मोबाइल टावर के बीटीएस ट्रेसिंग से बचने के लिए रेकी के दौरान भी नहीं करते मोबाइल का इस्तेमाल

सर्विलांस से बचने के लिए मौका-ए-वारदात से पांच किमी। के एरिया तक बंद रखते हैं मोबाइल

वारदात के वक्त हेलमेट पहनकर हैं या मुंह ढककर सीसीटीवी से छिपाते हैं पहचान

Meerut। पुलिस डाल डाल, बदमाश पात पातये कहावत मेरठ जिले में बिल्कुल सही साबित हो रही है। वहीं मेरठ में लगातार हो रही क्राइम की वारदात न केवल शहरवासियों की सुरक्षा बल्कि खाकी के इकबाल पर भी सवाल खड़ी कर रही हैं। पुलिस से बचने के लिए बदमाश पूरा होम वर्क करने के बाद कुछ इस तरह वारदात को अंजाम दे रहे हैं कि पुलिस का सर्विलांस ट्रेक, सीसीटीवी ट्रेसिंग समेत मुखबिर तंत्र तक फेल साबित हो रहा है। 28 अगस्त को बदमाशों ने एल। ब्लाक शास्त्रीनगर में पार्षद जुबैर की गोली बरसाकर हत्या कर दी थी। इस घटना में अभी तक न तो सर्विलांस से पुलिस को कोई मदद मिली और न ही किसी सीसीटीवी में बदमाश कैद हो पाए। वहीं अभी तक पुलिस को मुखबिर तंत्र से भी कोई अहम सूचना नहीं मिल सकी है। इसी बाबत दैनिक जागरण आईनेक्स्ट ने एक रिटायर्ड सीओ से बातचीत की और जानने की कोशिश की आखिर बदमाश किस मोड्स अपरेंडी को अपनाकर पुलिस को चकमा देने में कामयाब हो जाते हैं।

रास्तों की रेकी

रिटायर्ड सीओ सुधीर कुमार के मुताबिक बदमाश क्राइम की वारदात को अंजाम देने से पहले वहां से सुरक्षित निकलने की तैयारी करता है। कई केसेज की स्टडी से ये प्रूव हुआ है कि बदमाश टारगेट चूज करने के एक महीने बाद तक उसकी रेकी करते हैं। आने-जाने के हर संभव रास्ते को वो क्राइम के बाद फरारी के चुनते हैं और क्राइम को करने के बाद आसानी से किसी भी रास्ते से फरार हो जाते हैं। पार्षद की हत्या के मामले में बदमाश दो पुलिस चौकियों की सीमा से निकलकर आसानी से फरार हो गए, जो बताता है कि वो रास्तों की रेकी के बाद वारदात को अंजाम देने आए थे।

बीटीएस ट्रेसिंग से बचना

रिटायर्ड सीओ सुधीर कुमार के मुताबिक आजकल सब हाईटेक हो गए हैं। आजकल बदमाश मौका-ए-वारदात पर जाते समय ही मोबाइल को स्वीच ऑफ कर देते हैं। पार्षद की हत्या के मामले में पुलिस अभी तक खाली हाथ है। न तो पुलिस को बीटीएस में कुछ हाथ लगा और जो कुछ संदिग्ध नंबर सर्विलांस पर लिए गए वो अब बंद आ रहे हैं। रिटायर्ड सीओ सुधीर कुमार ने बताया कि बदमाश वारदात के एरिया से पांच किलोमीटर तक मोबाइल का यूज नहीं करते। मोबाइल टावर से उठाए जाने वाले बीटीएस में ट्रेस होने से बचने के लिए वो ऐसा करने लगे हैं।

मोबाइल का इस्तेमाल नहीं

रिटायर्ड सीओ सुधीर कुमार के मुताबिक पुलिस के पास कोई जादू की छड़ी नहीं होती है। पुलिस के पास बदमाश तक पहुंचने के लिए सर्विलांस, सीसीटीवी और मुखबिर तंत्र ही जरिया होता है। अब बदमाश पुलिस की ट्रे्सिंग अप्रोच को समझते हैं। पुलिस की जांच में सामने आया था कि 26 जुलाई को भावनपुर में बदमाशों ने तेल व्यापारी अमित अग्रवाल से पंद्रह लाख रूपये लूटने के दौरान मोबाइल का इस्तेमाल नहीं किया था। जिसके चलते पुलिस को सर्विलांस से कोई मदद नहीं मिल सकी थी। दरअसल, सबसे पहले बीटीएस ट्रेसिंग की जाती है और अगर कुछ क्लो मिलता है तो पुलिस को सर्विलांस सेटअप का चांस मिलता है। इसके बाद बदमाश को पकड़ना आसान हो जाता है। हालांकि शातिर बदमाश मोबाइल और सिम नंबर बदलकर पुलिस को लंबे समय तक चकमा देते रहते हैं। मगर ये तय है कि अगर बदमाश सर्विलांस पर आया तो पकड़ा जरूर जाएगा।

सीसीटीवी से पहचान मुश्किल

रिटायर्ड सीओ सुधीर कुमार के मुताबिक बदमाश वारदात के वक्त अपनी पहचान छिपाने में माहिर हो गए हैं। इसलिए मौका-ए-वारदात पर हमेशा हेलमेट लगाकर या मुंह छिपाकर पहुंचते हैं। जिसके चलते सीसीटीवी से भी बदमाश की पहचान पुलिस के लिए नामुमकिन सी हो जाती है। पांच अगस्त को परतापुर के रिठानी परतापुर में इलेक्ट्रॉनिक्स व्यापारी से दुकान में घुसकर बदमाश ने सोने की चेन लूट ली थी, एक बदमाश ने हेलमेट लगाया था, जबकि दूसरे ने चेहरे पर मास्क लगाया हुआ था। सीसीटीवी में कैद होने के बावजूद पहचान न हो पाने के चलते अभी तक बदमाश पुलिस के हाथ नहीं लगे सके हैं।

चोरी के वाहन

रिटायर्ड सीओ सुधीर कुमार के मुताबिक घटना के दौरान इस्तेमाल की जाने वाली बाइक भी यदि पुलिस को बरामद होती है तो वो जांच में चोरी की निकलती है। उन्होंने बताया कि घटना से पहले पहचान छिपाना बदमाशों के लिए बड़ा टारगेट होता है। बदमाश अपनी पहचान को छिपाने के लिए चोरी के वाहन का इस्तेमाल करते हैं।

मोबाइल का इस्तेमाल बदमाशों के द्वारा नहीं करने को लेकर मुखबिर तंत्र और सीसीटीवी की मदद से आरोपियों तक पहुंचना पुलिस की प्राथमिकता में शामिल है। डॉग स्कवॉयड की मदद से किन रास्तों से बदमाश भागते है, इसकी जांच-पड़ताल भी की जाती है।

विनीत भटनागर, एसपी सिटी, मेरठ

हाईटेक होते दौर में पुलिस को भी आधुनिक तकनीकों से लैस होना होगा। शहर से देहात तक मुख्य चौराहों के साथ ही सीमाओं से सटी चौकियों पर हाई डेफिनेशन सीसीटीवी लगने चाहिए। बदमाशों के रास्ते को ट्रेक कर लिया तो उनकी लोकेशन का अंदाजा और सर्विलांस ट्रेस के चांसेज बढ़ जाते हैं। साथ ही दिन और रात में पुलिस को गश्त बढ़ानी चाहिए। रूटीन चेकिंग अभियान हर थाना क्षेत्र में चलाया जाना चाहिए।

सुधीर कुमार, रिटायर्ड, सीओ