सुबह जल्दी उठना

सुबह जल्दी उठना अपने आप में एक अच्छी एक्सरसाइज है। नवरात्र के दिनों में सुबह पूजा-पाठ करके लोग अपने घर से निकलते हैं। जॉब, बिजनेस या कॉलेज जाने के टाइम में तो कोई बदलाव नहीं किया जा सकता है, इसलिए लोगों के पास एक ही ऑप्शन बचता है कि सुबह जल्दी उठा जाए।

सुबह शाम पूजा करना

इन नौ दिनों पूजा-पाठ पर खास जोर रहता है। सुबह शाम दोनों टाइम पूजा करने से भक्तिमय मन रहता है और मन शांत रहता है। जबकि रेगुलर डेज में मन अशांत और चिंताओं से घिरा रहता है।

 कुछ नियम बनाना

बहुत सारे लोग इन नौ दिनों में जिंदगी जीने के कुछ नियम बना लेते हैं। बेशक ये नियम बहुत छोटे-छोटे हों मगर नौ दिन तक किसी एक नियम का पालन करना हमें आत्म संयम जैसे गुण की तरफ ले जाता है।

फलाहार लेना

 व्रतों में अक्सर आलू, फल, चावल, साबूदाना आदि का इस्तेमाल किया जाता है। ये सब चीजें हल्की और सुपाच्य होती हैं। व्रतों में पेट भर खाना न खाने की वजह से हमारे शरीर के डाइजेस्टिव सिस्टम को रिलेक्स मिलता है। साथ ही व्रतों के खाने में मिर्च, मसाला, ऑयल आदि का बहुत कम इस्तेमाल किया जाता है, जो कि हेल्दी है।

अनाज से दूरी बनाना

 हेल्दी डाइजेस्टिव सिस्टम के लिए अनाज जैसे हैवी डाइजेस्टिव फूड से दूरी बनाना काफी हेल्दी रहता है। व्रतों में कभी भी ओवर फूडिंग नहीं होती।

हवन करना

नवरात्र के दौरान लोग हर रोज ही अपने घर में हवन करते हैं। हवन में इस्तेमाल होने वाली सामग्री, कपूर, धूप आदि वातावरण और मन को शुद्ध करती हैं। इन दिनों किया जाने वाला हवन एयर प्यूरीफायर का काम करता है।

सोच में बदलाव लाना

 नौ दिनों तक सुबह उठकर पूजा-पाठ हवन आदि करना और रात को पूरे श्रद्धाभाव के साथ फलाहार करना हमारे विचारों को पॉजिटिव बनाता है। हम अच्छा सोचते हैं और अच्छा करते हैं। घर और आसपास का माहौल भक्तिमय रहता है तो ये फील गुड फैक्टर को क्रिएट करता है।

सादा जीवन, उच्च विचार

हाइडिल कालोनी में रहने वाले महेन्द्र कुमार सक्सेना उनकी पत्नी आभा सक्सेना और बेटी श्वेता नवरात्र के नौ दिन हर रोज से अलग तरीके से जीते हैं। नवरात्र के बारे में बताते हुए आभा सक्सेना कहती हैं कि नवरात्र को हमारा पूरा परिवार पूरे उल्लास से मनाता है। हम पहले नवरात्र पर देवी के कलश की स्थापना करते हैं जो पूरे नौ दिन तक स्थापित रहता है। इन नौ दिनों में पहले दिन से लेकर आखिरी दिन तक हर रोज नौ देवियों के हिसाब से हवन करते हैं। इन दिनों में हमारी कोशिश रहती है कि किसी से झूठ न बोलें, किसी पर नाराज न हों, जहां तक हो सके दूसरों की मदद करते हैं। इन नौ दिन सुबह-शाम मां दुर्गा की पूजा करते हैं। खाने में केवल फलाहार ही लेते हैं। बहुत ज्यादा ऑयली और फैटी फूड को अपनी डाइट में शामिल नहीं करते क्योंकि ऐसा कहा जाता है कि आप जितना सादा भोजन लेंगे आपके विचार उतने ही सादा होंगे।

नौ दिन भक्ती की शक्ति

थापर नगर में रहने वाले अनुज गुप्ता और उनकी पत्नी श्वेता गुप्ता भी मानते हैं कि नवरात्रों में हमारी लाइफ स्टाइल में काफी चेंज आ जाता है। नवरात्र का पहला दिन तो बहुत ही ज्यादा बिजी हो जाता है क्योंकि इस दिन हमारे घर में पूजा स्थल बनाया जाता है और वहां देवी का कलश स्थापित होता है। इसके साथ ही हवन और पूजन किया जाता है। हर रोज सुबह और शाम को करीब ढाई से तीन घंटे की पूजा होती है। सही मायने में देखा जाए तो इतनी देर पूजा करने से मन बहुत शांत रहता है। इन नौ दिनों घर में बहुत रौनक रहती है ऐसा लगता है मानो साक्षात देवी का वास घर में हो। घर का माहौल भी भक्तिमय हो जाता है। इन दिनों न तो किसी से झूठ बोलने का मन होता है और न ही अपशब्द कहने का। किसी के बारे में मन में गलत विचार नहीं आते हैं। इन दिनों तक पूजा-पाठ तो होता ही है साथ ही आहार में भी बहुत हल्का भोजन होता है। हम एक टाइम ही फलाहार करते हैं। भक्ति की शक्ति इन दिनों इतनी ज्यादा होती है कि नौ दिनों के व्रत रखने के लिए स्ट्रांग प्रजेंस फील होती है।