- चीन की कंपनी को नहीं दिया रैपिड रेल के कार्य का ठेका

-एनसीआरटीसी ने किया स्पष्ट, अभी किसी को अवार्ड नहीं हुआ टेंडर

-आनंद विहार में टनल बनाने को आमंत्रित किया गया था ग्लोबल टेंडर

Meerut । रैपिड रेल के 1126 करोड़ के कार्य का ठेका चीन की कंपनी को देने की अफवाह के बाद राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र परिवहन निगम (एनसीआरटीसी) ने स्पष्ट किया है कि ऐसा कोई टेंडर किसी भी कंपनी को अवार्ड नहीं किया गया है। अभी तो जिन कंपनियों की तरफ से टेंडर डाले गए थे उनका मूल्यांकन ही चल रहा है.चीन के साथ बढ़ते तनाव के बीच एक टेंडर को लेकर सूचना वायरल की गई। इसमें कहा गया कि रैपिड रेल का एक टेंडर चीन की कंपनी को दे दिया गया है। इसके बाद लोगों ने लोकल व मेक इन इंडिया अभियान का हवाला देते हुए केंद्र सरकार पर कटाक्ष करना शुरू कर दिया। वहीं, दावा किया गया कि भारी विरोध को देखते हुए एनसीआरटीसी ने चीन की कंपनी को दिए गए टेंडर को निरस्त करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है।

ग्लोबल टेंडर के तहत आमंत्रण

रैपिड रेल ट्रांजिट सिस्टम (आरआरटीएस) यानी दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ रैपिड रेल कॉरिडोर के लिए आनंद विहार में टनल बनाई जाएगी। इस टनल के लिए कुछ समय पहले ग्लोबल टेंडर के तहत कंपनियों को आमंत्रित किया गया। टेंडर की नियम-शर्ते व भारत सरकार की नीति के तहत कोई भी विदेशी कंपनी इसमें प्रतिभाग कर सकती है। चीन की कंपनियां पहले से ही तमाम बड़े प्रोजेक्ट में भागीदारी कर चुकी हैं। यहां तक कि दिल्ली मेट्रो में भी उनका योगदान रहा है। ऐसे में चीन की कंपनी ने भी प्रक्रिया में प्रतिभाग किया। तब चीन से कोई विवाद भी नहीं था। अब जब चीन से तनाव बढ़ा तो किसी ने यह सूचना वायरल कर दी कि एक तरफ चीन हमारी जमीन हड़पने को बैठा है और उधर सरकार ने चीन की कंपनी को ठेका दे दिया। एनसीआरटीसी के सीपीआरओ सुधीर शर्मा का कहना है कि यह तो टेंडर मूल्यांकन समिति पर निर्भर है कि किस कंपनी को तकनीकी रूप से दक्ष मानते हुए कम खर्च में काम करने के लिए चयनित करे।

अभी तो टेंडर प्रक्रिया में है। जिन-जिन कंपनियों ने टेंडर में प्रतिभाग किया था उसका मूल्यांकन किया जा रहा है। ऐसे में यह कहना गलत है कि चीन की कंपनी को टेंडर अवार्ड कर दिया गया। जब टेंडर किसी कंपनी के पक्ष में गया ही नहीं है तो रद करने की प्रक्रिया शुरू करने वाली बात भी गलत है।

सुधीर शर्मा, सीपीआरओ, एनसीआरटीसी