-नगर निगम में सफेद हाथी बनी एक करोड की फासिंग मशीन

-नालों की सफाई के लिए विशेष रूप से खरीदी गई थी कीमती मशीन

Meerut: नगर निगम में उपकरणों की खरीद-फरोख्त में एक के बाद एक घोटाले सामने आ रहे हैं। कमिशन के लालच में नालों की सफाई के लिए एक करोड़ की दो फासिंग मशीनें खरीद तो ली गईं, लेकिन उनका कोई इस्तेमाल नहीं हो सका। अब ये मशीनें सफेद हाथी बनकर निगम डिपो की शोभा बढ़ा रही हैं।

क्या है मामला

शहर की सफाई व्यवस्था के चलते नगर निगम में एक करोड़ की कीमत वाली दो फॉसिंग मशीन खरीदी गई थी। शहर के नालों की सफाई के लिए अति-महत्वपूर्ण बताकर इन मशीनों को परचेज किया गया था। जबकि इनमें से एक 60 लाख कीमत वाली फासिंग मशीन को निगम प्रशासन की ओर से आठ माह पूर्व ही खरीदा गया था।

बनी सफेद हाथी

पिछले दो सालों में खरीदी गई एक करोड की लागत वाली ये दोनों फॉसिंग मशीनें अब नगर निगम में सफेद हाथी बनी खड़ी हैं। हालांकि कागजी खानापूर्ति करने के लिए इन मशीनों को गाहे-बगाहे शहर के दर्शन कराए जाते हैं, लेकिन जिस उद्देश्य से इन मशीनों की खरीदारी की गई वो इनके लिए दूर की कोड़ी बना हुआ है। आज हालत यह है कि निगम के दिल्ली रोड डिपो पर खड़ी हुई ये मशीनें अपने खरीदे जाने के कारण तलाश रही हैं।

सिल्ट निकालने में नाकाम

इन मशीनों की खरीदारी नालों की सफाई के लिए की गई थी। लेकिन सफाई तो दूर ये मशीनें पानी की सतह तक भी ठीक से नहीं पहुंच रही हैं। दरअसल, शॉर्ट नेक होने के चलते फाक्स मशीन नाले से सिल्ट निकालने में नाकाम साबित हो रही है। जबकि बिना सिल्ट निकाले नालों की पूर्ण रूप से सफाई नहीं हो पाती। वरिष्ठ नगर स्वास्थ अधिकारी डॉ। प्रेम सिंह की मानें तो इन मशीनों का इस्तेमाल तालाब व पोखर आदि के पानी से कचरा निकालने के लिए किया जाता है। डॉ। प्रेम सिंह के मुताबिक नालों की सफाई के लिए ये मशीनें बिल्कुल सफेद हाथी सिद्ध हो रही हैं।

कमीशन का खेल

नगर सफाई के नाम पर खरीदी गई इन फासिंग मशीनों की खरीद-फरोख्त में कमीशन खोरी का खुला खेल खेला गया। चौंकाने वाली तो यह है कि निगम अफसरों के सामने ऐसी क्या मजबूर थी कि उन्होंने बिना उद्देश्य के ही एक करोड़ की कीमत मशीनें खरीद डाली।

ये भी हैं घोटाले

केस एक --

नगर निगम में गैर-जरूरती उपकरण खरीदारी का यह कोई पहला मामला नहीं है। इससे पूर्व नगर निगम में 70 लाख की कीमत वाले फ्रन्ट लोडर खरीदे गए थे, जबकि उनकों खरीदारी के दो माह बाद ही उतार फेंका गया था और ये कीमती मशीनें निगम डिपो में पड़ी गल रही हैं। दूसरा मामला स्वीपिंग मशीन का है।

केस दो --

निगम में चार माह पूर्व 80 लाख रुपए की स्वीपिंग मशीन खरीदी गई थी, जो आज भी निगम डिपो की जगह घेरे खड़ी है। दरअसल, यह मशीन शहर की सड़कों के हिसाब से बिल्कुल विपरीत है। सफाई की यह मशीन केवल गड्ढा मुक्त सड़कों पर ही कारगर है। इस गड्ढे वाली सड़क पर आते ही इस मशीन के ब्रश टूटने लगते हैं और मशीन एकदम यूजलैस हो जाती है।

नालों की सफाई में फासिंग मशीनों का कोई यूज नहीं है। लंबाई कम होने के कारण मशीनें नालों की सिल्ट नहीं उठा पाती। अब इन्हें मॉडीफाई कर काम में लाया जाएगा।

-डॉ। प्रेम सिंह, वरिष्ठ नगर स्वास्थ अधिकारी नगर निगम

नालों की सफाई के लिए ये मशीनें बिल्कुल उपयुक्त हैं। जेसीबी के मुकाबले ये मशीनें बेहतर काम करती हैं। इसलिए इनकी खरीदारी की गई थी।

-कुलभूषण वाष्र्णेय, चीफ इंजीनियर नगर निगम

इस तरह की कोई जानकारी मेरे संज्ञान में नहीं है। इस मामले की जांच कराकर नियमानुसार कार्रवाई कराई जाएगी।

-हरिकांत अहलूवालिया, मेयर

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13वे वित्त आयोग के पैसे की नगर निगम में बंदरबाट होती है। ऐसे में निगम अफसर इस पैसे से अनावश्यक उपकरणों की खरीदारी कर डालते हैं जो बाद में गलने के लिए छोड़ दी जाती है।

-शाहिद अब्बासी, सपा पार्षद

इस तरह के मामले पहले भी सामने आए हैं। स्वीपिंग मशीन की खरीदारी भी इसी तरह की गई थी। अब वो किसी काम में नहीं आ रही। मामले को सदन में उठाया जाएगा।

-अफजाल सैफी, नामित पार्षद

गैर-जरूरी उपकरण खरीदना जनता के पैसे की बर्बादी है। इस तरह की बर्बादी बिल्कुल नहीं होने दी जाएगी। निगम बोर्ड में इस मामले को उठाया जाएगा।

-गजेन्द्र सिंह, पार्षद कुंडा