पिता सत्येंद्र चौधरी, पत्नी सोनिका उज्ज्वल, बहन मुद्रिका और मोनिका पार्थिव शरीर के साथ ही निकले गांव

Meerut। भारतीय वायुसेना में स्क्वाड्रन लीडर रहे मेरठ के अभिनव चौधरी का पार्थिव शरीर शनिवार सुबह करीब नौ बजे मेरठ के गंगानगर स्थित गंगासागर कालोनी में उनके घर पहुंचा। पार्थिव शरीर को देखते ही पूरी कालोनी के साथ गंगानगर के आसपास के लोग भी घर तक पहुंच गए। वायु सेना की टीम ने परिवार के साथ ही करीबी रिश्तेदारों व अन्य लोगों को घर में अंतिम दर्शन कराया। अंतिम दर्शन के दौरान शहीद अभिनव के ताऊ को चक्कर आ गया और ताई भी बेसुध हो गई। पिता सत्येंद्र चौधरी, माता सत्य, बहन मुद्रिका और पत्नी सोनिका का रो-रोकर बुरा हाल था। करीबी पड़ोसी भी खुद को बिलखने से रोक नहीं सके। पिता को संभालते हुए अभिनव की बहन मुद्रिका व सोनिका की छोटी बहन मोनिका उनके आसपास ही रहे।

बेटा, भैया, लाल तू कहां गया

अंतिम दर्शन के दौरान परिजनों के मन के उदगार निकले। पिता बेटे तो बहन भाई और आसपास के लोग भी उस बच्चे कि आवाज एक बार सुनने को आतुर दिखे जिसे देख-देख कर वह अपने बच्चों को भी प्रेरित किया करते थे। बेटे तू कहां चला गया, भैया ऐसे क्यों छोड़ गए, बेटा एक बार तो आजा, तेरी आवाज ही सुनाई दे जाए। ऐसे कई उदगार थे, जो परिजनों और आसपास के लोगों के मन से अंतिम दर्शन के दौरान निकल रहे थे। रोने के साथ ही सभी एक-दूसरे को संभाल भी रहे थे। पत्नी सोनिका को अभिनव की बहन व परिजनों ने संभाला।

निशानी भी न छोड़ गया

अंतिम दर्शन के लिए पहुंची आसपास की महिलाओं ने कहा कि ऐसा भी कभी होगा, यह किसी ने नहीं सोचा था। अभिनव कोई निशानी भी न छोड़ गया। परिवार आगे बढ़ाने वाला भी कोई नहीं रहा। दरअसल महिलाओं में यह चर्चा इसलिए भी थी कि 17 महीने की शादी में अभिनव और पत्नी सोनिका पिछले सितंबर से अब तक ही साथ रहे थे। संभव है कि जीवन में उनकी कुछ अलग योजनाएं रही होंगी। अभिनव के अभी कोई कोई संतान नहीं है। महिलाओं में यह चर्चा इसलिए भी ज्यादा दिखी कि उनके आंखों के सामने पला-बढ़ा नौजवान बिना कोई निशानी छोड़े आगे बढ़ गया।

बेटे के साथ ही जाना है

शहीद अभिनव चौधरी के पार्थिव शरीर को सेना की ट्रक में लाया गया और उसी ट्रक में गांव की ओर लेकर निकले। पिता सत्येंद्र चौधरी को परिवार के अन्य सदस्यों के साथ दूसरी गाड़ी में ले जाने की तैयारी थी, लेकिन पिता ने वायुसेना अफसरों से कहा कि वह बेटे के साथ ही जाएंगे और परिवार का जो भी सदस्य साथ चलना चाहे उसे भी साथ ही जाने दीजिए। नौजवान बेटा खोने के गम में डूबे सत्येंद्र चौधरी अंतिम यात्रा के हर अंतिम क्षण में बेटे के पास ही रहना चाहते थे। वायु सेना अफसरों ने भी उनकी इच्छा का सम्मान किया और साथ ले गए। शहीद अभिनव के पिता सत्येंद्र चौधरी, पत्नी सोनिका उज्जवल, छोटी बहन मुद्रिका और सोनिका की छोटी बहन मोनिका पार्थिव शरीर के साथ ही मेरठ से बागपत के पुसार गांव के लिए रवाना हुए। इस दौरान मोनिका जहां अभिनव के पिता को संभाल रही थी। वहीं दूसरी ओर मुद्रिका भाभी सोनिका को संभालने की कोशिश करती दिखी।

बेटे की टी-शर्ट में पिता

शहीद अभिनव चौधरी की स्कूली शिक्षा राष्ट्रीय इंडियन मिलिट्री कॉलेज देहरादून से हुई थी। शहीद बेटे के पार्थिव शरीर के घर पहुंचने पर पिता-बेटे की उसी टी-शर्ट में दिखे, जिसमें उनके कॉलेज का नाम लिखा हुआ था। शहीद होने का सम्मान अलग होता है लेकिन नौजवान बेटे के जाने का गम पिता सत्येंद्र उनकी यादों के साथ ही जोड़कर रखना चाहते थे। संभव है इसीलिए उन्होंने आज वही टी-शर्ट पहनी थी जो संभवत अभिनव ने ही उन्हें दी होगी।