शहर का पहला एमआरएफ सेंटर सूरजकुंड डिपो में हुआ शुरू

कूडे़ से निकले प्लास्टिक, रबर, स्टील के लगाए गए काउंटर

Meerut। तकरीबन एक साल के इंतजार के बाद शहर का पहला एमआरएफ सेंटर यानि मैटेरियल रिकवरी फैसलिटी सेंटर नगर निगम के सूरजकुंड डिपो में शुरू हो गया। इस एमआरएफ सेंटर में कूडे़ से अलग कर निकाले गए प्लास्टिक, रबर, लोहा, शीशा, ईंट, पत्थर जैसी चीजों को अलग-अलग रखा जाएगा, जिसे डिपो से ही लोग इनको खरीद सकेंगे।

सूरजकुंड डिपो में लगे काउंटर

हर रोज घरों से निकलने वाले कूड़े में कॉकरोच, मच्छरों को मारने के लिये इस्तेमाल होने वाले केमिकल भी मिलते हैं। इसके अलावा बायोमेडिकल वेस्ट, बल्ब व ट्यूबलाइट, लोहा, शीशा, ईंट-पत्थर अन्य कचरों से मिलकर भारी मात्रा में डंपिंग ग्राउंड में पहुंचता है। यह खतरनाक केमिकल जलाशय, नदी, खेतों में प्रदूषण फैलाते हैं। ऐसे में इस धीमे जहर से बचाव के लिए कचरे से इन चीजों को अलग कर निस्तारित किए जाने की प्रक्रिया गांवडी प्लांट में शुरू की गई थी।

ये होगी व्यवस्था

अब प्लांट के कूडे़ से कई चीजों को सेपरेट किया जाएगा।

शहर के डिपो में काउंटर सेल के लिए रखा जाएगा।

इसके लिए नगर निगम ने सूरजकुंड डिपो में यह पहला मैटेरियल रिकवरी फैसलिटी (एमआरएफ)केन्द्र बनाया है।

कूड़े में आने वाले लोहा, शीशा, ईंट-पत्थर आदि को अलग-अलग रखने की व्यवस्था की गई है।

कूडे़ से निकलने वाली चीजों के करीब 10 से अधिक काउंटर बनाए गए हैं।

इन बॉक्स काउंटर में चप्पल से लेकर टूटे हुए मोबाइल की बॉडी, कांच, रबर आदि को अलग अलग रखा गया है।

जो एजेंसी, कबाड़ी या कंपनी बल्क में खरीदना चाहती है वह डिपो में संपर्क कर सकती है।

इसके बाद निगम डिमांड के अनुसार कचरा बेच देगा।

एमआरएफ सेंटर का उद्देश्य लोगों को यह समझाना है कि कूडे़ का सेग्रीगेशन हमें घर के गेट से ही शुरू करना चाहिए। ताकि जरुरी चीजों को हम अलग कर उनका अन्य प्रकार से उपयोग कर सकें।

डॉ। गजेंद्र सिंह, नगर स्वास्थ्य अधिकारी