म्0 के दशक की किताबों को डिजिटल किया जा रहा है। धीरे-धीरे इस प्रक्रिया को आगे बढ़ाया जाएगा।